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इस बार सरकार की नजर शहरों की हर उस समस्या पर गई है जिससे अमीर गरीब सभी पस्त हैं।
बजट में शहरों की स्वच्छता पेय जल की आपूर्ति पयार्वरण शहरों में आकर बसने वाले मजदूरों के लिए आवास जैसी हर उस समस्या पर गई है जिससे अमीर गरीब सभी पस्त हैं। पहली बार सरकार ने एक समग्र सोच के साथ शहरों की दशा बदलने के लिए एलान किए हैं।
नई दिल्ली। सरकार की ओर से बार बार संकेत दिया जा रहा था कि यह बजट एक सदी में आने वाला बजट जैसा होगा। अलग अलग मानकों पर यूं तो इसके पक्ष विपक्ष में बोलने वाले कई मिलेंगे लेकिन इसे नकारना मुश्किल है कि दशकों बाद एक ऐसा बजट जरूर आया है जो आम शहरी के जीवन में गुणवत्तापूर्ण बदलाव लाने का वादा करता है। राजनीति के तहत सामान्यतया नजरें गांव की ओर होती है लेकिन इस बार शहरों की स्वच्छता, पेय जल की आपूर्ति, पयार्वरण, शहरों में आकर बसने वाले मजदूरों के लिए आवास जैसी हर उस समस्या पर गई है जिससे अमीर गरीब सभी पस्त हैं।
दिखी शहरों की दशा बदलने की सोच
सही मायने में यह बजट ईज आफ लिविंग की दिशा में बड़ा कदम है। कोरोनाकाल में एक दृश्य बहुत डरावना था जब प्रवासी मजदूर पैदल ही अपने अपने गांव की ओर चल दिए थे। लेकिन सच्चाई यह है कि गांव से शहरों की ओर बहुत तेज पलायन जारी है। ऐसे में पहली बार सरकार ने एक समग्र सोच के साथ शहरों की दशा बदलने की सोच दिखाई है।
शहरों में जलापूर्ति के लिए कदम
स्वच्छ भारत, स्वस्थ भारत के तहत एक तरफ जहां लगभग डेढ़ लाख करोड़ रुपये की मदद से जल शोधन, कचरे के पृथ्ककरण, एकल उपयोग प्लासिटक में कमी, पयार्वरण की सुध ली जाएगी वहीं लगभग साढ़े चार हजार शहरी निकायों के लिए बीस हजार बसों का भी प्रबंध किया जाएगा। करीब तीन लाख करोड़ की मदद से शहरों में लगभग तीन करोड़ घरों को नल से जल पहुंचाया जाएगा।
पेयजल और पयार्वरण बड़ी चिंता
यह योजना पहले गांवों के लिए चलाई गई थी और देखा गया कि स्वच्छ पेयजल का जनता के स्वास्थ्य पर काफी असर पड़ा है। बड़ी संख्या में कई शहरों में समृद्ध घरों तक भी नल के जरिए सप्लाई का पेयजल नहीं पहुंच पाया है। विश्व स्वास्थ्य संगठन बार बार पेयजल और पयार्वरण की गुणवत्ता को लेकर चेताता रहा है ताकि एक वैश्किव स्वास्थ्य मानक को हासिल किया जा सके। पहली बार इसे लेकर पहल दिखी है।
ज्यादा आबादी वाले शहरों पर ध्यान
यह अफसोस की बात है कि पयार्वरण को लेकर भी राजनीति होती रही है और सरकारें भी कई बार राजनीति साधने के लिए इसे नजरअंदाज करती रही हैं। जबकि दिल्ली समेत कई बड़े महानगर और शहर प्रदूषण के धुएं से बेजार होते रहे हैं। अबकी बार बजट में दस लाख से ज्यादा आबादी वाले शहरों पर ध्यान केंद्रित किया गया है।
पुराने वाहनों को हटाने के लिए स्कैपिंग नीति
इसी क्रम में पुराने और अनुपयुक्त वाहनों को भी चरणबद्ध तरीके से हटाने के लिए स्कैपिंग नीति की घोषणा होने वाली है। बहुत जल्द सरकार अलग से इसकी घोषणा कर सकती है।
किफायती घरों की उपलब्धता बढ़ाने पर जोर
बात यहीं नहीं रुकी है। एक तरफ जहां किफायती घरों की उपलब्धता बढ़ाने की घोषणा की गई है वहीं प्रवासी मजदूरों को कम कीमत पर घर मिल सके इसके लिए बिल्डर को छूट देने की घोषणा की गई है। दरअसल शहरों को झुग्गीमुक्त बनाने की दिशा में यह ठोस कदम है। फिलहाल आशा की जा सकती है कि सही तरीके से क्रियान्वयन हुआ तो जीवन में जरूर सकारात्मक बदलाव आएंगे।