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RGA न्यूज़
वैक्सीन स्पुतनिक-5 दूसरे और तीसरे चरण के क्लीनिकल परीक्षण के लिए भारत आ चुकी है।
नई दिल्ली। दूसरे और तीसरे चरण के क्लीनिकल परीक्षण के लिए रूस की कोरोना वैक्सीन स्पुतनिक-5 भारत आ चुकी है। भारत में हैदराबाद स्थित डॉ. रेड्डीज लेबोरेटरी इस वैक्सीन का परीक्षण और वितरण करेगी। इसके लिए भारतीय नियामक से डॉ. रेड्डीज को अनुमति मिल गई है। मीडिया में एक वीडियो सामने आया है, जिसमें देखा जा सकता है कि डॉ. रेड्डीज और स्पुतनिक-5 के लोगो वाले कंटेनरों से छोटे ट्रकों में वैक्सीन लोड किया जा रहा है। स्पुतनिक-5 का भारत समेत कई अन्य देशों में परीक्षण किया जाएगा।
वैक्सीन के लिए उठाया जोखिम
दो दिन पहले ही रूसी कंपनी ने दावा किया था कि स्पुतनिक-5 को 92 फीसद से अधिक कारगर पाया गया है। पहले और दूसरे चरण के परीक्षण में अभी तक किसी वॉलंटियर पर कोई प्रतिकूल प्रभाव देखने को नहीं मिला है। पुणे स्थित सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया के सीईओ अदार पूनावाला ने कहा है कि उन्होंने अपनी फर्म की उत्पादन क्षमता बढ़ाने के लिए 1875 करोड़ रुपये लगाए हैं, ताकि अगले साल तक कोरोना वैक्सीन की एक अरब खुराक तैयार की जा सके।
साइरस पूनावाला को थी आपत्ति
सीरम दुनिया की सबसे बड़ी वैक्सीन उत्पादक फर्म है। वाशिंगटन पोस्ट के साथ बातचीत में अदार ने कहा कि इतनी बड़ी रकम दांव पर लगाने को लेकर उनके परिवार के सदस्यों खासकर उनके पिता और कंपनी के संस्थापक साइरस पूनावाला को शुरू में आपत्ति थी। उनके पिता ने उनसे कहा था, 'यह तुम्हारा पैसा है, अगर तुम इसे उड़ाना चाहते हो तो, ठीक है।'
कम आय वाले देशों की वैक्सीन तक पहुंची जरूरी
विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) के महानिदेशक टेड्रोस अधनोम घेब्रेयेसस ने कहा कि वैश्विक अर्थव्यवस्था को पटरी पर लाने के लिए जरूरी है कि कम और मध्यम आय वाले देशों तक कोरोना वैक्सीन की पहुंच हो। पेरिस पीस फोरम में घेब्रेयेसस ने कहा कि पूरी दुनिया की भलाई के लिए यह आवश्यक है कि वैक्सीन का समान वितरण हो और उसकी कीमत भी कम हो। वहीं, डब्ल्यूएचओ और गवी वैक्सीन समूह ने कोरोना वैक्सीन खरीद कर उसे गरीब देशों में बांटने के लिए दो अरब डॉलर (लगभग 15,000 करोड़ रुपये) जुटा लिए हैं।