इलेक्ट्रिक कार उद्योग को बजट से बड़ी सौगात की उम्मीद, चार्जिंग स्टेशन स्थापित करने में प्रोत्साहन की दरकार

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RGA न्यूज़

इलेक्ट्रिक कार उद्योग के लिए प्रतीकात्मक तस्वीर PC: Pixabay

नीति आयोग की तरफ से वित्त मंत्रालय को सौंपे गए सुझाव में कहा गया है कि नीतिगत प्रोत्साहन से भारत इलेक्ट्रिक कार बाजार में छोटी कारों के निर्माण जैसी कहानी दोहरा सकता है। भारत को दुनिया में छोटी कारों की राजधानी के तौर पर जाना जाता है।

नई दिल्ली। केंद्र के कई मंत्री हाल के वर्षों में भारत को इलेक्ट्रिक कारों का हब बनाने की मंशा जता चुके हैं। सरकार के भीतर भी इस पर गहन चर्चा हुई है कि आगामी बजट में दुनिया के समक्ष भारत में इलेक्ट्रिक कारों को लेकर स्पष्ट खाका पेश किया जाए। इस बारे में ऑटोमोबाइल उद्योग के साथ-साथ इलेक्ट्रिक वाहनों पर सुझाव देने वाले नीति आयोग के विशेष समूह से वित्त मंत्रालय का गहन विमर्श हो चुका है।

नीति आयोग की तरफ से वित्त मंत्रालय को सौंपे गए सुझाव में कहा गया है कि नीतिगत प्रोत्साहन से भारत इलेक्ट्रिक कार बाजार में छोटी कारों के निर्माण जैसी कहानी दोहरा सकता है। भारत को दुनिया में छोटी कारों की राजधानी के तौर पर जाना जाता है।

वित्त मंत्रालय को यह बताया गया है कि चार दशक पहले जब अमेरिकी व यूरोपीय कार कंपनियां चीन में प्लांट लगा रही थीं, तब भारत उस मौके का फायदा उठाने से चूक गया था। लेकिन इलेक्ट्रिक कारों का मास प्रोडक्शन (बड़े पैमाने पर उत्पादन) अभी शुरू नहीं हुआ है और तकनीकी विकास का काम अभी जारी है। दूसरी तरफ, वैश्विक माहौल की वजह से चीन को लेकर कई तरह की शंकाएं भी हैं। ऐसे में भारत इलेक्ट्रिक वाहनों से जुड़ी कंपनियों के बीच अपनी पैठ बना सकता है।

सरकार में चल रहे मंथन के बारे में जानकारी रखने वाले एक अधिकारी के मुताबिक, बजट की घोषणाओं का मोटे तौर पर उद्देश्य यह होगा कि सिर्फ टेस्ला जैसी बड़ी कंपनियां ही भारत के प्रति आकर्षित न हों, बल्कि इस उद्योग से जुड़ी छोटी-बड़ी सब वैश्विक कंपनियां भारत को अपने कारोबार के केंद्र में रखने के लिए प्रोत्साहित हों। इसके लिए आत्मनिर्भर भारत की तहत ही कदम उठाया जाएगा, लेकिन इसका स्वरूप वैश्विक होगा।

टेस्ला ने बढ़ाई उम्मीद 

इलेक्ट्रिक कार बनाने वाली दुनिया की सबसे बड़ी कंपनी टेस्ला के भारत में कदम रखने से सरकार उत्साहित है। प्रख्यात उद्यमी एलन मस्क की कंपनी टेस्ला ने हाल ही में भारत में रजिस्ट्रेशन कराया है। बताया जा रहा है कि यह अमेरिकी कंपनी बेंगलुरु में प्लांट लगाने के लिए उचित जगह की तलाश में है। जानकार बताते हैं कि टेस्ला के फैसले से दुनियाभर में इलेक्ट्रिक कार उद्योग से जुड़े लोगों के मन में भारत को लेकर उत्सुकता जगी है। अभी तक यह उद्योग अमेरिका के बाहर सिर्फ चीन को एक विकल्प के तौर पर देख रहा था। अगर सरकार की तरफ से इन्हें आकर्षित करने के लिए कुछ अतिरिक्त प्रोत्साहन मिला तो यह गेम चेंजर हो सकता है।

समग्र नीति की जरूरत

जानकारों का कहना है कि मुख्य तौर पर इन कंपनियों को सप्लाई चेन तैयार करने और बड़े पैमाने पर चार्जिंग स्टेशन स्थापित करने में प्रोत्साहन की दरकार होगी। इसमें राज्यों की भूमिका भी महत्वपूर्ण होगी। दिल्ली व कर्नाटक की सरकारों ने अपने स्तर पर इस संदर्भ में नीति भी जारी की है, लेकिन केंद्रीय प्रोत्साहन के बिना राष्ट्रीय स्तर पर यह संभव नहीं है। उल्लेखनीय है कि 2018 में केंद्र सरकार ने कहा था कि 2030 से देश में बिकने वाली 30 फीसद निजी और 70 फीसद वाणिज्यिक कारें इलेक्ट्रिक होनी चाहिए। सरकार इस दिशा में जरूरी कदम उठाने के लिए तत्पर है।

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