सरकार अगले महीने कर सकती है आर्थिक पैकेज का ऐलान, विभिन्न सेक्टर्स के सम्पर्क में है वित्त मंत्रालय

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सरकार दूसरी लहर से होने वाले आर्थिक नुकसान के मूल्यांकन व भरपाई के उपाय की समीक्षा में जुट गई है।

कोरोना की दूसरी लहर के मंद पड़ने के संकेतों के साथ ही उद्योग जगत से आर्थिक पैकेज की मांग तेज हो गई है। छोटे-बड़े सभी प्रकार के उद्योग संगठन इकोनॉमी की विकास दर को मजबूती देने के लिए आर्थिक पैकेज को जरूरी बता रहे हैं।

नई दिल्ली। कोरोना की दूसरी लहर के मंद पड़ने के संकेतों के साथ ही उद्योग जगत से आर्थिक पैकेज की मांग तेज हो गई है। छोटे-बड़े सभी प्रकार के उद्योग संगठन इकोनॉमी की विकास दर को मजबूती देने के लिए आर्थिक पैकेज को जरूरी बता रहे हैं। उद्योग संगठनों की मांग को देखते हुए सरकार भी दूसरी लहर से होने वाले आर्थिक नुकसान के मूल्यांकन और उसकी भरपाई के उपाय की समीक्षा में जुट गई है। अगले महीने वित्त मंत्रालय छोटे उद्योग को राहत देने की घोषणा कर सकती है ताकि उनके यहां काम करने वालों की नौकरी और उन्हें मिलने वाले वेतन में कटौती की नौबत नहीं आए।

बड़े उद्योग की तरफ से सीआइआइ और छोटे उद्यमियों की तरफ से फिस्मे सरकार से आर्थिक पैकेज की मांग कर रहे हैं। सीआइआइ ने सरकार से कमजोर तबके को सीधे नकदी देकर मदद करने की मांग की है। सीआइआइ के प्रेसिडेंट उदय कोटक के मुताबिक निचले तबके को एक से दो लाख करोड़ रुपये की मदद प्रत्यक्ष तौर पर दी जानी चाहिए। वहीं, सरकार को कर्ज प्रणाली को लचीला बनाने के लिए अपने बैंकों को और पूंजी मुहैया करानी होगी। उसे कर्ज से जुड़े नियमों में ढील देनी होगी।

आर्थिक विशेषज्ञों के मुताबिक सीधे तौर पर 1-2 लाख करोड़ की मदद से अर्थव्यवस्था में मांग भी निकलेगी। फिस्मे ने आरबीआइ और वित्त मंत्रालय से कहा है कि एमएसएमई पर संकट आने का सबसे बुरा असर इस सेक्टर से जुड़े कर्मचारियों और उनके वेतन पर दिखता है। सरकार को इसे रोकने के लिए एमएसएमई से जुड़े श्रमिकों के वेतन और सामाजिक सुरक्षा का भार उठाना होगा। सरकार को अभी एमएसएमई को लोन देने के मामले में एनपीए और डिफॉल्ट जैसी शर्तों को नहीं देखना चाहिए। पूरी तरह से सरकारी गारंटी वाले लोन में सभी प्रकार के एमएसएमई को शामिल किया जाना चाहिए, चाहे उनका पुराना लोन चल रहा है या नहीं।

उद्यमियों के मुताबिक कोरोना की दूसरी लहर अर्थव्यवस्था के लिए पहली लहर के मुकाबले बड़ी चुनौती साबित हो सकती है। क्योंकि इस बार लहर के समाप्त होते ही खपत में भारी उछाल की उम्मीद नहीं की जा रही है। मांग में तेजी आने में कम से कम तीन से चार महीने लग सकते हैं। एसबीआई ने अप्रैल और मई महीने में राज्यों में होने वाले लॉकडाउन से जीडीपी में छह लाख करोड़ के नुकसान का अनुमान लगाया है। सूत्रों के मुताबिक वित्त मंत्रालय इन दिनों विभिन्न सेक्टरों से मिलने वाले सुझावों और मांगों की समीक्षा कर रहा है। जून के पहले सप्ताह से राज्यों में फिर से अनलॉक की प्रक्रिया शुरू हो सकती है। उसके बाद ही मंत्रालय किसी भी प्रकार के पैकेज की घोषणा करेगा।

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