लगान के निर्माण के दौरान पत्नी रीना दत्ता की डांट अभी तक नहीं भूले आमिर ख़ान, सुनाया दिलचस्प क़िस्सा

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RGAन्यूज़

रीना को इस फ़िल्म से जोड़ने का क़िस्सा सुनाते वक़्त आज भी आमिर की आंखों में चमक और आवाज़ में जोश साफ़ झलकता है। आमिर के हर एक शब्द में रीना के प्रति आभार की परत नज़र आती है वहीं ह्यूमर इस याद को रोचक बना देता है

नई दिल्ली। लगान- वंस अपॉन अ टाइम इन इंडिया... ना सिर्फ़ भारतीय सिनेमा की एक ज़रूरी फ़िल्म है, बल्कि आमिर ख़ान के लिए यह उनके करियर का कभी ना भूलने वाला पड़ाव है, क्योंकि इस फ़िल्म के साथ आमिर ने उस रास्ते पर पहला क़दम बढ़ाया, जिस पर वो कभी नहीं जाना चाहते थे। आमिर लगान के साथ निर्माता बने। अपना बैनर आमिर ख़ान प्रोडक्शंस शुरू किया और आमिर के इस बेहद अहम क़दम में उनका साथ दिया पूर्व पत्नी रीना दत्ता ने।

रीना को इस फ़िल्म से जोड़ने का क़िस्सा सुनाते वक़्त आज भी आमिर की आंखों में चमक और आवाज़ में जोश साफ़ झलकता है। आमिर के हर एक शब्द में रीना के प्रति आभार की परत नज़र आती है, वहीं ह्यूमर इस याद को रोचक बना देता है। आमिर ने लगान के 20 साल पूरे होने पर वर्चुअल माध्यम के ज़रिए मीडिया से बातचीत की और बातों-बातों में लगान के यह दिलचस्प क़िस्सा निकला।

आमिर ने कहा- लगान की अनगिनत यादें हैं मेरे पास। मेरे लिए सबसे स्पेशल मेमोरी रीना हैं। मैंने रीना से कहा कि मैं प्रोड्यूस कर रहा हूं तो आप मेरा साथ, मुझे मदद मिल जाएगी। मगर, रीना को तब तक फ़िल्ममेकिंग के बारे में कुछ पता नहीं था। रीना उस वक़्त कम्प्यूटर साइंस सीख रही थीं। फ़िल्ममेकिंग के बारे में जानने के लिए वो सुभाष घई से जाकर मिलीं। लैब ऑनर्स से मिलीं। उन्होंने बाकायदा टेक्नीकल बातों की जानकारी ली। उन्होंने इतने कम समय में कैसे सारी चीज़ें सीखीं और इतनी बड़ी फ़िल्म प्रोड्यूस कर दी। यह मेरे लिए आज भी हैरत की बात है।

आमिर आगे बताते हैं- वो बहुत सख़्त प्रोड्यूसर थीं। मुझे भी डांटकर रखा। सबको पैरों पर रखती थीं। आप सोचिए, जो एक नई लड़की प्रोड्यूसर बनी है, वो आशुतोष गोवारिकर, मुझे और दूसरे अनुभवी लोगों को डांटती थी... अनिल मेहता, अतुल कामटे, सबको डांटती थीं। कहती थी- आपने शेड्यूल बताया तीन दिन का और आप पांच दिन लगा रहे हैं।

आप लोगों को क्या एक्सपीरिएंस नहीं है? आप लोग कैसे काम कर रहे हैं! लेकिन, जब फ़िल्म कम्पलीट हुई तो रीना ने पूरी टीम को एक लेटर लिखा। उसमें क्या लिखा था, वो ठीक से याद नहीं, लेकिन वो लेटर पढ़कर मैं ख़ूब रोया। आशु (आशुतोष गोवारिकर) के पास लेटर अभी भी होगा। यह एक इमोशनल लेटर था और मुझे छू गया था।

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