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करीब सवा माह बंद रहने के बाद गोरखपुर का चिड़ियाघर बुधवार को खुल गया।
करीब सवा माह बंद रहने के बाद गोरखपुर चिडिय़ाघर खुल गया। सुबह नौ बजे से लेकर शाम चार बजे तक टिकट काउंटर खुला रहा। शाम पांच बजे चिडिय़ाघर बंद किया गया। इस दौरान 449 बड़ों और 52 बच्चों के टिकट बिके।
गोरखपुर कोरोना कर्फ्यू की वजह से एक माह नौ दिन बंद रहे शहीद अशफाक उल्ला खां प्राणि उद्यान (चिडिय़ाघर) के खुल गया है। पहले दिन करीब सात सौ लोग वन्यजीवों को देखने पहुंचे। हालांकि चिडिय़ाघर के अधिकारियों को काफी भीड़ आने की उम्मीद थी। इसी हिसाब से उन्होंने तैयारी भी कर रखी थी। कोरोना वायरस के प्रकोप को देखते हुए चिडिय़ाघर प्रशासन दर्शकों के मास्क लगाने, हाथ सैनिटाइज करने तथा शारीरिक दूरी के नियम का पालन कराने को लेकर पूरे दिन सतर्क रहा।
शाम पांच बजे तक ही खुलेगा चिडिय़ाघर
चिडिय़ाघर के निदेशक डा. एच राजा मोहन ने बताया कि सुबह नौ बजे से लेकर शाम चार बजे तक टिकट काउंटर खुला रहा। शाम पांच बजे चिडिय़ाघर बंद किया गया। इस दौरान 449 बड़ों और 52 बच्चों के टिकट बिके। इनके अलावा छह साल से कम उम्र के करीब दो सौ बच्चों ने भी अभिभावकों के साथ चिडिय़ाघर घूमने का आनंद उठाया। छह वर्ष से कम उम्र के बच्चों को चिडिय़ाघर में निश्शुल्क प्रवेश दिया जाता है। प्राणि उद्यान के प्रवेश द्वार पर ही दर्शकों का हाथ सैनिटाइज कराने की व्यवस्था की गई थी।
कोविड नियमों का हो रहा पालन
सैनिटाइजेशन के बाद ही दर्शकों को चिडिय़ाघर के अंदर जाने दिया जा रहा था। गर्मी को देखते हुए चिडिय़ाघर प्रशासन ने पानी का बोतल साथ ले जाने की दर्शकों को छूट दे रखी थी। कुछ लोग खाद्य सामग्री भी लेकर अंदर चले गए थे। हालांकि इसकी मनाही ही थी। चिडिय़ाघर के पशु चिकित्साधिकारी डा. योगेश प्रताप सिंह ने बताया कि गर्मी से अधिक परेशान रहने वाले कई वन्यजीवों के बाड़ों में घास के पर्दे लगा दिए गए हैं। पर्दे पर पानी की बौछार की जा रही है। बब्बर शेर, भालू, तेंदुआ और बाघ को गर्मी के प्रकोप से बचाने के लिए उनके बाड़ों के अंदर कूलर भी लगाया गया है। लंबे समय बाद दर्शकों के आने से बाड़ों के अंदर वन्यजीव अपेक्षाकृत अधिक सक्रिय दिखाई दे रहे थे। सभी वन्यजीवों को उन्होंने पूरी तरह स्वस्थ बताया है।