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भारतीय रुपये के लिए प्रतीकात्मक तस्वीर PC: Pixabay
सरकारी बैंक अगले तीन महीनों में 25000 करोड़ रुपये जुटाने की योजना बना रहे हैं। यह रकम इक्विटी और बांड्स के माध्यम से जुटाई जाएगी। वित्तीय सेवा सचिव देबाशीष पांडा ने कहा कि ग्राहकों की बढ़ती मांग और नियामकीय जरूरतों को पूरा करने के लिए बैंकों को पूंजी जुटानी
नई दिल्ली। सरकारी बैंक अगले तीन महीनों में 25,000 करोड़ रुपये जुटाने की योजना बना रहे हैं। यह रकम इक्विटी और बांड्स के माध्यम से जुटाई जाएगी। वित्तीय सेवा सचिव देबाशीष पांडा ने कहा कि ग्राहकों की तरफ से बढ़ती मांग और नियामकीय जरूरतों को पूरा करने के लिए बैंकों को पूंजी की जरूरत है। पिछले कुछ महीनों के दौरान भारतीय स्टेट बैंक (एसबीआइ), केनरा बैंक और पंजाब नेशनल बैंक (पीएनबी) ने बाजार से करीब 40,000 करोड़ रुपये जुटाए हैं।
पांडा ने कहा कि यह पूंजी इक्विटी शेयर और एटी-1 (अतिरिक्त टियर-1) और टियर-2 (बांड) के जरिये जुटाई गई। हम चालू वित्त वर्ष की बाकी अवधि में 20,000-25,000 करोड़ रुपये की पूंजी और जुटाने की उम्मीद कर रहे हैं
इस महीने की शुरुआत में केनरा बैंक ने 2,000 करोड़ रुपये जबकि पंजाब नेशनल बैंक (पीएनबी) ने क्वालिफाइड इंस्टीट्यूशनल प्लेसमेंट (क्यूआइपी) के जरिये 3,788.04 करोड़ रुपये जुटाए। इसके अलावा सरकार ने चालू वित्त वर्ष में सरकारी बैंकों में 20,000 करोड़ रुपये निवेश का फैसला किया है। इसमें से वित्त मंत्रालय ने 5,500 करोड़ रुपये पंजाब एंड सिंध बैंक को दे दिए हैं।
सरकार ने बीते वित्त वर्ष में इकोनॉमी को गति देने और ग्राहकों की कर्ज मांग पूरी करने के लिए बैंकों में 70,000 करोड़ रुपये का पूंजी निवेश किया था। बैंकों की वित्तीय स्थिति के बारे में पांडा ने कहा कि पिछली तिमाही में सरकारी क्षेत्र के 12 बैंकों में से एक को छोड़कर सभी लाभ में रहे।
उन्होंने कहा कि बैंकों का एनपीए उल्लेखनीय रूप से कम हुआ है और इससे बैंकों द्वारा की गई प्रोविजनिंग भी घटी है। पांडा ने कहा कि बैंक अपने निवेश पर रिटर्न बढ़ाने की दिशा में काम कर रहे हैं।