RGA news
भारतीय माइक्रो ब्लॉगिंग साइट Koo की फोटो दैनिक जागरण की है
Koo ने न्यूयॉर्क स्थित निवेश फर्म टाइगर ग्लोबल के नेतृत्व में सीरीज बी फंडिंग के तहत 30 मिलियन जुटाएं हैं। इस फंडिंग में एक्सेल पार्टनर्स कलारी कैपिटल ब्लूम वेंचर्स IIFL Mirae Assets और ड्रीम इनक्यूबेटर ने हिस्सा लिया
नई दिल्ली। भारतीय माइक्रो ब्लॉगिंग साइट Koo ने न्यूयॉर्क स्थित निवेश फर्म टाइगर ग्लोबल के नेतृत्व में सीरीज बी फंडिंग के तहत 30 मिलियन जुटाएं हैं। इस फंडिंग में एक्सेल पार्टनर्स, कलारी कैपिटल, ब्लूम वेंचर्स, IIFL, Mirae Assets और ड्रीम इनक्यूबेटर ने हिस्सा लिया है।
Koo के को-फाउंडर और CEO अप्रामेया राधाकृष्ण ने कहा है कि हमारे पास प्लान हैं, जिनके दम पर हम आने वाले वर्षों में दुनिया के दिग्गज सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म में से एक होंगे। इस सपने को साकार करने के लिए टाइगर ग्लोबल सही भागीदार है।
Koo ऐप को अब 6 मिलियन से ज्यादा यूजर्स डाउनलोड कर चुके हैं। इस ऐप को गूगल प्ले-स्टोर पर 4.5 अंक की रेटिंग मिली है। इस समय कू ऐप का उपयोग बॉलीवुड के दिग्गज अभिनेता अनुपम खेर, कंगना रनौत, केंद्रीय मंत्री रविशंकर प्रसाद, पीयूष गोयल और स्मृति ईरानी, कांग्रेस के वरिष्ठ नेता कमलनाथ, जेडीएस सुप्रीमो और पूर्व प्रधानमंत्री देवेगौड़ा, एनसीपी की सुप्रिया सुले और चंद्रशेखर आजाद कर रहे हैं।
इसके अलावा इन नामों में भीम आर्मी के, जदयू से उपेंद्र कुशवाहा, आप से राजेंद्र पाल गौतम, साइना नेहवाल, भाईचुंग भूटिया, जवागल श्रीनाथ, मैरी कॉम, दीपक हुड्डा सहित कई अन्य खेल हस्तियों के नाम शामिल हैं।
कुछ समय पहले बदला लोगो
बता दें कि Koo ने श्री श्री रवि शंकर के 65वें जन्मदिन के शुभ अवसर पर अपना नया लोगो लॉन्च किया था। कू ऐप का नया लोगो पहले की तरह पीली चिड़िया है, मगर अब इसे नया रूप मिला है। लोगो में तिरंगा शामिल है। उस दौरान कू के सह-संस्थापक, अप्रमेय राधाकृष्ण ने कहा था कि हम अपनी नई पहचान को सबके सामने लाने के लिए बहुत उत्साहित हैं।
हमारी नन्ही पीली चिड़िया के बालपन से किशोरावस्था में बढ़ गई है। उन्होंने आगे कहा कि हमारी चिड़िया सकारात्मकता से भरी हुई है और लोगों को जीवन के विभिन्न पहलुओं के बारे में सबसे सकारात्मक तरह से वार्ता और चर्चा करने के लिए प्रेरित करेगी।
Koo ऐप को पिछले साल मार्च 2020 में लॉन्च किया गया था। यह माइक्रो-ब्लॉगिंग ऐप है। इस ऐप में अलग-अलग क्षेत्र के लोग अपनी मातृभाषा में खुद को व्यक्त कर सकते हैं। जिस देश का सिर्फ 10 प्रतिशत हिस्सा अंग्रेजी बोलता है, वहाँ एक ऐसे सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म की गहरी आवश्यकता है जो भारतीय यूजर्स को भाषा के मनमोहक अनुभव प्रदान कर सके और उन्हें एक-दूसरे से जुड़ने में मदद कर सके।