NBCC ने Jaypee Infratech के IRP पर उठाए सवाल, कहा- आइआरपी ने अपने अधिकार क्षेत्र से बाहर 

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NBCC का ऑफर इस तर्क के साथ खारिज किया गया था कि फाइनेंशियल क्रेडिटर्स के लिहाज से उसकी बोली इंसॉल्वेंसी एंड बैंक्रप्सी कोड की चुनिंदा शर्तो पर खरा नहीं उतरती है। सुरक्षा ग्रुप की बोली पर अगले सप्ताह सोमवार (24 मई) से गुरुवार (27 मई) के दौरान वोटिंग होनी है।

नई दिल्ली। सरकारी कंपनी एनबीसीसी ने अपनी बोली ठुकराए जाने के बाद जेपी इन्फ्राटेक लिमिटेड (जेआइएल) के इंसॉल्वेंसी रिजॉल्यूशन प्रोफोशनल (आइआरपी) के वैधानिक क्षेत्राधिकार पर सवाल उठाए हैं। कंपनी ने एनबीसीसी के लिए अपनी बोली पर वोटिंग कराने की भी मांग की है। जेआइएल के आइआरपी ने एनबीसीसी की बोली को चुनिंदा अनुपालन में विफल बताते हुए अयोग्य घोषित कर दिया था।

आइआरपी को लिखे पत्र में एनबीसीसी ने जेपी इन्फ्रा के लिए अपने ऑफर को अनुपालन दायरे में बताया है। कंपनी ने कहा कि उसे अनुपालन पर खरा उतरने की अपनी जिम्मेदारियों का पूरा अंदाजा है। इस सप्ताह गुरुवार (20 मई) को जेपी इन्फ्राटेक के कर्जदाताओं की समिति (सीओसी) ने सिर्फ दूसरे बोलीकर्ता सुरक्षा ग्रुप की बोली पर वोटिंग का फैसला किया था।

एनबीसीसी का ऑफर इस तर्क के साथ खारिज किया गया था कि फाइनेंशियल क्रेडिटर्स के लिहाज से उसकी बोली इंसॉल्वेंसी एंड बैंक्रप्सी कोड (आइबीसी) की चुनिंदा शर्तो पर खरा नहीं उतरती है। सुरक्षा ग्रुप की बोली पर अगले सप्ताह सोमवार (24 मई) से गुरुवार (27 मई) के दौरान वोटिंग होनी है।

एनबीसीसी ने अपने पत्र में कहा कि उसकी बोली को अनुपालन में अयोग्य करार देकर आइआरपी ने अपने लिए सुप्रीम कोर्ट द्वारा उल्लिखित सीमाओं का उल्लंघन किया है। कंपनी के मुताबिक आरआरपी का काम सिर्फ कर्जदाताओं की समिति की मदद करना है, समिति को यह बताना नहीं कि किसकी समाधान प्रक्रिया कानून के दायरे में है और किसकी नहीं।

इससे पहले सूत्रों ने बताया कि आइआरपी ने अपनी रिपोर्ट में एनबीसीसी की बोली को आइबीसी के चुनिंदा मानकों पर अमान्य करार दिया था। एनबीसीसी ने पत्र में यह भी कहा कि बात नहीं सुने जाने की सूरत में उसके पास उचित मंच पर अपना पक्ष रखने का अधिकार स

उल्लेखनीय है कि कर्ज के बोझ तले दबी जेपी इन्फ्राटेक के लिए दिवालिया प्रक्रिया के चौथे चरण में इसी सप्ताह बुधवार को अंतिम बोली लगाई थी। दिलचस्प यह भी है कि एनबीसीसी की बोली को वर्ष 2019 के आखिरी महीनों में और पिछले वर्ष की शुरुआत में तीसरे चरण के तहत सीओसी और नेशनल कंपनी लॉ ट्रिब्यूनल (एनसीएलटी) द्वारा स्वीकार कर लिया गया था। इस बोली को अंतिम रूप से जीतने वाली कंपनी को जेपी इन्फ्राटेक की फंसी रियल एस्टेट परियोजनाओं के तहत 20,000 से अधिक फ्लैट का निर्माण कार्य पूरा करना है।

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