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जानें प्राइवेसी से जुड़े मसले पर साइबर एक्सपर्ट की राय...
इंटरनेट मीडिया को लेकर केंद्र सरकार द्वारा जारी किए गए नए दिशा- निर्देशों के बाद शरारती तत्वों ने वाट्सएप को लेकर एक ऐसा मैसेज फैला रखा है जिससे हर आम-ओ-खास चिंतित है। जानें क्या है वह संदेश और प्राइवेसी के मसले पर साइबर एक्सपर्ट की राय...
नई दिल्ली इंटरनेट मीडिया दोधारी तलवार है। इसका तेज, सरल और सहज उपलब्ध होना मौजूदा दौर की तमाम जरूरतों को पूरा करने में मददगार है लेकिन गलत हाथों में पड़ जाए तो इसके यही गुण मुसीबत बन जाते हैं। इंटरनेट मीडिया को लेकर केंद्र सरकार द्वारा जारी किए गए नए दिशा- निर्देशों के बाद शरारती तत्वों ने वाट्सएप को लेकर एक ऐसा मैसेज फैला रखा है, जिससे हर आम-ओ-खास चिंतित है। दरअसल, इस मैसेज में कहा गया है कि नए नियम लागू होने के बाद सरकार ना केवल आपके सभी मैसेज पढ़ेगी बल्कि वाट्सएप के जरिये किए गए आडियो और वीडियो काल रिकार्ड भी करेगी। इस संबंध में जब साइबर एक्सपर्ट अनुज अग्रवाल से बात की गई तो उन्होंने सभी संदेह दूर किए।
इस तरह की अफवाह फैलाना अपराध
भारतीय दंड संहिता (आइपीसी) और साइबर कानून के तहत इस तरह की अफवाह फैलाना अपराध है। ऐसा करने वाले व्यक्ति पर धारा 505 और आइटी एक्ट की धारा 66डी के तहत कार्रवाई की जा सकती है। नई आइटी अधिसूचना में इस तरह के गंभीर मामलों पर कार्रवाई में तमाम प्लेटफार्म को कानून प्रवर्तक एजेंसियों का सहयोग करने के निर्देश दिए गए हैं
मैसेज का उद्देश्य, देश में अस्थिरता पैदा करना
वाट्सएप के संबंध में जो मैसेज वायरल हो रहा है, उसे देखकर लगता है कि यह तकनीक की जानकारी रखने वाले कुछ सिरफिरे लोगों की हरकत है। वे इसके माध्यम से देश में अस्थिरता पैदा करना चाहते हैं। उन्होंने कहा कि कई बार डाटा और आइटी कंपनियां अपने बोट एप्लीकेशन की टेस्टिंग के लिए या कोई मार्केटिंग कंपनी अपनी पब्लिक डिमांड का पता लगाने के लिए भी इस तरह का प्रयोग करती हैं। हालांकि इस मामले में ऐसा नहीं है।
नियमों को लागू करना असंभव
अगर एक बार इस मैसेज को सच मान भी लिया जाए तो सरकार इसे चाहकर भी लागू नहीं कर पाएगी। दरअसल, इसमें संविधान प्रदत्त मौलिक अधिकारों के हनन से लेकर डाटा के भंडारण जैसी समस्याएं आएंगी। देश में करीब 50 करोड़ वाट्सएप यूजर हैं। इन सबके काल रिकार्ड कर भी लिए जाते हैं तो उनके विश्लेषण, भंडारण के लिए संसाधन जुटाना असंभव है।
दांव पर है यूजर की प्राइवेसी
बड़ी तकनीकी कंपनियां डाटा का आज के दौर में उसी तरह इस्तेमाल कर रही हैं, जैसे अंग्रेज अपने उपनिवेशों का करते थे। इसे डाटा कोलोनाइजेशन कहा जाता है। एक तरह से यह लोगों की सूचना संपदा पर डाका डालने जैसी बात है।
लोगों की प्राइवेसी से जुड़े मसले अहम
लोगों की निजता के साथ ही देश की सुरक्षा से जुड़े मसलों को ध्यान में रखते हुए सरकार ने नई आइटी नीति के तहत इंटरनेट मीडिया कंपनियों को भारतीय यूजर का डाटा भारत में रखने और सर्वर भारत में लगाने का निर्देश दिया है। दरअसल, आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस के जरिये मेटा डाटा के आकलन और प्रोफाइलिंग में इस्तेमाल से नई तरह की साइबर चुनौतियां देश के सामने आ सकती हैं ऐसे में इन पर एक सीमा के बाद सरकार का नियंत्रण जरूरी है।