दूसरी लहर के बावजूद सरकारी खजाने पर नहीं पड़ेगा गहरा असर, GST कलेक्शन रहेगा उम्मीद से बेहतर

Praveen Upadhayay's picture

RGAन्यूज़

SBI ने सोमवार को यह रिपोर्ट जारी की है।

SBI की शोध टीम की रिपोर्ट कहती है कि GST संग्रह की स्थिति और पेट्रोल-डीजल से बड़े पैमाने पर राजस्व संग्रह से केंद्र सरकार का राजकोषीय गणित सही बैठता दिख रहा है। इस वजह से इसका सरकार के खजाने पर बहुत उलटा असर होता नहीं दिख रहा है

नई दिल्ली। कोरोना की दूसरी लहर ने अप्रैल-मई, 2021 के दौरान जनजीवन के साथ ही आर्थिक गतिविधियों को बहुत प्रभावित किया है, लेकिन इसका सरकार के खजाने पर बहुत उलटा असर होता नहीं दिख रहा है। SBI की शोध टीम की रिपोर्ट कहती है कि GST संग्रह की स्थिति और पेट्रोल-डीजल से बड़े पैमाने पर राजस्व संग्रह से केंद्र सरकार का राजकोषीय गणित सही बैठता दिख रहा है। ऐसे में चालू वर्ष के दौरान राज्यों के राजस्व में कमी की क्षतिपूर्ति के लिए भी केंद्र सरकार को कोई भारी उधारी लेने की जरूरत नहीं होगी। हालांकि पूरी इकोनॉमी की जो स्थिति बन रही है, उसमें RBI के लिए ब्याज दरों में कटौती करके आर्थिक गतिविधियों को तेज करने का विकल्प मुश्किल होगा। महंगाई के मोर्चे से आ रही चुनौतियों का असर अंतत: रुपये की कीमत पर भी दिखाई दे सकता है।

SBI ने सोमवार को यह रिपोर्ट जारी की है। इसमें कहा गया है कि पीएम नरेंद्र मोदी ने हाल ही में 18 वर्ष से ज्यादा आयु के सभी लोगों को सरकार की तरफ से वैक्सीन दिलाने का एलान किया है। यह सरकार की नीति में एक बड़ा बदलाव है, लेकिन इसका कोई बड़ा आर्थिक बोझ पड़ता नहीं दिख रहा है। इस घोषणा पर अमल के लिए भारत सरकार को 103 करोड़ अतिरिक्त वैक्सीन की डोज खरीदने की जरूरत होगी। इससे सरकार को कुल 48,851 करोड़ रुपये खर्च करने की जरूरत होगी। इसमें से 35 हजार करोड़ रुपये का इंतजाम बजट में किया जा चुका है। यानी केंद्र सरकार को 13,851 करोड़ रुपये और खर्च करने होंगे, जो बड़ी राशि नहीं है।

दूसरी तरफ अप्रैल और मई में GST संग्रह से ऐसा लग रहा है कि सरकार को इस वर्ष उम्मीद से ज्यादा GST मिल सकती है। यही नहीं पेट्रोल और डीजल से भी राजस्व में भारी कमाई होगी। केंद्र सरकार पेट्रोल व डीजल से कुल 4.11 लाख करोड़ रुपये का राजस्व हासिल कर सकती है जबकि आम बजट 2021-22 में 3.35 लाख करोड़ रुपये का अनुमान लगाया गया है। यानी यहां भी सरकार को अतिरिक्त राजस्व मिलेगा, जिससे राजकोषीय स्थिति को सुधारने में मदद मिलेगी।

इन मोर्चों पर रहेगी चुनौती

इन परिस्थितियों में चुनौती को लेकर SBI की रिपोर्ट कहती है कि अगले कुछ महीने आर्थिक गतिविधियों पर नजर बनाकर रखनी होगी। महंगाई की सूरत देखते हुए अब ऐसा लग रहा है कि RBI ब्याज दरों के जरिये मांग बढ़ाने की स्थिति में नहीं है। सरकार को अपनी राजकोषीय नीति के जरिये ही अब विकास दर को तेज राह पर लाने की कोशिश करनी होगी।

SBI ने सीधे तौर पर तो नहीं कहा है, लेकिन इसका मतलब यह हुआ कि सरकार को शुल्क आदि में कटौती करके उद्योग जगत को प्रोत्साहन देना होगा। महंगाई और अंतरराष्ट्रीय बाजार में कमोडिटी कीमतों में तेजी को देखते हुए RBI के लिए अब ज्यादा सक्रिय भूमिका निभाना मुश्किल होगा, क्योंकि केंद्रीय बैंक को अब महंगाई को थामने की भी कोशिश करनी होगी

News Category: 

Scholarly Lite is a free theme, contributed to the Drupal Community by More than Themes.