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First Prime Minister Death Anniversary News : अपने पिता के साथ पहली बार मुरादाबाद आए थे देश के पहले प्रधानमंत्री
First Prime Minister Death Anniversary News देश के प्रथम प्रधानमंत्री पंडित जवाहर लाल नेहरू का मुरादाबाद से गहरा नाता रहा है। वह अपने पिता मोतीलाल नेहरू के साथ वर्ष 1920 में सबसे पहले मुरादाबाद आए थे। महाराजा थिएटर में 1920 में कांग्रेस का तीन दिवसीय सम्मेलन आयोजित हुआ था।
मुरादाबाद : देश के प्रथम प्रधानमंत्री पंडित जवाहर लाल नेहरू का मुरादाबाद से गहरा नाता रहा है। वह अपने पिता मोतीलाल नेहरू के साथ वर्ष 1920 में सबसे पहले मुरादाबाद आए थे। यहां बुधबाजार स्थित महाराजा थिएटर में वर्ष 1920 में कांग्रेस का तीन दिवसीय संयुक्त प्रातीय सम्मेलन आयोजित हुआ था। इसमें महात्मा गांधी के असहयोग आंदोलन के प्रस्ताव को अंतिम रूप दिया गया था। आयोजन में महात्मा गांधी, पंडित मदन मोहन मालवीय, एनी बेसेंट भी शामिल हुई थीं।
इतिहासकार मुशाहिद हुसैन ने बताया कि करीब 22 साल बाद सन 1942 में पंडित नेहरू फिर से मुरादाबाद आए थे। महात्मा गांधी के भारत छोड़ो आंदोलन के तहत देशभर में जनसभाएं हो रही थीं। तहसील ठाकुरद्वारा में सनातन धर्म इंटर कालेज के प्रबंधक साहू सीताराम और शिव सुंदरी मॉटेंसरी स्कूल के संस्थापक साहू रमेश कुमार ने जनसभा का आयोजन किया। इसे पंडित जवाहर लाल नेहरू ने संबोधि
जनसभा की मुखबिरी होने पर ब्रिटिश पुलिस ने छापा मार दिया। लेकिन, किसी को पकड़ नहीं पाई थी। बाद में खिस्सा कर ब्रिटिश पुलिस ने उनकी कोठी कुमार कुंज को सीज कर दिया था। सन 1946 में वह स्वतंत्रता संग्राम सेनानी दाऊ दयाल खन्ना के पास आए थे। इस दौरान जुलूस निकला था। बग्घी में सवार पंडित नेहरू पर जनसमूह पुष्पवर्षा कर रहा था। वह एक रात यहीं बाजीगिरान स्थित साहू राधेश्याम टंडन की कोठी में रहे थे। इस तरह नेहरू जी का कई बार मुरादाबाद आना रहा।
केदारनाथ का विरोध शांत करने आए थे नेहरू
इतिहासकार बताते हैं कि उस दौर में फोटोग्राफी कम हुआ करती थी। आजादी के बाद भी पंडित नेहरू कई बार मुरादाबाद आए। सन 1952 में जब विधानसभा चुनाव हुए तो मुरादाबाद सीट से केदारनाथ बैरिस्टर को कांग्रेस प्रत्याशी बनाया था। लेकिन, कुछ लोगों ने इसका विरोध शुरू हो गया। उनके विरोधियों को शांत करने के लिए उन्हें खुद आना पड़ा था। उन्होंने यहां टाउन हाल के मैदान में केदारनाथ के समर्थन में चुनावी जनसभा को संबोधित किया था। इसके बाद किसी तरह उनका विरोध शांत हुआ था।