2019 में प्रस्तावित लोकसभा चुनाव की प्रक्रिया शुरू होने में करीब सात महीने का समय बचा है। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और भाजपा अध्यक्ष अमित शाह ने चुनाव बाद सत्ता में लौटने की तैयारी शुरू कर दी है। यूपीए अध्यक्ष सोनिया गांधी ने भी सहयोगियों के सहारे शतरंज की बिसात पर मोहरें बिछा दी हैं। उच्चपदस्थ सूत्रों का कहना है कि यूपीए ने न्यूनतम साझा कार्यक्रम (कामन मिनिमम प्रोग्राम, सीएमपी) के जरिए एनडीए को आम चुनाव में मात देने की तैयारी कर ली है। जिसका पहला लिटमस टेस्ट साल के अंत में होने वाले चार राज्यों में प्रस्तावित विधानसभा चुनाव में होने वाला है।
RGA न्यूज दिल्ली
शरद पवार सक्रिय हैं
एनसीपी के प्रमुख शरद पवार काफी सक्रिय हैं। कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी उनके आवास पर राजनीति के गुर सीखने जाते रहते हैं। शरद पवार की राजनीति की थेसिस से यूपीए चेयरपर्सन सोनिया गांधी और राहुल गांधी दोनों ही सहमत हैं। यूपीए के खेमे में सहयोगियों को जोड़ने में शरद पवार काफी सहायक हो रहे हैं। उन्होंने ममता बनर्जी, मायावती समेत कई नेताओं से खुद बातचीत की है। कुल मिलाकर तैयारी आगामी चुनाव में भाजपा और उसके खेमे को जोरदार राजनीतिक पटखनी देने की है। विपक्ष के सभी नेताओं की राय है कि एकजुटता के साथ एनडीए का मुकाबला किया जाए। इसके लिए थोड़ी-बहुत कुर्बानी भी चलेगी।
क्या है मर्म ?
भाजपा को 2014 के आम चुनाव में आठ राज्यों मे बहुमत का आंकड़ा दे दिया था। 282 सीट पर पार्टी सफलता के झंडे गाडऩे में सफल रही थी। कांग्रेस पार्टी और उसके सहयोगी दलों का मानना है कि यदि इन आठ राज्यों में भाजपा को तगड़ी चुनौती मिल जाए तो उसके लिए 2019 की राह मुश्किल क्या नामुुमकिन हो जाएगी। यूपीए के रणनीतिकारों के अनुसार भाजपा के पास 2019 के आम चुनाव में जाने के लिए विकास का मुद्दा अब नहीं बचा है। जनता में प्रधानमंत्री की लोकप्रियता भी कुछ कम हुई है। ऐसे में भाजपा मतदाताओं के ध्रुवीकरण को मुख्य हथियार के रूप में अपनाने की कोशिश करेगी। भाजपा के इस प्रयास को जातियों के समीकरण पर चुनौती दी जा सकती है।
यहां भी प्लान ए और बी है
उत्तर प्रदेश, बिहार, झारखंड, उत्तराखंड, राजस्थान, मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ, महाराष्ट्र, हरियाणा, पंजाब, दिल्ली, हिमाचल और गुजरात में भाजपा के जनाधार की जान बसती है। यूपीए के रणनीतिकार इन राज्यों में एकजुटता के सहारे भाजपा की आक्सीजन सप्लाई चैन रोक देना चाहते हैं। बताते हैं उ.प्र. कांग्रेस, सपा, बसपा और रालोद का गठबंधन होना करीब-करीब तय है। बसपा 35 से अधिक, सपा-रालोद 35 और करीब आठ पर कांग्रेस उ.प्र. की 80 लोकसभा सीटों में बंटवारा कर सकते हैं। कांग्रेस कम से कम दस सीटों पर चुनाव लड़ना चाहती है, लेकिन 7-8 सीट की ही गुंजाइश बन पाने के संकेत हैं। इसी तरह से झारखंड, बिहार में भी राजनीतिक गठजोड़ होगा। राजस्थान, म.प्र. और छत्तीसगढ़ में भी गठबंधन होना करीब-करीब तय है। कांग्रेस अध्यक्ष सचिन पायलट उत्साह से भरे हैं। वह राज्य विधानसभा में कोई तालमेल नहीं चाहते, लेकिन बसपा चाहती है। समझा जा रहा है कि बसपा का रुख देखकर कांग्रेस राजस्थान में बसपा के लिए सीटें छोड़ेगी। इसी तरह से म.