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वाट्सएप की नई निजता नीति पर अंतरिम रोक लगाने की मांग की गई है।
सुप्रीम कोर्ट में एक याचिका दाखिल कर वाट्सएप की नई निजता नीति पर अंतरिम रोक लगाने की मांग की गई है। नीति के अमल पर रोक लगाकर 40 करोड़ से ज्यादा भारतीयों के निजता के मौलिक अधिकार की रक्षा करने के लिए अपनी शक्तियों का इस्तेमाल करे
नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट में एक याचिका दाखिल कर वाट्सएप की नई निजता नीति पर अंतरिम रोक लगाने की मांग की गई है। इसमें कहा गया है कि भारत में इस एप के 40 करोड़ से ज्यादा यूजर हैं।
वाट्सएप की नीति के अमल पर रोक लगाने की मांग
यह हस्तक्षेप याचिका इंटरनेट फ्रीडम फाउंडेशन ने 2017 के कर्मण्य सिंह सरीन एवं अन्य के मामले में दाखिल की है जो कंपनी की 2016 की निजता नीति के खिलाफ थी। सुप्रीम कोर्ट इस मामले की सुनवाई कर रहा है। याचिकाकर्ता ने शीर्ष अदालत से अनुरोध किया कि वह वाट्सएप की नीति के अमल पर रोक लगाकर 40 करोड़ से ज्यादा भारतीयों के निजता के मौलिक अधिकार की रक्षा करने के लिए अपनी शक्तियों का इस्तेमाल करे।
वाट्सएप ने यूरोपीय क्षेत्र के देशों के लिए अलग नीति जारी की
याचिका के मुताबिक, यह देखना उचित है कि वाट्सएप ने यूरोपीय क्षेत्र के देशों के लिए अलग (निजता का ज्यादा सम्मान करने वाली) 2021 नीति जारी की है। अधिवक्ता टीवीएस राघवेंद्र श्रेयस के जरिये दाखिल याचिका में कहा गया है, 'नई 2021 नीति ने वाट्सएप द्वारा एकत्रित और फेसबुक की कंपनियों के साथ साझा मेटाडाटा (अन्य डाटा का विवरण देने वाला डाटा) की श्रेणियों का विस्तार करके और वाट्सएप पर बिजनेस अकाउंट यूजर्स द्वारा साझा किए गए संदेशों की वास्तविक सामग्री को फेसबुक जैसे तीसरे पक्ष को प्रदान करके यथास्थिति को बदतर किया है।'
आप नेता ने खटखटाया सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा
उत्तर प्रदेश के विभिन्न जिलों में अपने खिलाफ दर्ज एफआइआर रद कराने के लिए आम आदमी पार्टी (आप) के नेता और राज्यसभा सदस्य संजय सिंह ने सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया है। ये एफआइआर संजय सिंह की 12 अगस्त, 2020 को लखनऊ में आयोजित प्रेस कांफ्रेंस के बाद दर्ज कराई गई थीं। उनका कहना है कि इन्हें राजनीतिक प्रतिशोध की भावना से दुर्भावनापूर्ण तरीके दर्ज कराया गया है।
इलाहाबाद हाई कोर्ट: एफआइआर रद करने से इन्कार के आदेश को दी चुनौती
एक अलग याचिका में संजय सिंह ने इलाहाबाद हाई कोर्ट के इसी साल 21 जनवरी के आदेश को भी चुनौती दी है। हाई कोर्ट ने 12 अगस्त, 2020 को लखनऊ में आयोजित प्रेस कांफ्रेंस के बाद उनके खिलाफ दर्ज एफआइआर को रद करने से इन्कार कर दिया था।
सुप्रीम कोर्ट दो फरवरी को करेगी सुनवाई
सिंह के मुताबिक, उस प्रेस कांफ्रेंस में उन्होंने आरोप लगाया था कि राज्य सरकार एक खास जाति का पक्ष ले रही है। उसमें उन्होंने समाज के खास वर्ग के प्रति सरकार की अनदेखी और उदासीनता का मुद्दा उठाया था। उनकी दोनों याचिकाओं पर जस्टिस अशोक भूषण की अध्यक्षता वाली पीठ दो फरवरी को सुनवाई करेगी।