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हर्षवर्धन ने कहा है कि देश में जनवरी में टीकाकरण की शुरुआत हो सकती है...
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की ओर से जल्द वैक्सीन आने की संभावना जाताए जाने के बीच केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री हर्षवर्धन ने भी एक आशा भरा बयान दिया है। हर्षवर्धन ने कहा है कि देश में जनवरी में टीकाकरण की शुरुआत हो सकती है...
नई दिल्ली। केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री हर्षवर्धन के इस बयान के बाद कि देश में जनवरी में टीकाकरण की शुरुआत हो सकती है... देश में इसको लेकर तैयारियां तेज हो गई है। समाचार एजेंसी आइएएनएस के मुताबिक, भारतीय रेलवे अपने प्रशीतक वैगनों के जरिए वैक्सीन के परिवहन को लेकर सरकार के साथ बातचीत कर रही है। हालांकि अधिकारियों ने बताया कि अभी इस पर कोई अंतिम फैसला नहीं लिया गया है। आइये जानते हैं देश में टीकाकरण को लेकर कहां तक पहुंची
मजबूत तंत्र स्थापित करने पर जोर
केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री हर्षवर्धन ने नवंबर महीने में कहा था कि सरकार कोविड-19 टीकाकरण के लिए वैक्सीन के उत्पादन और वितरण के लिए मजबूत पारिस्थितिकी तंत्र स्थापित कर रही है। सरकार इस बात का ख्याल रख रही है कि मांग को पूरा किया जा सके। स्वास्थ्य मंत्री की मानें तो देश में कोविड-19 का टीका सख्त निगरानी में आगामी कुछ हफ्तों में उपलब्ध हो जाने की उम्मीद है।
वैक्सीन के परिवहन पर हो रही चर्चा
रेलवे बोर्ड के अध्यक्ष वीके यादव ने कहा कि सरकार के साथ परिवहन की संभावनाओं पर चर्चा जारी है। वहीं एक अन्य अधिकारी ने अपना नाम गोपनीय रखने की शर्त पर सोमवार को बताया कि रेल मंत्रालय एक बार जैसी ही वैक्सीन के परिवहन पर फैसला लिया जाएगा वैसे ही इसकी घोषणा कर दी जाएगी। वरिष्ठ अधिकारी के मुताबिक, टीका को खराब होने से बचाने और परिवहन के लिए जरूरी तापमान के साथ कई तकनीकी मसले हैं। इस मसलों पर चर्चा हो रह
हवाई अड्डे भी तैयार
हाल ही में प्रधानमंत्री मोदी ने कहा था कि कुछ ही हफ्तों में कोरोना वैक्सीन तैयार हो सकती है। वैक्सीन के परिवहन को लेकर दिल्ली और हैदराबाद के हवाई अड्डे भी इसकी ढुलाई में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने के लिए तैयार हैं। दिल्ली हवाई अड्डे पर दो विश्वस्तरीय कार्गो टर्मिनल हैं जहां -20 डिग्री से लेकर 25 डिग्री सेल्सियस तापमान में रखने के लिए विशेष चैंबर बने हैं। हैदराबाद हवाई अड्डा जो वैक्सीन उत्पादन क्षेत्र में मौजूद है जिसकी भूमिका अहम मानी जा रही है।
कंपनियों को कानूनी पचड़े में फंसने का डर
वहीं टीका बनाने वाली कंपनियों को भी कानूनी पचड़े में फंसने का डर भी सताने लगा है। बीते दिनों सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया के सीईओ अदार पूनावाला ने कहा था कि टीका विनिर्माताओं को उनके कोविड टीके को लेकर सभी प्रकार के कानूनी दावों से बचाया जाना चाहिए। पूनावाला ने बीते शुक्रवार को कार्नेगी इंडिया के वैश्विक प्रौद्योगिकी सम्मेलन में कहा था कि टीका विनिर्माता भारत सरकार के सामने अपनी चिंता रखने जा रहे हैं।
देश में वैक्सीन की स्थिति
बीते शनिवार को कोविड-19 पर मंत्रिसमूह की 22वीं बैठक में केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री ने कहा था कि छह से सात महीने में भारत के पास करीब 30 करोड़ आबादी को टीका देने की क्षमता होगी। केंद्रीय स्वास्थ्य सचिव राजेश भूषण की मानें तो छह वैक्सीन क्लीनिकल ट्रायल स्टेज में जबकि तीन प्री-क्लीनिकल स्टेज में हैं। यही नहीं दवा नियामक डीजीसीआई से भारत बायोटेक, सीरम इंस्टीट्यूट और फाइजर ने अपने टीकों के आपात इस्तेमाल की मंजूरी मांगी है। फिलहाल सरकार यह सुनिश्चित कर रही है कि सुरक्षित और कारगर वैक्सीन ही आम लोगों तक पहुंचे और अप्रूवल में वैज्ञानिक और नियामक मानदंडों को पूरा किया जाए।