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नई दिल्ली:-पूर्वी लद्दाख में चीन से जारी तनातनी के बीच भारत सरकार एक बड़ा फैसला ले सकती है। सरकार रूस से कह सकती है कि भारतीय सेना बहुराष्ट्रीय सैन्य युद्धाभ्यास कावकाज-2020 (Military Exercise Kavkaz-2020) में शामिल नहीं होगी। अगले महीने रूस में होने वाले इस युद्धाभ्यास में चीन और पाकिस्तान की सेनाएं (Chinese and Pakistani troops) भाग ले रही हैं। इससे पहले रिपोर्टें आई थी कि भारतीय सेना भी इस बहुराष्ट्रीय सैन्य अभ्यास शामिल होगी।
रक्षा सूत्रों ने बताया कि नई दिल्ली स्थित दक्षिण ब्लॉक (South Block) में एक हाईलेवल बैठक हुई जिसमें विदेश मंत्री एस जयशंकर (S Jaishankar) और सीडीएस जनरल बिपिन रावत (Bipin Rawat) ने भाग लिया। बैठक में चर्चा हुई कि कोरोना महामारी से जूझ रहे भारत का इस युद्धाभ्यास में शामिल होना सही नहीं होगा। सूत्रों का कहना है कि भारत पूर्वी लद्दाख में चीन से जारी गतिरोध पर ध्यान दे रहा है। चीन से लगती 4,000 हजार किलोमीटर लंबी सीमा पर सेनाएं हाईअलर्ट पर हैं।
सूत्रों ने बताया कि भारतीय रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह संघाई सहयोग संगठन (Shanghai Cooperation Organisation, SCO) की बैठक में भाग लेने के लिए चार से छह सितंबर के दौरान रूस के दौरे पर जाने वाले हैं लेकिन इस दौरान वे चीनी रक्षा मंत्री से कोई वार्ता नहीं करेंगे। इस बैठक के दौरान क्षेत्रीय सुरक्षा और भू-रणनीतिक परिदृश्य पर चर्चा किए जाने की संभावना है। एससीओ के रक्षा मंत्रियों की बैठक ऐसे समय में हो रही है जब भारत और चीन के बीच पूर्वी लद्दाख में तनाव बना हुआ है।
राजनाथ संभवत: तीन सितंबर को मॉस्को रवाना होंगे। सूत्रों ने बताया कि बैठक में भारत सीमा पर चीन की विस्तारवादी नीतियों को प्रमुखता से उठा सकता है। उक्त सैन्य अभ्यास में रूस समेत विभिन्न देशों के 12,500 से ज्यादा सैनिक भाग लेने वाले हैं। भारतीय टुकड़ी में इन्फैंट्री, आर्टिलरी, मैकेनाइज्ड और बख्तरबंद बल के साथ ही विशेष बल, एयर डिफेंस और सिग्नल, नौसेना और वायुसेना के जवानों को शामिल होना था लेकिन अब इसमें भाग नहीं लेगा... हालांकि इस बारे में अभी आधिकारिक बयान सामने नहीं आया है।