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RGA न्यूज दिल्ली
परमाणु क्षमता से लैस अग्नि-5 मिसाइल को भारत अपने इंटरकॉन्टिनेंटल (अन्तरमहाद्वीपीय) बैलिस्टिक मिसाइल सिस्टम के पहले बैच में शामिल करने की तैयारी में है। रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (डीआरडीओ) द्वारा स्वदेश निर्मित यह परमाणु क्षमता वाली सरफेस-टू-सरफेस मिसाइल 5,000 से 8,000 किलोमीटर तक के दायरे में निशाना साध सकती है। यह चीन के लगभग हर हिस्से में पहुंच सकती है। इसके शामिल हो जाने से देश की सैन्य शक्ति को महत्वपूर्ण रूप से मजबूती मिलेगी।
हाल ही में अग्नि-5 मिसाइल का अब्दुल कलाम आईलैंड के इंटेग्रेटिड टेस्ट रेंज (आईटीआर) से सफल परीक्षण किया गया था। यह परीक्षण ओडिशा के बालासोर जिले में हुआ था। इस मिसाइल का अब तक छह बार सफल परीक्षण किया जा चुका है।
अग्नि-5 का पहला परीक्षण 19 अप्रैल, 2012 को किया गया था। दूसरी बार सितंबर 15, 2013 को, तीसरी बार 31 जनवरी 2015 को, चौथी बार 26 दिसबंर 2016 को और पांचवीं बार 18 जनवरी, 2018 को इसका परीक्षण हुआ था।
अग्नि-5 का पांचवीं बार दिसंबर 2016 में जब परीक्षण किया गया था तब इसे यह कहकर परिभाषित किया गया था कि यह इंटरकॉन्टिनेंटल बैलिस्टिक मिसाइल (आईसीबीएम) का आखिरी परीक्षण है। अग्नि-5, अग्नि सीरीज की मिसाइलें हैं जिसे डीआरडीओ ने विकसित किया है।
बता दें कि भारत के पास पहले से ही अग्नि-1, अग्नि-2 और अग्नि-3 मिसाइलें हैं। इन्हें पाकिस्तान के खिलाफ बनाई गई रणनीति के तहत तैयार किया गया है। वहीं अग्नि-4 और अग्नि-5 को चीन को ध्यान में रखते हुए तैयार किया गया है। ज्ञात हो कि 50 टन के भार वाली इस मिसाइल की लंबाई 17 मीटर और चौड़ाई 2 मीटर है। यह अपने साथ एक टन से ज्यादा के परमाणु हथियार ले जा सकती है।