कृषि:-धान की जड़ों को शोधित कर करें रोपाई, बढ़ेगा उत्पादन

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RGA न्यूज़

पिछले दिनों हुई मानसूनी बारिश के बाद से ही धान की रोपाई की तैयारी जोर-शोर से शुरू हो गई है।

वैज्ञानिक विधि से रोपाई करने से फसल को कई तरह के रोगों से भी आसानी से बचाया जा सकता है। निराई-गुड़ाई की सुविधा के लिए धान की रोपाई कतार में करनी चाहिए तथा एक वर्गमीटर में अधिकतम में 0 पौधे ही रोपने चाहिए।

गोरखपुर, पिछले दिनों हुई मानसूनी बारिश के बाद से ही धान की रोपाई की तैयारी जोर-शोर से शुरू हो गई है। रोपाई करते समय वैज्ञानिक तौर-तरीकों को अपनाकर किसान उपज बढ़ा सकते हैं। वैज्ञानिक विधि से रोपाई करने से फसल को कई तरह के रोगों से भी आसानी से बचाया जा सकता है। निराई-गुड़ाई की सुविधा के लिए धान की रोपाई कतार में करनी चाहिए तथा एक वर्गमीटर में अधिकतम में 50 पौधे ही रोपने चाहिए।

धान की जड़ को ऐसे करें शोधित

धान की रोपाई करने से पहले जड़ों को शोधित किया जाता है। इसका तरीका बेहद आसान है। आचार्य नरेंद्र देव कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय कुमारगंज, अयोध्या के तत्वावधान में संचालित कृषि विज्ञान केंद्र के कृषि विज्ञानी डा. एसके तोमर बताते हैं कि 250 एमएल पीएसपी कल्चर को 50 लीटर पानी में घोल लेना चाहिए। रोपाई से पहले किसान भाई धान की जड़ को इस घोल में आधे घंटे के लिए डुबा दें। इसके बाद इसकी रोपाई करें। किसान भाइयों को चाहिए कि खेत में ही यह घोल तैयार करें और धान के पौधों को शोधित करते रहे और रोपाई करते रहें।

खेत में डीएपी व पोटास डालने के बाद करें रोपाई

रोपाई शुरू करने से पहले खेत में प्रति एकड़ की दर से 50 किग्रा डीएपी और 30 किग्रा पोटास का छिड़काव करना चाहिए। डा. तोमर बताते हैं कि इन रसायनों के छिड़काव की वजह से धान की फसल अच्‍छी होगी और उपज भी बढ़ेगी। खर-पतवार से बचाव के लिए रोपाई के बाद पांच दिन के अंदर ही छह सौ एमएल प्रिटिलाकोल को 30 किग्रा बालू में अच्‍छे से मिलाकर खेत में बुरक देना चाहिए। प्रिटिलाकोल मिले बालू को बुरक के दौरान खेत में पानी लगा रहना जरूरी है। तभी यह कारगर होगा। इससे खेत में खर-पतवार नहीं उगेंगे। बाद में यदि कुछ खर-पतवार उगते हैं तो निराई-गुड़ाई कराकर उन्हें निकाल देना चाहिए।

सीधी बुवाई करने पर अपनाएं यह उपाय

कई किसान भाई धान की सीधी बुवाई भी करते हैं। सीधी बुवाई के लिए छिटकांव विधि काफी प्रचलित है। कुछ किसान भाई जिरोटिल मशीन से भी सीधी बुवाई करते हैं। डा. तोमर बताते हैं कि इन विधियों को अपनाने वाले किसान भाइयों को चाहिए कि बुवाई के 48 घंटे के अंदर पैंडीमिवेलिन 30 ईसी की तीन लीटर मात्रा पांच सौ लीटर पानी में घोलकर खेत में छिड़काव करा दें। बुवाई के 30 दिन बाद प्रति एकड़ की दर से पायरोजोसल्यूरान 10 डब्ल्यूपी की 80 ग्राम मात्रा, बिसमार्यार बैक सोडियम 10 प्रतिशत की सौ एमएल मात्रा को 150 लीटर पानी में घोलकर खेत में छिड़काव करना चाहिए।

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