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RGA न्यूज़
भारतीय जनता पार्टी गोरखपुर में जिला पंचायत सदस्य पद के लिए पूर्व मुख्मंत्री सीएम बीर बहादुर सिंंह की बहू व यूपी सरकार के पूर्व कद्दावर मंत्री रहे फतेह बहादुर सिंंह की पत्नी साधना सिंंह पर दांव लगा सकती है
गोरखपुर, जिला पंचायत अध्यक्ष के चुनाव की तिथि घोषित होने के बाद राजनीतिक सरगर्मी तेज हो गई है। भाजपा व समाजवादी पार्टी के पदाधिकारियों से लेकर कार्यकर्ताओं में उन नामों की चर्चा फिर से शुरू हो गई, जिन्होंने जिला पंचायत सदस्य का चुनाव परिणाम आने के बाद मजबूती से अपनी दावेदारी पेश की थी। माना जा रहा है कि भाजपा गोरखपुर में पूर्व मुख्यमंत्री बीर बहादुर सिंह की बहू और पूर्व मंत्री फतेह बहादुर सिंह की पत्नी साधना सिंह पर दांव लगा सकती है। साधना सिंह निर्दल जिला पंचायत सदस्य हैं।
उलझाने वाला है इस बार का चुनावी गणित
बीते दिनों भाजपा के प्रदेश नेतृत्व ने क्षेत्र की टीम से जिला पंचायत अध्यक्ष पद के लिए प्रस्तावित तीन नाम मांगे। पंचायत सदस्य चुनाव में भाजपा का प्रदर्शन ठीक न होने की वजह से इन नामों के चयन में जिम्मेदारों को खासी मशक्कत करनी पड़ी। जिताऊ प्रत्याशी के चयन मेंं उन्हें धन और जन दोनों से शक्तिशाली नाम की तलाश करनी पड़ी। गोरखपुर की बात करें तो यहां 68 वार्डों वाली जिला पंचायत में महज 19 वार्डों में जीत हासिल हो सकी। जीतने वाले छह बागियों को भी भाजपा ने अपने खाते में जोड़ लिया तो भी उसे जीत के लिए 10 और जिला पंचायत सदस्यों की दरकार है। निश्चित तौर पर ऐसे में उस प्रत्याशी पर ही दांव आजमाना होगा, जो इन 10 सीटों को मैनेज कर सके
ऐसे भारी पड़ा साधना सिंह का नाम
ऐसे में जिन तीन नामों को पार्टी की ओर से भेजे जाने की चर्चा है, उनमें सर्वाधिक चर्चा पहले भी अध्यक्ष की कमान संभाल चुकी साधना सिंह की हैं। उनके पति कैंपियरगंज के विधायक कुंवर फतेह बहादुर सिंह के बारे लोगों का विश्वास है कि वह ही एकमात्र दावेदार हैं, अपने पत्नी के लिए चुनाव का रुख पार्टी के पक्ष में करने में सक्षम हैं। हालांकि दो अन्य दावेदार मायाशंकर शुक्ला और मनोज शुक्ला का भी दावा है कि वह पार्टी के पक्ष में चुनाव का रुख करने में सक्षम हैं लेकिन सूत्रों की मानें तो पार्टी नेतृत्व को ज्यादा भरोसा विधायक के दावे पर ही है। खैर अब वह घड़ी आ गई है, जब किसके दावे पर पार्टी का ज्यादा भरोसा है, वह स्थिति साफ हो जाएगी।
सपा ने भी झोंकी ताकत
इस पद के लिए समाजवादी पार्टी अभी तक उम्मीदवार तय नहीं कर पाई है। जनवरी 2016 में जिला पंचायत अध्यक्ष के लिए हुए चुनाव में सपा की गीतांजलि यादव ने जीत हासिल की थी। उनका कार्यकाल पूरा होने के बाद होने जा रहे चुनाव में अध्यक्ष की कुर्सी पर काबिज रहना सपा के लिए बड़ी चुनौती होगी। इस चुनौती का सामना करने के लिए पार्टी की दमदार उम्मीदवार की तलाश अभी पूरी नहीं हो पाई है। हालांकि सपा जिलाध्यक्ष नगीना प्रसाद साहनी का कहना है कि उम्मीदवार को लेकर पार्टी फोरम पर विस्तार से चर्चा हो चुकी है। हाईकमान से हरी झंडी मिलते ही उम्मीदवार का नाम घोषित कर दिया जाएगा।
जीत का दावा कर रही है सपा
जनवरी 2015 में हुए पंचायत चुनाव में 73 जिला पंचायत सदस्य चुने गए थे। नगर निगम की सीमा का विस्तार किए जाने के बाद हुए परिसीमन में जिला पंचायत वार्ड की संख्या घटकर 68 रह गई। जिला पंचायत के चुनाव में राजनीतिक दलों के समर्थित उम्मीदवार मैदान में उतरे थे। चुनाव परिणाम आने के बाद सपा ने चुनाव में जीत हासिल करने वाले पार्टी समर्थित 20 उम्मीदवारों की सूची जारी की थी। साथ ही सपा जिलाध्यक्ष का दावा है कि पार्टी की विचारधारा से इत्तफाक रखने वाले एक दर्जन से अधिक लोग चुनाव जीत कर आए हैं।
उम्मीदवार पर चल रहा मंथन
पार्टी समर्थित और विचारधारा से सहमति रखने वाले जिला पंचायत सदस्यों के समीकरण से सपा एक बार फिर अध्यक्ष की कुर्सी का सफर तय करने की उम्मीद पाले सपा की फिलहाल अभी तक चुनावी मुकाबले में प्रतिद्वंद्वी को बराबर की टक्कर देने लायक उम्मीदवार की तलाश पूरी नहीं हो पाई है। हालांकि सपा जिलाध्यक्ष का कहना है कि उम्मीदवार के चयन को लेकर पार्टी फोरम पर कई दौर की चर्चा हो चुकी है। पार्टी हाईकमान को कुछ नाम भेजे गए हैं। हाईकमान के दिशा-निर्देश पर ही अंतिम फैसला लिया जाएगा। उन्होंने इसी सप्ताह उम्मीदवार का नाम घोषित कर देने की बात कही है।
तीन जुलाई को होगा चुनाव
जिला पंचायत अध्यक्ष चुनाव के लिए मतदान की तिथि तीन जुलाई तय कर दी गई है। उसी दिन मतगणना भी होगी। नामांकन 26 जून को होगा।