हाथरस कांड की संवेदनशीलता में उलझी सीबीआइ, बेवजह विवाद से बचने के लिए उठाया ये कदम

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RGA:- न्यूज़

नई दिल्ली:-थरस मामले की संवेदनशीलता का अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि सीबीआइ भी इसमें उलझने से नहीं बच पाई। हुआ यूं कि दुष्कर्म की धाराओं में केस दर्ज करने के बाद जांच एजेंसी ने एफआइआर की प्रति को बेवसाइट पर अपलोड कर दिया। लेकिन कुछ घंटे के भीतर ही उसे वेबसाइट से हटा लिया गया। 

वेबसाइट पर एफआइआर को अपलोड करने के बाद वापस लिया 

सीबीआइ के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि दुष्कर्म के मामले में पीड़िता की पहचान उजागर नहीं होने देने के सुप्रीम कोर्ट के आदेश को ध्यान में रखते हुए ऐसा किया गया। दरअसल, सीबीआइ पिछले कुछ वर्षों से सभी एफआइआर की प्रति वेबसाइट पर अपलोड करती रही है। एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि ऐसा सुप्रीम के निर्देश के अनुसार किया जा रहा है। इसी क्रम में हाथरस मामले की एफआइआर अपलोड कर दी गई। 

एजेंसी के अनुसार, बेवजह विवाद से बचने किए ऐसा किया गया 

वैसे अपलोड करते समय इस बात का ध्यान रखा गया कि पीड़िता का नाम सार्वजनिक नहीं होने पाए। इसके लिए नाम पर स्याही लगा दी गई थी। इसके बावजूद एजेंसी के कुछ वरिष्ठ अधिकारियों ने मामले की संवेदनशीलता को देखते हुए एफआइआर को सार्वजनिक किए जाने पर सवाल उठाया। इसके बाद भविष्य में किसी अनावश्यक विवाद से बचने के लिए एफआइआर को हटा लिया गया। लेकिन सीबीआइ ने इस संबंध में जारी प्रेस रिलीज को बेवसाइट से नहीं हटाया है, क्योंकि उसमें पीड़िता और उसके परिवार की पहचान का कोई जिक्र नहीं है। 

अनावश्यक विवाद में फंसने में हाथरस कांड के प्रभावित होने की आशंका

सीबीआइ के वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि हाथरस मामले की संवेदनशीलता को देखते हुए एजेंसी अपना पूरा ध्यान जांच पर केंद्रित करना चाहती है। अनावश्यक विवाद में फंसने में इसके प्रभावित होने की आशंका है। इसीलिए एफआइआर की प्रति को वापस लिया गया। इसका और कोई मतलब नहीं निकाला जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि हमारी सबसे अच्छी टीम हाथरस कांड की जांच में लगी है और सच सामने लाना उसकी पहली जिम्मेदारी है।

 

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