हास्य कलाकार रचिता तनेजा के खिलाफ अवमानना याचिका पर सुप्रीम कोर्ट बोला- बढ़ रही अदालतों की आलोचना

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RGA न्यूज़

सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को कहा कि अदालतों की आलोचना बढ़ रही है और हर कोई इसे कर रहा है।

अवमानना कार्रवाई की मांग संबंधी याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को हास्य कलाकार रचिता तनेजा को जवाब दाखिल करने के लिए तीन हफ्ते की मोहलत देते हुए कहा कि अदालतों की आलोचना बढ़ रही है और हर कोई इसे कर रहा है।

नई दिल्ली। न्यायपालिका के खिलाफ कथित आपत्तिजनक ट्वीट्स के मामले में अवमानना कार्रवाई की मांग संबंधी याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को हास्य कलाकार रचिता तनेजा को जवाब दाखिल करने के लिए तीन हफ्ते का समय दे दिया। इस दौरान शीर्ष अदालत ने टिप्पणी की कि अदालतों की आलोचना बढ़ रही है और हर कोई इसे कर रहा है। रचिता की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता मुकुल रोहतगी ने जस्टिस अशोक भूषण, जस्टिस आरएस रेड्डी और जस्टिस एमआर शाह की पीठ से कहा कि अदालत को इस मामले का संज्ञान क्यों लेना पड़ा। अदालत की बुनियाद कहीं ज्यादा मजबूत है।

हर कोई कर रहा अदालत की आलोचना

इस पर पीठ ने कहा, 'हम आपसे सहमत हैं, लेकिन यह बढ़ रही है और हर कोई कर रहा है।' जवाब में रोहतगी ने कहा, 'अदालत की आलोचना कभी भी अवमानना नहीं हो सकती। वह (तनेजा) 25 वर्ष की युवा लड़की है। लोगों की धारणा है कि अदालत की छुट्टियों के दौरान एक पत्रकार का केस सुनवाई के लिए क्यों लिया गया।'

मांगा जवाब 

इस पर अदालत ने रोहतगी से पूछा कि वह याचिका पर जवाब दाखिल करना चाहते हैं अथवा नहीं। पीठ ने कहा, 'अगर आप जवाब दाखिल नहीं करना चाहते तो हम आगे बढ़ेंगे। बेहतर होगा अगर आप जवाब दाखिल करें।' इस पर रोहतगी ने जवाब दाखिल करने के लिए तीन सप्ताह का समय देने की मांग की जो अदालत ने मान ली और मामले को तीन हफ्ते बाद सूचीबद्ध करने का आदेश दिया।

कामरा ने किया अपने ट्वीट्स का बचाव

अदालत ने स्टैंडअप कामेडियन कुणाल कामरा के शीर्ष अदालत के खिलाफ कथित अपमानजनक ट्वीट्स के लिए अवमानना कार्रवाई की मांग संबंधी याचिकाओं पर भी अलग से सुनवाई की। कुछ याचिकाकर्ताओं की ओर से पेश अधिवक्ता निशांत आर. कांतेश्वरकर ने सूचित किया कि कामरा ने अपना जवाब दाखिल कर दिया है और मामले की सुनवाई दो हफ्ते बाद सूचीबद्ध की जाए, इसे अदालत ने मान लिया।

अतिशयोक्ति कामेडी का आवश्यक तत्व

जवाबी हलफनामे में कामरा ने कहा, अगर अदालत मानती है कि उन्होंने सीमा लांघी है और उनके इंटरनेट को अनिश्चितकाल के लिए बंद करना चाहती है तो वह भी अपने कश्मीरी दोस्तों की तरह हर साल 15 अगस्त को हैप्पी इंडिपेंडेंस डे पोस्टकार्ड लिखेंगे। उनका कहना है कि अनादर और अतिशयोक्ति कामेडी के आवश्यक तत्व हैं और हास्य जनहित के मुद्दों पर अपने अनोखे अंदाज में सवाल उठाता है।

सुप्रीम कोर्ट का तिरस्कार नहीं करूंगा

कामरा ने कहा कि अगर शक्तिशाली लोग और संस्थान झिड़की या आलोचना को सहन करने में अक्षमता दिखाते रहे तो यह बंधक कलाकारों और लैपडाग का देश बनकर रह जाएगा। मैं कई मामलों में कई अदालतों के कई फैसलों से असहमत हो सकता हूं, लेकिन मैं इस पीठ से वादा करता हूं कि मेरे लिए किसी भी फैसले का मैं खुशी से सम्मान करूंगा। इस मामले में इस पीठ या सुप्रीम कोर्ट का मैं तिरस्कार नहीं करूंगा क्योंकि यह वास्तव में अदालत की अवमानना होगी।

रिक्त पदों के मामले में केंद्र से जवाब तलब

राजधानी दिल्ली में प्रिवेंशन आफ मनी लांड्रिंग एक्ट (पीएमएलए) के तहत अपीलीय ट्रिब्यूनल में चेयरपर्सन, सदस्यों और अन्य कर्मचारियों के रिक्त पदों को भरने के लिए निर्देश देने की मांग संबंधी याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को केंद्र सरकार से जवाब तलब किया। जस्टिस अशोक भूषण, जस्टिस आर. सुभाष रेड्डी और जस्टिस एमआर शाह की पीठ ने इसके लिए केंद्र को चार हफ्ते का समय दिया है। शीर्ष अदालत अधिवक्ता और कार्यकर्ता अमित सहनी द्वारा दायर जनहित याचिका पर सुनवाई कर रही थी।

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