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RGA न्यूज़
टीका लगवाने की वजह से छात्रा डेल्टा प्लस से संक्रमित होने के बाद भी ज्यादा गंभीर नहीं हो पाई। उसने होम आइसोलेशन में ही कोरोना को मात दे दी। हास्पिटल में भर्ती होने की जरूरत ही नहीं पड़ी।
गोरखपुर, कोरोना के अभी तक के सबसे खतरनाक स्वरूप डेल्टा प्लस भी कोरोनारोधी वैक्सीन के आगे हार गया। जीनोम सिक्वेंसिंग में गोरखपुर के जिन दो लोगों के नमूनों में डेल्टा प्लस वैरिएंट की पुष्टि हुई है, उसमें एक लखनऊ निवासी व बीआरडी मेडिकल कालेज में एमबीबीएस की 23 वर्षीय छात्रा है, जिसने संक्रमित होने के पूर्व कोरोनारोधी टीका लगवा लिया था। उसने कोरोना को हरा दिया। दूसरे देवरिया के के 66 वर्षीय व्यक्ति थे। उन्हें टीका नहीं लगा था और वह कोरोना से इस खतरनाक स्वरूप से हार गए। इसके अलावा एक में कप्पा व 27 में डेल्टा वैरिएंट की पुष्टि हुई है। किसी ने संक्रमित होने के पूर्व टीका नहीं लगवाया था। इसमें से बीआरडी मेडिकल कालेज में 16 लोग भर्ती थे, जिसमें से 12 की मौत हो गई।
टीका लगवाने की वजह से छात्रा डेल्टा प्लस से संक्रमित होने के बाद भी ज्यादा गंभीर नहीं हो पाई। उसने होम आइसोलेशन में ही कोरोना को मात दे दी। हास्पिटल में भर्ती होने की जरूरत ही नहीं पड़ी। जबकि अन्य को भर्ती किया गया, विशेषज्ञों की निगरानी में समुचित इलाज मिला, बावजूद इसके, टीका न लगवाने की वजह से वे कोरोना से जंग हार गए।
डेल्टा ने सर्वाधिक युवाओं को किया प्रभावित, 12 की मौत
दिल्ली स्थित इंस्टीट्यूट आफ जीनोमिक्स एंड इंटीग्रेटिव बायोलाजी (आइजीआइबी) जिन 30 लोगों की रिपोर्ट आई है। उनमें 16 बीआरडी मेडिकल कालेज में भर्ती थे। दो डेल्टा प्लस से पीडि़त थे। एक की मौत हो गई। संत कबीर नगर निवासी एक 65 वर्षीय व्यक्ति कप्पा वैरिएंट से संक्रमित हुए, उनका भी निधन हो गया। इसके अलावा 14 लोग डेल्टा से पीडि़त थे, इनमें से 11 युवा थे। 40 वर्ष से ऊपर केवल तीन लोग थे। इसमें 10 की मौत हो गई। केवल चार लोग डिस्चार्ज होकर घर गए। बीआरडी मेडिकल कालेज के प्राचार्य डा. गणेश कुमार का कहना है कि मेडिकल कालेज में केवल 16 लोग भर्ती हुए थे, इसमें से चार डिस्चार्ज हुए, शेष की मौत हो गई। एमबीबीएस की छात्रा को टीका लगा था, इसलिए उसने होम आइसोलेशन में ही कोरोना से जंग जीत ली है। अन्य को टीका नहीं लगा था, इसलिए वे कोरोना से हार गए।