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RGA news
नीति आयोग द्वारा योजना सुझाए जाने के बाद वित्त मंत्रालय इस पर फैसला करेगा।
केंद्र सरकार ने कोरोना की दूसरी लहर से उद्योग कारोबार और अन्य पक्षों को हुए नुकसान का आकलन शुरू किया है। इसका मकसद राहत पैकेज पर विचार करना और जरूरतमंद सेक्टरों व उद्योगों को उचित समय पर पर्याप्त मदद मुहैया कराना है।
नई दिल्ली। केंद्र सरकार ने कोरोना की दूसरी लहर से उद्योग, कारोबार और अन्य पक्षों को हुए नुकसान का आकलन शुरू किया है। इसका मकसद राहत पैकेज पर विचार करना और जरूरतमंद सेक्टरों व उद्योगों को उचित समय पर पर्याप्त मदद मुहैया कराना है। सूत्रों के अनुसार नीति आयोग इकोनॉमी के प्रमुख क्षेत्रों पर काम कर रहा है। आयोग यह पता लगाने में जुटा है कि इकोनॉमी के किन क्षेत्रों को तत्काल मदद की जरूरत पड़ सकती है और उन्हें आगे बढ़ाने के लिए क्या किया जा सकता है। नीति आयोग द्वारा योजना सुझाए जाने के बाद वित्त मंत्रालय इस पर फैसला करेगा।
सूत्रों का कहना है कि जीएसटी संग्रह समेत चुनिंदा आर्थिक संकेतक अभी भी सरकार को यह भरोसा दिला रहे हैं कि स्थिति बहुत अधिक खराब नहीं हुई है। अब 31 मई को राष्ट्रीय सांख्यिकी कार्यालय (एनएसओ) चुनिंद्रा प्रमुख आंकड़े जारी करने वाला है, जिससे इकोनॉमी की सही हालत का पता चल सकेगा।
हॉस्पिटालिटी यानी आतिथ्य सत्कार, पर्यटन और विमानन जैसे सेवा क्षेत्र के उद्योग पिछले वर्ष के कोरोना संकट की मार से उबर ही रहे थे कि इस वर्ष दूसरी लहर की चपेट में आ गए। इन्हें सरकार से तत्काल वित्तीय मदद की जरूरत पड़ सकती है। फिर, कृषि के बाद देश में दूसरा सबसे बड़ा रोजगारदाता एमएसएमई क्षेत्र भी दूसरी लहर की चपेट में बुरी तरह फंसा है, जिसे वित्तीय मदद की जरूरत होगी।
सूत्रों का कहना है कि इनके लिए सरकार मौजूदा इमरजेंसी क्रेडिट लाइन गारंटी स्कीम (ईसीएलजीएस) के तहत कुछ राहत दे सकती है। वर्तमान में एमएसएमई क्षेत्र की करीब 6.5 करोड़ कंपनियां देश की जीडीपी में 30 फीसद तक योगदान दे रही हैं।भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआइ) ने इस महीने की शुरुआत में छोटे कर्जदारों के लिए कर्ज पुनर्गठन की घोषणा की थी। लेकिन जानकारों का मानना है कि इसका फायदा तभी दिखेगा जब कई राज्यों में इस वक्त लगा लॉकडाउन पूरी तरह खत्म हो जाएगा।
रेटिंग एजेंसियों ने पिछले कुछ समय के दौरान एक के बाद एक जिस तरह से चालू वित्त वर्ष के लिए विकास दर अनुमान घटाया है, उससे साफ लगता है कि कुछ सेक्टरों को तुरंत मदद की जरूरत है।हालांकि आरबीआइ ने चालू वित्त वर्ष के लिए 10.5 फीसद और एशियाई विकास बैंक ने 11 फीसद विकास दर का अनुमान लगाया है। लेकिन मूडीज ने इसे घटाकर 9.3 फीसद कर दिया है।
कोरोना की दूसरी लहर सामने आने के बाद एसएंडपी ग्लोबल रेटिंग्स ने कहा है कि चालू वित्त वर्ष (2021-22) में भारत की विकास दर 9.8 फीसद से अधिक नहीं रहेगी। उल्लेखनीय है कि पिछले वर्ष कोरोना संकट सामने आने के बाद केंद्र सरकार ने किस्तों में करीब 27.1 लाख करोड़ रुपये के राहत पैकेज की घोषणा की थी।