इंग्लैंड और ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ टेस्ट सीरीज में भारत के मुकाबले फिक्स थे? ICC की जांच में सामने आई सच्चाई

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भारतीय क्रिकेट टीम के खिलाड़ी- फोटो ट्विटर पेज

अल जजीरा ने 2018 में प्रदर्शित अपनी डॉक्यूमेंट्री क्रिकेट्स मैच फिक्सर्स में दावा किया था कि 2016 में चेन्नई में इंग्लैंड के खिलाफ और 2017 में रांची में ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ टेस्ट फिक्स थे। आइसीसी ने चैनल द्वारा दिखाए गए पांच लोगों को भी क्लीन चिट दिया है

दुबई। अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट परिषद (आइसीसी) ने सोमवार को समाचार चैनल अल जजीरा के उस दावे को खारिज कर दिया कि इंग्लैड (2016) और ऑस्ट्रेलिया (2017) के खिलाफ भारत के टेस्ट फिक्स थे। आइसीसी ने कहा कि खेल के जिस तरीके को फिक्स बताया गया वह पूरी तरह से प्रत्याशित था, लिहाजा इसे फिक्स कहना अकल्पनीय है।

अल जजीरा ने 2018 में प्रदर्शित अपनी डॉक्यूमेंट्री 'क्रिकेट्स मैच फिक्सर्स' में दावा किया था कि 2016 में चेन्नई में इंग्लैंड के खिलाफ और 2017 में रांची में ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ टेस्ट फिक्स थे। आइसीसी ने चैनल द्वारा दिखाए गए पांच लोगों को भी क्लीन चिट देते हुए कहा कि उनका बर्ताव भले ही संदिग्ध हो, लेकिन उनके खिलाफ कोई साक्ष्य नहीं मिला है।कार्यक्रम में एक कथित सटोरिये अनील मुनव्वर को यह दावा करते दिखाया गया था कि उनका फिक्सिंग का इतिहास रहा है और फिक्स मैचों में विराट कोहली की कप्तानी वाली भारतीय टीम के भी दो मैच हैं। आइसीसी ने उन दावों की जांच की थी।

आइसीसी ने कहा कि उसने चार स्वतंत्र सट्टेबाजी और क्रिकेट विशेषज्ञों से जांच कराई थी। आइसीसी ने कहा, 'चारों ने कहा कि खेल के जिस हिस्से को कथित तौर पर फिक्स कहा गया वह पूरी तरह से प्रत्याशित था और उसे फिक्स नही कहा जा सकता।'आइसीसी ने उन व्यक्तियों के नामों का रहस्योद्घाटन नहीं किया, जिन्हें क्लीन चिट दी गई, लेकिन सूत्रों का कहना है कि उनमें पाकिस्तान के पूर्व क्रिकेटर हसन रजा, श्रीलंका के थरंगा इंडिका और थारिंडु मेंडिस शामिल थे। उन्होंने आइसीसी की जांच में भाग लिया। मुंबई के प्रथम श्रेणी क्रिकेटर रॉबिन मौरिस का भी इसमें जिक्र था, लेकिन वह जांच से नहीं जुड़ा

आइसीसी ने कहा, 'आइसीसी की भ्रष्टाचार रोधी संहिता के तहत इन पांचों के खिलाफ कोई आरोप नहीं बनता था। उनके खिलाफ ठोस और विश्वसनीय सबूत नहीं थे।' आइसीसी महाप्रबंधक (इंटीग्रिटी) एलेक्स मार्शल ने कहा, 'कार्यक्रम में जो दावे किए गए वो कमजोर थे। उनकी जांच करने पर पता चला कि वे विश्वसनीय भी नहीं हैं और चारों विशेषज्ञों का यही मानना था।'

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