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RGAन्यूज़
स्वदेशी उत्पादों के इस्तेमाल को बढ़ावा देने के लिए आत्मनिर्भर भारत अभियान की शुरुआत की थी।
Boycotts of Chinese Products गलवन घाटी संघर्ष के बाद भारतीय काफी गुस्से में थे। नवंबर 2020 के त्योहारी सीजन में इंटरनेट मीडिया लोकल सर्कल्स की तरफ से कराए गए सर्वे में 71 फीसद भारतीयों ने कहा था कि उन्होंने चीन निर्मित कोई भी सामान नहीं खरीदा।
नई दिल्ली लद्दाख की गलवन घाटी में भारतीय व चीनी सैनिकों में हुए संघर्ष के एक साल बाद भी दोनों देशों के व्यापार और वाणिज्य के क्षेत्र में इसका असर देखा जा सकता है। भारत सरकार ने सीमा पर हुए संघर्ष के बाद चीन को आर्थिक मोर्चे पर पटखनी देने और स्वदेशी उत्पादों के इस्तेमाल को बढ़ावा देने के लिए आत्मनिर्भर भारत अभियान की शुरुआत की थी।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी इसके जरिये देश को आर्थिक मोर्चे पर मजबूत करना चाहते थे, क्योंकि गत वर्ष कोरोना लाकडाउन के कारण आर्थिक गतिविधियां लंबे समय तक बंद रही थीं। बाद में सरकार ने टिकटाक समेत 100 चीनी एप को प्रतिबंधित कर दिया। गलवन घाटी संघर्ष के बाद भारतीय काफी गुस्से में थे। नवंबर 2020 के त्योहारी सीजन में इंटरनेट मीडिया लोकल सर्कल्स की तरफ से कराए गए सर्वे में 71 फीसद भारतीयों ने कहा था कि उन्होंने चीन निर्मित कोई भी सामान नहीं खरीदा।
कोरोना की दूसरी लहर मंद पड़ने लगी है। ऐसे में भारतीय उपभोक्ताओं के मौजूदा रुख को समझने के लिए लोकल सर्कल्स ने एक बार फिर सर्वे किया। इसमें 43 फीसद लोगों ने कहा कि उन्होंने पिछले एक साल में चीन निर्मित कोई सामान नहीं खरीदा है।
ऐसे किया गया सर्वे: 281 जिलों में रहने वालों लोगों की 18 हजार प्रतिक्रियाएं ली गईं। प्रतिक्रिया देने वालों में 33 फीसद महिलाएं व 67 फीसद पुरुष थे। 44 फीसद लोग टियर एक, 31 फीसद टियर दो व 25 फीसद टियर तीन, चार और ग्रामीण इलाकों से थे।