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RGA news
मुरादाबाद के लाेग दाे माह में निगल गए 12 लाख पेरासिटामाेल
कोरोना काल में चिकित्सकीय सुविधाओं का सभी के सामने संकट खड़ा हो गया। इसके लिए बनाई गई खास दवाओं का अकाल पड़ गया और उनकी जमकर कालाबाजारी भी हुई। ऐसे में साधारण सी लगने वाली दवाओं ने कोरोना संक्रमितों को बचाया
मुरादाबाद: कोरोना काल में चिकित्सकीय सुविधाओं का सभी के सामने संकट खड़ा हो गया। इसके लिए बनाई गई खास दवाओं का अकाल पड़ गया और उनकी जमकर कालाबाजारी भी हुई। ऐसे में साधारण सी लगने वाली दवाओं ने कोरोना संक्रमितों को काल के गाल में जाने बचाया। यह दवाएं वह हैं जो आमतौर पर सर्दी जुखाम, बुखार, वायरल, फ्लू और निमोनिया होने पर दी जाती हैं। इनमें एंटीबायटिक, विटामिन और रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने वाली दवाइयां हैं। इस मुश्किल समय में इन दवाओं की खपत इतनी बढ़ गई कि जितनी दवाएं साल भर में प्रयोग होती थीं, उतनी केवल दो माह में कोरोना संक्रमितों को दे गईं। इन दवाओं की उपलब्धता सरकार की प्राथमिकता में शामिल है।
कोरोना संक्रमण की द्वितीय लहर अप्रैल से शुरू हो गई थी। हालत यह थी कि प्रत्येक दिन एक हजार से अधिक लोग संक्रमित होने की रिपोर्ट आ रही थी। कोरोना संदिग्ध अलग थे। अस्पताल में रोगियों को भर्ती कराने के लिए जगह तक नहीं मिल रही थी। संक्रमण से मरने वाले रोगियों की संख्या ने सभी की चिंता बढ़ा दी थी। विश्व स्वास्थ्य संगठन व स्वास्थ्य विभाग ने संक्रमण रोकने के लिए लोगों को जागरूक करना शुरू कर दिया था।
लोगों से अपील की जा रही थी कि जिसे बुखार या खांसी आ रही है, वह होम क्वारंटाइन हो जाएं और डब्ल्यूएचओ द्वारा निर्धारित दवाइयां लेना शुरू कर दें। दस दिन के बाद कोरोना मुक्त होकर ठीक हो जाएंगे। गंभीर हालत होने पर संक्रमित व्यक्ति अस्पताल में भर्ती हो गए। स्वास्थ्य विभाग ने कोरोना संक्रमित व्यक्ति को दवा देने के साथ उसके पूरे परिवार व संपर्क में आने वाले व्यक्ति को दवा उपलब्ध कराई।
मेडिकल किट बनी जीवनरक्षक
स्वास्थ्य विभाग द्वारा संक्रमित व उसके संपर्क में आने वाले व्यक्तियों को मेडिकल किट दी जा रही है। प्रत्येक पैकेट में बुखार के लिए पैरासीटामोल की तीस, एंटीबायटिक की तीस, एंटी वायरस की बीस, विटामिन की तीस, ङ्क्षजक सल्फेट की बीस, कैल्शियम की दस गोली दी जाती हैं। दो माह में कराई गई टेङ्क्षस्टग में 26,327 संक्रमित कोरोना रोगी मिले हैं। जबकि बिना जांच कराने वाले संक्रमित रोगी की संख्या काफी अधिक है।
जिले भर में बिके 35 लाख टेबलेट
कोरोना काल में सबसे अधिक मांग पैरासीटामोल की ही रही है। खाद्य एवं औषधि सुरक्षा प्रशासन विभाग के अनुसार पिछले दो महीनों में पैरासीटामोल की जिले में प्राइवेट खपत 35 लाख टेबलेट रही। जबकि सामान्य दिनों में यह मांग चार लाख की होती है। मेडिकल किट में प्रयोग होने वाली अन्य टेबलेट और कैप्शूल की खपत एक करोड़ से अधिक हुई है।
दो माह में वितरित हुईं 37 लाख से अधिक टेबले
दो माह में संक्रमित लोग, उनके संपर्क में आने वाले लोगों को 12 लाख 60 हजार पैरासीटामोल की टेबलेट वितरित की गईं। जबकि, सामान्य दिनों में पूरे जनपद में पूरे साल में 15 लाख पैरासीटामोल टेबलेट की खपत होती है। इसके अलावा एंटीबायटिक की दो तरह की टेबलेट 15 लाख, विटामिन की 12 लाख, ङ्क्षजक की नौ लाख और कैल्शियम की एक लाख से अधिक टेबलेट का वितरण किया गया।
जमकर हुई कालाबाजारी
दवा वितरण का दिया गया आंकड़ा केवल सरकारी अस्पताल से वितरित की गई दवाओं का है। इन दवाओं से बाजार में कहीं अधिक बिक्री हुई है। इस कारण कई प्रकार की दवाओं की बाजार में कमी पड़ गई और कालाबाजारी भी खूब हुई। हालात यह थे कि जो साधारण सी दवा का आठ से दस रुपये में मिलने वाला पत्ता 50 से 60 रुपये तक में बिका। रेमडेसिविर इंजेक्शन के सरकारी नियंत्रण में पहुंचने से पहले यह हालत हुई कि जिसके पास इंजेक्शन था, उसने जिससे जितना मिला उससे उतना वसूला। मुरादाबाद में इंजेक्शन 25 से तीस हजार रुपये तक में बेचे गए।
इन दवाओं की है सबसे ज्यादा मांग
डाक्सीसाइक्लिन, इवरमेसिटिन, मांटेलेक्यूकास्ट, फेमेटिडाइन, बीकोजिंग (कैप्सूल), विटामिन की लिम्सी, जाइकोलिचिन।
कोरोना संक्रमण बढऩे के बाद कोरोना दवाओं की खपत कई गुना बढ़ गई है। मांग पर सभी दवाइयां मुख्यालय से लगातार उपलब्ध हो रही हैं। जिससे अस्पताल में दवा की कोई कमी नहीं हैं।