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जिलाधिकारी के. विजयेंद्र पाण्डियन का कहना है कि जिले के 400 गांव ऐसे हैं जो बाढ़ की दृष्टि से अधिक संवेदनशील हैं। इन गांवों को बचाने व वहां राहत पहुंचाने के इंतजाम किए जा रहे हैं। नदियों में पानी बढ़ा जरूर है लेकिन कोई समस्या नहीं है।
गोरखपुर, जिले में बाढ़ की ²ष्टि से 400 गांव संवेदनशील हैं और इनपर विशेष नजर रखने को कहा गया है। ये गांव 2020 में आई बाढ़ से प्रभावित थे। बचाव के लिए यहां पहले से ही सभी जरूरी उपाय किए जा रहे हैं। 2017 में बाढ़ की भयावहता अधिक थी और उस समय 600 गांव प्रभावित हुए थे, इसलिए प्रशासन इन 400 गांवों के साथ ही अन्य स्थानों पर भी बचाव को लेकर रणनीति बना रहा है।
ङ्क्षसचाई एवं अन्य विभागों के अधिकारियों के साथ बैठक कर करीब 20 दिन पहले ही जिलाधिकारी ने सभी जरूरी तैयारियां पूरी कर लेने को कहा था। जो भी समीक्षा हो रही है, उसमें 400 गांवों को लेकर विशेष रणनीति बनाने को कहा जा रहा है। इनमें से अधिकतर गांव गोला, कैंपियरगंज एवं सहजनवां तहसील में हैं। कुछ गांव सदर तहसील क्षेत्र में भी हैं। नदी के खतरे के निशान से ऊपर जाते ही इनमें से अधिकतर गांव मैरूंड हो जाते हैं।
हो रही ये व्यवस्था
इन गांवों में इंसान से लेकर पशुओं तक की चिंता की जा रही है। बाढ़ चौकियों को तो सक्रिय किया ही गया है, बाढ़ राहत शिविरों के लिए ऊंचाई पर स्थित स्थान भी चिन्हित किए जा रहे हैं। डिग्री कालेज एवं इंटर कालेज में राहत शिविर बनाने की तैयारी है। खाद्यान्न के साथ ही पशुओं के चारा की व्यवस्था भी की जा रही है। उसके लिए भी टेंडर जारी किए जा चुके हैं। पशुओं को विभिन्न बीमारियों से बचाने के लिए टीका लगाने की भी व्यवस्था की जा रही है। बाढ़ के समय सर्पदंश के अधिक मामले आते हैं, इसे देखते हुए सभी सीएचसी व पीएचसी पर स्नैक एंटी वेनम रखने को कहा गया है। इस बार बड़ी नाव लगाने की ही तैयारी है। इसके लिए सभी नाविकों से संपर्क करने को कहा गया है। जहां भी रास्ते बंद होंगे, वहां नाव लगा दी जाएगी।
जिलाधिकारी के. विजयेंद्र पाण्डियन का कहना है कि जिले के 400 गांव ऐसे हैं, जो बाढ़ की ²ष्टि से अधिक संवेदनशील हैं। इन गांवों को बचाने व वहां राहत पहुंचाने के इंतजाम किए जा रहे हैं। अभी जिले में स्थिति नियंत्रित है, नदियों में पानी बढ़ा जरूर है लेकिन कही कोई समस्या नहीं है। इन 400 गांवों में खाद्यान्न, नाव, पशुओं के चारा आदि की व्यवस्था करने को कहा गया है। तटबंधों की निगरानी भी की जा रही है। 2017 में और अधिक गांवों में बाढ़ आई थी, उस बात का ख्याल भी रखा जा रहा है।