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RGA न्यूज़
59 वें डीएम के रूप में चार साल दो महीने सात दिनों तक संभाला कार्यभार।
मुरादाबाद में सीएम योगी आदित्यनाथ ने सबसे भरोसेमंद अफसर को मुरादाबाद की कमान सौंपी थी इसमें वह सफल भी रहे। मंडल के चार जनपदों में सीएए और एनआरसी को लेकर खूब उपद्रव देखने को मिला। लेकिन मुरादाबाद में एक भी पत्थर नहीं चला
मुरादाबाद देश आजाद हुए 73 साल बीत चुके हैं। इस दौरान मुरादाबाद जनपद में अफसरों के आने-जाने का सिलसिला लगातार जारी रहा। लेकिन कुछ ही अफसर रहे, जो अपने तय समय से ज्यादा कार्यकाल को पूरा करके रिकार्ड कायम करने का काम किया। सूबे में भाजपा की सरकार बनने के बाद 28 अप्रैल 2017 में 2010 बैच के आइएएस अफसर राकेश कुमार सिंह डीएम का कार्यभार संभाला था। वह मुरादाबाद के 59वें डीएम थे। पीसीएस से प्रमोट होने के बाद डीएम के रूप में उन्हें पहली तैनाती मुरादाबाद जनपद में मिली थी।
अतिसंवेदनशील जनपद और विपक्ष का गढ़ माने जाने वाले मुरादाबाद में सीएम योगी आदित्यनाथ ने सबसे भरोसेमंद अफसर को मुरादाबाद की कमान सौंपी थी, इसमें वह सफल भी रहे। शायद इसी भरोसे का परिणाम है कि साल 1955 के बाद आइएएस राकेश कुमार सिंह दूसरे ऐसे डीएम बने, जो चार साल दो महीने सात दिनों तक अपनी कुर्सी पर निर्विवाद बैठे रहे। उनसे पहले साल आजादी के बाद साल 22 नवंबर 1950 आइएएस एमजी कॉल को मुरादाबाद का डीएम बनाया गया था। उन्होंने मुरादाबाद जनपद के पांचवें डीएम के रूम में सबसे ज्यादा चार साल तीन महीने 21 दिन तक कार्यभार संभाला था। हालांकि, मौजूदा डीएम उनके कार्यकाल से महज एक माह कुछ दिन ही पीछे रहे गए। लेकिन, मुरादाबाद में 71 साल बाद जनपद में डीएम की कुर्सी पर इतने लंबे समय तक कायम रहने वाले राकेश कुमार सिंह दूसरे आएएस अफसर हैं। आजादी के बाद मुरादाबाद जनपद में पहले डीएम के रूप में आइएएस अफसर हरपाल सिंह को कार्यभार सौंपा गया था। करीब ढाई साल तक मुरादाबाद के प्रथम डीएम के रूप में कार्य किया था। जिले में अब तक 59 डीएम की तैनाती हो चुकी है, जबकि 60 वें डीएम के रूप में लखीमपुर खीरी के डीएम शैलेन्द्र कुमार सिंह कार्यभार संभालेंगे
पक्ष और विपक्ष के साथ जनता भी रही मुरीद
मुरादाबाद जनपद में जिस समय आइएएस राकेश कुमार सिंह ने जिलाधिकारी का कार्यभार संभाला था, वह समय काफी चुनौतीपूर्ण था। ऐसे में बतौर डीएम पहली बार मुरादाबाद का कार्यभार ग्रहण के साथ ही चुनौतियों से निपटने और विकास कार्यों को सुचारू रूप से चलाने की बड़ी जिम्मेदारी उनके कंधों पर थी। लेकिन, उन्होंने किसी का भरोसा टूटने नहीं दिया। कार्यालय में सबसे ज्यादा समय तक जनता की शिकायतों को सीधे सुनकर निस्तारण किया। इसके साथ ही सत्ता पक्ष के नेताओं के साथ ही विपक्ष के नेताओं की पूरी बात सुनने के साथ ही जनहित से जुड़े मामलों में त्वरित कार्रवाई करके उनका भी भरोसा जीता।
नहीं सुलगने दिया शहर
केंद्र सरकार के कानून सीएए और एनआरसी को लेकर उत्तर प्रदेश के लगभग सभी जनपदों में आगजनी और पत्थरबाजी की घटनाएं हुई। मंडल के चार जनपदों में खूब उपद्रव देखने को मिला। लेकिन मुरादाबाद में कानून को लेकर विरोध तो हुआ, लेकिन एक भी पत्थर नहीं चला। यह जिलाधिकारी की सूझबूझ का नतीजा था कि उन्होंने शहर को सुलगने से बचा लिया।
अधूरा रह गया हवाई उड़ान का प्लान
इतने लंबे समय और अच्छे प्रशासक के तौर पर काम करने के बावजूद मुरादाबाद से हवाई उड़ान का कार्य पूरा नहीं करा पाए। जबकि, इस कार्य में उन्होंने विशेष रुचि ली थी। सभी विवादाें का निपटारा भी किया था, इसके बावजूद वह हवाई अड्डे से उड़ान नहीं भरी जा सकी।