किसान आंदोलन से जुड़े नेताओं और एक पत्रकार को एनआइए का नोटिस, जानिए किस मामले में किया गया तलब

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RGA न्यूज़

लोक भलाई इंसाफ वेलफेयर सोसाइटी के अध्यक्ष बल्देव सिंह सिरसा और एनआइए के अधिकारियों की फाइल फोटो

एनआइए एफआइआर में यह आरोप भी लगाया गया है कि इस साजिश में शामिल सिख फार जस्टिस और अन्य खालिस्तान समर्थक तत्व अपने सतत इंटरनेट मीडिया अभियान और अन्य तरीकों से ऐसे युवाओं को आंदोलन और आतंकी गतिविधियों को अंजाम देने के लिए भड़का रहे हैं 

नई दिल्ली। एक चौंकाने वाले घटनाक्रम में राष्ट्रीय जांच एजेंसी (NIA) ने प्रतिबंधित संगठन सिख फार जस्टिस (SFJ) मामले की अपनी जांच के सिलसिले में दर्जनभर से ज्यादा लोगों को नोटिस भेजे हैं। इन लोगों में एक पत्रकार, नए कृषि कानूनों के खिलाफ आंदोलन से जुड़े किसान नेता और अन्य शामिल हैं।

एनआइए के एक अधिकारी ने बताया कि एजेंसी ने पूछताछ के लिए कई लोगों को नोटिस भेजे हैं। उन्हें मामले के कुछ तथ्यों की पुष्टि करने के लिए गवाह के तौर पर बुलाया गया है। जब उनसे पूछा गया कि पत्रकार के अलावा और किन लोगों को बुलाया गया है तो उक्त अधिकारी ने कहा, 'पूछताछ के लिए बुलाए गए लोगों के पेशे के बारे में विशेष तौर पर कुछ नहीं कह सकता।' हालांकि एनआइए ने नए कृषि कानूनों पर सरकार के साथ वार्ता में हिस्सा ले रहीं किसान यूनियनों में से एक लोक भलाई इंसाफ वेलफेयर सोसायटी के अध्यक्ष बल्देव सिंह को भी समन किया है। समन के मुताबिक, बल्देव सिंह से 17 जनवरी को एजेंसी के दक्षिण दिल्ली के सीजीओ कांप्लेक्स स्थित मुख्यालय में पेश होने के लिए कहा गया है। उनके अलावा सुरेंद्र सिंह टीकरीवाल, पलविंदर सिंह, प्रदीप सिंह, नोबेलजीत सिंह और करनैल सिंह को भी 17 व 18 जनवरी को एजेंसी के समक्ष उपस्थित होने के लिए कहा गया है।

साजिश का मकसद डर और अराजकता का माहौल बनाना

सरकार की ओर से अधिसूचना जारी होने के बाद एनआइए ने पिछले साल 15 दिसंबर को भारतीय दंड संहिता और गैरकानूनी गतिविधियां रोकथाम अधिनियम की विभिन्न धाराओं के तहत मामला दर्ज किया था। एफआइआर में एनआइए का आरोप है कि गैरकानूनी संगठन सिख फार जस्टिस और बब्बर खालसा इंटरनेशनल, खालिस्तान टाइगर फोर्स, खालिस्तानी जिंदाबाद फोर्स समेत विभिन्न खालिस्तानी आतंकी संगठनों ने अपने अग्रणी संगठनों के साथ मिलकर एक साजिश रची है। इस साजिश का मकसद डर और अराजकता का माहौल बनाना, लोगों में असंतोष पैदा करना और उन्हें सरकार के खिलाफ विद्रोह के लिए उकसाना है। एफआइआर के मुताबिक, अमेरिका, ब्रिटेन, कनाडा, जर्मनी और अन्य देशों में स्थित मिशनों के खिलाफ जमीनी स्तर पर अभियान और दुष्प्रचार के लिए विदेश में बड़ी मात्रा में धनराशि जुटाई जा रही है। इन अभियानों को घोषित आतंकी गुरपतवंत सिंह पन्नून, परमजीत सिंह पम्मा, हरदीप सिंह निज्जर और अन्य चला रहे हैं।

आंदोलन के जरिए युवाओं को भड़का रहे

एनआइए एफआइआर में यह आरोप भी लगाया गया है कि इस साजिश में शामिल सिख फार जस्टिस और अन्य खालिस्तान समर्थक तत्व अपने सतत इंटरनेट मीडिया अभियान और अन्य तरीकों से ऐसे युवाओं को आंदोलन और आतंकी गतिविधियों को अंजाम देने के लिए भड़का रहे हैं और भर्ती कर रहे हैं जिन्हें आसानी से गुमराह किया जा सकता है। उनका मकसद भारतीय क्षेत्र का विभाजन कर अलग खालिस्तान राष्ट्र का निर्माण करना है।

उल्लेखनीय है कि एनआइए ने पिछले साल 18 दिसंबर को सिख फार जस्टिस मामले में घोषित आतंकी गुरपतवंत सिंह पन्नून समेत 10 खालिस्तानी आतंकियों के खिलाफ आरोप पत्र दाखिल किया था। बाकी आतंकियों में परगट सिंह, सुखराज सिंह, बिक्रमजीत सिंह, मंजीत सिंह, जतिंदर सिंह, गुरविंदर सिंह, हरप्रीत सिंह, कुलदीप सिंह, और हरमीत सिंह शामिल हैं। यह आरोप पत्र हिंसा की श्रृंखलाबद्ध घटनाओं के सिलसिले में दाखिल किया गया था जिनमें 2017-18 के दौरान पंजाब में हुई आगजनी की घटनाएं शामिल हैं। इन घटनाओं को विदेश में बसे सिख फार जस्टिस के हैंडलर्स के निर्देश और वित्तीय मदद से चरमपंथी सिख युवाओं ने अंजाम दिया था। यह मामला शुरुआत में अमृतसर पुलिस ने दर्ज किया था, लेकिन पिछले साल एनआइए ने इसे अपने हाथ में ले लिया था।

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