सुधार की कोशिशों पर भारी न पड़ जाए महंगाई के तेवर, नीति नियामकों के बीच बढ़ी चिंता

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RGA न्यूज़

महंगाई के लिए प्रतीकात्मक तस्वीर PC: Pexels

नई दिल्ली। देश की इकोनॉमी को पुरानी रंगत में लाने की सरकार कोई कसर नहीं छोड़ रही है लेकिन इस बीच महंगाई ने जिस तरह के तेवर दिखाने शुरु किये हैं उससे नीति नियामकों में एक नई चिंता पैदा होने लगी है। जानकारों की मानें तो खुदरा महंगाई जिस तरह से पिछले चार महीनों से लगातार बढ़ रही है उसकी वजह से ब्याज दरों को और नीचे लाने को लेकर आरबीआइ के हाथ बंध सकते हैं। यही नहीं कई विशेषज्ञों ने यह भी कहा है कि सरकार को फिलहाल महंगाई थामने के काम को भी पूरी वरीयता देनी होगी नहीं तो आर्थिक सुस्ती दूर करने की कोशिशों पर भी असर होगा।

केंद्र सरकार की तरफ से गुरुवार को जारी खुदरा महंगाई की दर 7.61 फीसद रही है। उपभोक्ता मूल्य सूचकांक (सीपीआइ) पर यह खुदरा महंगाई की पिछले साढ़े छह वर्षो की उच्चतम स्तर है। इससे पहले मई, 2014 में खुदरा महंगाई दर 8.33 प्रतिशत थी। इसके साथ ही इकोनॉमी पर आरबीआइ की तरफ से गुरुवार को जारी रिपोर्ट भी महंगाई के नियंत्रण से बाहर जाने की तरफ इशारा करत

इस रिपोर्ट में आम रसोई घरों में इस्तेमाल होने वाले 19 आवश्यक खाद्य सामग्रियों की खुदरा कीमतों में पिछले चार महीनों हुए बदलाव का आंकड़ा दिया गया है। यह आंकड़ा बताता है कि सितंबर, 2019 के मुकाबले सितंबर, 2020 में उक्त 19 खाद्य सामग्रियों की कीमतों में 11.46 फीसद का इजाफा हुआ है। जबकि अक्टूबर, 2019 के मुकाबले अक्टूबर, 2020 में इन उत्पादों की कीमतें लगभग 11 फीसद ज्यादा हैं। आरबीआइ ने कहा है कि वित्त वर्ष की शुरुआत से ही आवश्यक खाद्य सामग्रियों की खुदरा कीमतों में तेजी का दौर जारी है। मोटे अनाज, टमाटर व चीनी को छोड़ कर अन्य सभी खाने-पीने की चीजें अक्टूबर में भी महंगी हुई हैं।

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