कुछ इलाकों तक सीमित नहीं है ग्रीन हाउस गैसों का प्रभाव, पूरी धरती होती है प्रभावित

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RGA न्यूज़ 

भारत ने दुनिया के दूसरे मुल्कों के मुकाबले इस क्षेत्र में सुधार के लिए बहुत तेजी से काम किया 

नई दिल्‍ली। सर्दियों की दस्तक के साथ ही दिल्ली-एनसीआर और ऐसे ही देश के दूसरे शहरों में प्रदूषण की समस्या सिर उठाने लगती है। जहरीली हवा में सांस लेना तक मुश्किल हो जाता है। इस बार भी ऐसा ही हो रहा है। ग्रीन हाउस गैसों का प्रभाव सिर्फ शहरों या कुछ इलाकों तक सीमित नहीं है, बल्कि यह व्यापक रूप से पूरी पृथ्वी को प्रभावित करती हैं। क्लाइमेट वॉच और वर्ल्‍ड रिसोर्सेज इंस्टीट्यूट के आंकड़ों ने बताया है कि दुनिया में किन स्रोतों से कितनी ग्रीन हाउस गैसों का उत्सर्जन हो रहा है। आइए जानते हैं इन्हीं क्षेत्रों के बारे में..

भारत की स्थिति

देश में ग्रीन हाउस गैसों का 68.7 फीसद ऊर्जा क्षेत्र में होता है। इसके बाद कृषि से 19.6, औद्योगिक प्रक्रियाओं से 6.0, भूमि और जंगल के इस्तेमाल में बदलाव से 3.8 फीसद और अपशिष्ट से 1.9 फीसद ग्रीन हाउस गैसोंं का उत्सर्जन होता है। 1990 से 2014 के मध्य देश में जीडीपी 357 फीसद बढ़ी और इस दौरान ग्रीन हाउस गैसों का उत्सर्जन 180 फीसद बढ़ा। जीडीपी के सापेक्ष यह अन्य देशों के मुकाबले यह बहुत ज्यादा है। हालांकि, भारत ने दुनिया के दूसरे मुल्कों के मुकाबले इस क्षेत्र में सुधार के लिए बहुत तेजी से काम किया है।

कृषि, वानिकी और भूमि का प्रयोग

इन गैसों के उत्सर्जन का दूसरा सबसे बड़ा स्रोत वह है, जिस पर हम भोजन के लिए दैनिक रूप से निर्भर करते हैं। आश्चर्यजनक रूप से कई पशु मीथेन उत्सर्जन में सर्वाधिक योगदान देते हैं। इस स्रोत में सर्वाधिक 5.8 फीसद भूमिका इन्हीं की है। दूसरी ओर, जब खेती की जरूरतों को पूरा करने के लिए जंगल साफ कर दिया जाता है तो यह भूमि के उपयोग और बढ़ते वैश्विक उत्सर्जन के बीच स्पष्ट संबंध को बताता है।

50 अरब टन ग्रीनहाउस गैसों का उत्सर्जन

पिछले कुछ सालों में विकास और संसाधनों के बढ़ते इस्तेमाल के कारण कार्बन डाइऑक्साइड का उत्सर्जन बहुत बढ़ा है। आवर वल्र्ड इन डाटा के आंकड़ों के अनुसार, वैश्विक स्तर पर हर साल करीब 50 अरब टन ग्रीनहाउस गैसों का उत्सर्जन होता है। यह 1990 की तुलना में 40 प्रतिशत अधिक है।

वाहनों से ज्यादा कल-कारखानों की भूमिका

ग्रीन हाउस गैसों के उत्सर्जन में सर्वाधिक भूमिका ऊर्जा की है और ऊर्जा में कल-कारखाने सबसे ज्यादा हानिकारक गैसों का उत्सर्जन करते हैं। उद्योग 24.5 फीसद के हिस्सेदार हैं और इसके बाद 17.5 फीसद की हिस्सेदारी इमारतों की होती है। यह आश्चर्यजनक है, लेकिन शहर दुनिया की वार्षकि ऊर्जा जरूरतों का 60-80 प्रतिशत का उपयोग करते हैं। शहरों में बढ़ती आबादी इसे और बढ़ा सकती है।

चार भागों में बंटे हैं स्रोत

वैश्विक स्तर पर ग्रीन हाउस गैसों के उत्सर्जन स्रोतों को चार भागांे में बांटा गया है। इनमें ऊर्जा, कृषि, उद्योग और अपशिष्ट शामिल हैं। इनमें से तीन चौथाई उत्सर्जन के लिए ऊर्जा की खपत जिम्मेदार है। ऊर्जा और कृषि क्षेत्र को साथ जोड़ दें तो यह कुल ग्रीन हाउस गैसों के उत्सर्जन के 91 फीसद के लिए जिम्मेदार है।

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