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दिल्ली हाईकोर्ट ने आम आदमी पार्टी (आप) सरकार को निर्देश दिया है कि सातवें केन्द्रीय वेतन आयोग की सिफारिशें लागू करने के लिए स्कूल फील बढ़ाने से निजी स्कूलों को रोकने के अपने फैसले पर अमल नहीं करे।
जस्टिस सुनील गौड ने कहा कि सातवें वेतन आयोग की सिफारिशें लागू करने के लिए दिल्ली सरकार द्वारा पिछले साल शुल्क में अंतरिम वृद्धि करने की अनुमति उसके शिक्षा निदेशालय ने 13 अप्रैल, 2018 के आदेश के माध्यम से पिछली तारीख से अनुचित तरीके से वापस ली गई है।
कोर्ट ने कहा कि गैर सहायता प्राप्त स्कूलों के संघ की याचिका पर 31 जुलाई को होने वाली अगली सुनवाई तक उसका अंतरिम आदेश प्रभावी रहेगा। याचिका में संघ ने आरोप लगाया है कि दिल्ली सरकार सातवें वेतन आयोग की सिफारिशें लागू करने में देरी कर रही है।
हाईकोर्ट ने कहा कि शिक्षा निदेशालय द्वारा पिछले साल 17 अक्टूबर को गैर सहायता वाले मान्यता प्राप्त निजी स्कूलों में सातवें वेतन आयोग की सिफारिशें लागू करने के लिए जारी दिशानिर्देश दिए थे और साथ ही उसी अवधि में विभाग ने तीन आदेशों में शुल्कों में वृद्धि की मंजूरी दी थी।
अदालत ने कहा कि शिक्षा निदेशालय के 13 अप्रैल , 2018 के आदेश से दिशानिर्देश पूर्वव्यापी प्रभाव से वापस ले लिए गए।
निजी स्कूलों के संघ की तरफ से पेश हुए वकील ने 13 अप्रैल के फैसले को चुनौती देते हुए कहा कि इससे सिफारिशें लागू करने में देरी होगी और साथ ही उन स्कूलों से शिक्षकों के नौकरी छोड़ने को बढ़ावा मिलेगा जिन्हें अपने कर्मचारियों का वेतन बढ़ाने से रोका गया है।