मीठी सुपारी से रहें दूर, लग जाएगी नशे की लत, बच्‍चों को करें जागरूक

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RGA news

नशे से जीवन में कई तरह के नुकसान होते हैं।

नशे के आदी होने के बाद युवा अपराध की तरफ बढ़ रहे हैं। माता-पिता की जिम्म्मेदारी है कि वह अपने बच्चों की इन छोटी-छोटी आदतों पर नजर रखें। सुपारी खाने से बच गए तो समझो नशे का आदी होने से बचा जा सकता है।

मुरादाबाद,स्कूली जीवन में मीठी सुपारी की आदत कतई न डालें। आपने दोस्तों के साथ मीठी सुपारी खानी शुरू कर दी तो समझो नशे के आदी होने की घंटी बज गई। टीन एजर्स का यही शौक उन्हें नशे की तरफ बढ़ाता है। सुपारी के बाद गुटखा फिर शराब पीने के आदी होते चले जाते हैं। इसके बाद जीवन में कई तरह के नुकसान होते हैं।

नशे के आदी होने के बाद युवा अपराध की तरफ बढ़ रहे हैं। माता-पिता की जिम्म्मेदारी है कि वह अपने बच्चों की इन छोटी-छोटी आदतों पर नजर रखें। सुपारी खाने से बच गए तो समझो नशे का आदी होने से बचा जा सकता है। एम्स के सर्वे के मुताबिक 11 से 18 साल की उम्र के बीच में सबसे अधिक बच्चे नशे के आदी होते हैं। इनमें से ज्यादातर वही बच्चे होते हैं, जो स्कूली जीवन में मीठी सुपारी खाना शुरू कर देते हैं। इसके बाद वह आगे बढ़ते चले जाते हैं। इसमें उनके दोस्ती किस तरह के बच्चों से होती है, यह बात भी काफी अहमियत रखती है। शराब की बिक्री पर तो सरकार की कोई रोक नहीं है। लेकिन, नशे की रोकथाम के लिए मजबूती से काम नहीं होता है। साल भर के लिए रूटीन का बजट आता है। इस साल वह भी अभी तक नहीं मिला। नशे की रोकथाम के लिए जागरूकता कराने को आठ जिलों के लिए दो होर्डिंग 180 वॉल पेटिंग के लिए धनराशि मिलती है। 20 जागरूकता कार्यक्रम होते हैं। क्षेत्रीय मद्य निषेध अधिकारी आरएल राजवंशी जिस जिले में चाहते हैं, कार्यक्रम करा देते हैँ। इसके अलावा जिला मद्य निषेध समिति को 1948 से एक हजार रुपये ही बजट मिल रहा है। डीएम की अध्यक्षता में इस धनराशि को खर्च करने के लिए बैठक होती है। पिछले साल भारत सरकार ने एम्स के सर्वे के बाद नेशनल एक्शन प्लान फार ड्रग डिमांड रिडेक्शन (एनएपीडीडीआर) के तहत जिले को 20 हजार रुपये दिए थे। यह सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता मंत्रालय की स्कीम है। इसके तहत मुरादाबाद मंडल में नशे की रोकथाम के लिए तमाम कार्यक्रम हुए। लेकिन, इन दिनों कोरोना संक्रमण की वजह से सबकुछ बंद पड़ा है। इसलिए कोई कार्यक्रम भी नहीं हो रहे हैँ। जिला मद्य निषेध अधिकारी गगन यादव ने बताया कि नशे की शुरुआत स्कूली जीवन से हाेती है। इसलिए बच्चों पर नजर रखनी चाहिए। उन्हें मीठी सुपारी से दूर रखें। बताएं कि यह आपके स्वास्थ्य के लिए घातक साबित होगी। नशे के दुष्परिणामों के बारे में जानकारी दें। प्यार से बात करें। ताकि वह समझ जाए तो नशे का आदी होने से बच सके।

बच्चों के किसी भी तरह का नशा करने की शिकायत मिले तो उससे प्यार के साथ बात करें। उसे नशे से होने वाले नुकसानों की जानकारी दें, कैंसर जैसी घातक बीमारी के बारे में भी बताएं। कहें कि तंबाकू जीवन के लिए खतरनाक है। इससे खुद ही वह नशे से दूर होने की कोशिश करेगा। गुस्से से बात करने पर बच्चे के दिमाग पर अच्छा प्रभाव नहीं पड़ेगा।

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