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Listed Companies ( P C : Flickr )
एक्सीलेंस इनेबलर्स के चेयरपर्सन और सेबी यूटीआइ और आइडीबीआइ के पूर्व चेयरमैन एम दामोदरन ने कहा कि यह दिलचस्प बात है कि 56 फीसद निदेशकों के पहले से चल रहे कामों के बारे में निदेशक मंडल को जानकारी नहीं थी।
नई दिल्ली। लिस्टेड कंपनियां खुदरा शेयरधारकों की संतुष्टि से खास मतलब नहीं रखती है। ये कंपनियां वित्त वर्ष के लेखाजोखा को अंतिम रूप दिए जाने के बाद वार्षिक आम सभा बुलाने में भी देर करती हैं। कॉरपोरेट गवर्नेस एडवाइजरी फर्म एक्सीलेंस इनेबलर्स की तरफ से निफ्टी से जुड़ी 50 कंपनियों के सर्वे में ये बातें सामने आई।
एक्सीलेंस इनेबलर्स की रिपोर्ट के मुताबिक, वित्त वर्ष 2019-20 में इन 50 कंपनियों में से सिर्फ सात ने शेयरधारकों की संतुष्टि का स्तर जानने की कोशिश की। 2017-18 में सिर्फ पांच कंपनियों ने ऐसी कोशिश की थी। रिपोर्ट के मुताबिक, 2019-20 में 58 फीसद स्वतंत्र निदेशकों ने कंपनी से इस्तीफा देने के पीछे पहले से किसी और कार्य से जुड़े होने की वजह बताई। 17 फीसद स्वतंत्र निदेशकों ने निजी कारणों से इस्तीफा दिया और 17 फीसद ने इस्तीफे के पीछे उम्र को कारण बताया।
एक्सीलेंस इनेबलर्स के चेयरपर्सन और सेबी, यूटीआइ और आइडीबीआइ के पूर्व चेयरमैन एम दामोदरन ने कहा कि यह दिलचस्प बात है कि 56 फीसद निदेशकों के पहले से चल रहे कामों के बारे में निदेशक मंडल को जानकारी नहीं थी। उन्होंने बताया कि इन कंपनियों में 19 फीसद स्वतंत्र निदेशकों की आयु 76 साल या उससे अधिक थी। रिपोर्ट में यह भी सामने आया कि निफ्टी से जुड़ी 50 में से 27 कंपनियां अपने बोर्ड में उत्तराधिकार सौंपने की योजना बना रही हैं।