प्र. और छत्तीसग गढ़ में भी समझौता होगा। बसपा के लिए 230 सदस्यीय विधानसभा में 30-35 सीट छोड़ी जा सकती हैं। समाजवादी पार्टी भी म.प्र. में तालमेल की इच्छुक है। इस तरह से कांग्रेस के रणनीतिकारों की योजना इन तीन राज्यों के विधानसभा चुनाव में बड़ी सफलता पाने की है। बताते हैं इसी अनुपात में लोकसभा चुनाव में तालमेल का आधार बनने के आसार हैं। दिल्ली में आम आदमी पार्टी से समझौते को लेकर अभी कांग्रेस पार्टी में कोई निर्णय नहीं हो पा रहा है। कैप्टन अमरिंदर सिंह पंजाब में आम आदमी पार्टी के साथ तालमेल के इच्छुक हैं, लेकिन अभी यहां काफी कुछ तय होना है। लेकिन महाराष्ट्र में एनसीपी और कांग्रेस मिलकर सत्ता में जनाधार पर पकड़ बनाने की तैयारी कर चुके हैं। पार्टी के रणनीतिकारों को लग रहा है कि प्लान ए में भाजपा के नेतृत्व वाली एनडीए को चुनौती देने के बाद राह आसान हो जाएगी।
प्लान बी
तमिलनाडु, कर्नाटक, केरल, पश्चिम बंगाल, आंध्र प्रदेश, उड़ीसा, असम हैं। तमिलनाडु में डीएमके -कांग्रेस, कर्नाटक में कांग्रेस-जद(एस)-बसपा साथ मिलकर चुनाव लडऩे की संभावना पर काम कर रहे हैं। तमिलनाडु में एआईडीएमके अभी भाजपा के साथ अच्छे रिश्ते बनाकर चल रही है। अविश्वास प्रस्ताव में भी उसने सरकार को समर्थन दिया था। प्रधानमंत्री और भाजपा अध्यक्ष तमिलनाडु में मुख्यमंत्री ई पलानिस्वामी, ओ. पनीरसेल्वम और टीटीवी दिनाकरण को साथ लाने की कोशिश कर रहे हैं। ऐसे में कांग्रेस-डीएमके सीटों के तालमेल पर बातचीत कर रहे हैं। पश्चिम बंगाल में ममता बनर्जी ने शरद पवार से चर्चा के बाद तेजी सकारात्मक रुख दिखाया है। वहां टीएमसी और कांग्रेस के बीच में समझौते की जमीन तैयार की जा रही है। इसी तरह से कांग्रेस के रणनीतिकार केरल, आंध्र प्रदेश में कई संभावनाओं पर काम कर रहे हैं। उड़ीसा में मुख्यमंत्री नवीन पटनायक अभी पत्ता नहीं खोल रहे हैं। माना जा रहा है कि वह एनडीए का साथ दे सकते हैं।
कांग्रेस के रणनीतिकार
अहमद पटेल, गुलाम नबी आजाद, आनंद शर्मा, कमलनाथ जैसे चेहरे कड़ी मेहनत कर रहे हैं। सहयोगियों से तालमेल, बातचीत की जिम्मेदारी निभा रहे हैं। बीके हरिप्रसाद भी लगातार सक्रिय हैं। गुलाम नबी आजाद और अहमद पटेल ने ममता बनर्जी, डीएमके नेताओं से बातचीत, संपर्क का सिलसिला बनाए रखा है। कमल नाथ और गुलाम नबी आजाद बसपा प्रमुख मायावती के समपर्क में हैं। अहमद पटेल यहां भी उनका साथ दे रहे हैं। कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी खुद राजनीतिक तैयारी को लेकर लगातार सक्रिय हैं। वहीं सोनिया गांधी के बारे में सूत्र बताते हैं कि वह लगातार सहयोगी दलों के नेताओं के संपर्क में बनी हुई हैं।
कितनी सीट पर लड़ेगी कांग्रेस
इस पेंचीदा सवाल पर अभी कांग्रेस पार्टी का कोई नेता कुछ बताने को तैयार नहीं है। लेकिन एक अनुमान के मुताबिक करीब 150 सीट तक कांग्रेस पार्टी अपने सहयोगियों के लिए छोड़ सकती है। 350-375 सीट तक लोकसभा का चुनाव लड़कर कांग्रेस पार्टी भाजपा के सत्ता में लौटने के मंसूबे पर पानी फेर सकती है। माना जा रहा है कि अगले एक-दो महीने में स्थिति साफ हो जाएगी।