हम आतंकवादी नहीं, गोरखपुर का विकास देखने आए हैं..दोस्‍तों ने बताया, पुल‍िस ने कैसे बेरहमी से पीट-पीटकर मार डाला

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RGA न्यूज़

पुल‍िस की प‍िटाई से मृत मनीष के दोस्‍त प्रदीप कुमार का कहना है कि उनके दोस्त व कानपुर के प्रापर्टी डीलर मनीष गुप्ता ने सोमवार की रात रामढ़ताल थाना पुलिस से सिर्फ इतना ही कहा था कि आतंकी नहीं हैं हम गोरखपुर का विकास देखने आए हैं।

गोरखपुर, हरियाणा के मेवात, नूह निवासी हरबीर सिंह व गुडगांव के सेक्टर 48 निवासी प्रदीप कुमार का कहना है कि उनका कहना है कि उनके दोस्त व कानपुर के प्रापर्टी डीलर मनीष गुप्ता ने सोमवार की रात रामढ़ताल थाना पुलिस से सिर्फ इतना ही कहा था कि आतंकी नहीं हैं हम, गोरखपुर का विकास देखने आए हैं।

उनका कहना है कि मनीष का यह कहना उसके लिए काल बन गया। पुलिस ने उसे इतना मारा कि उसकी मौत ही हो गई। दोनों का कहना है कि गोरखपुर को लेकर उन्होंने अपने भीतर क्या-क्या सपने सजोये थे, लेकिन जैसे ही गोरखपुर का नाम सामने आ रहा है तो पुलिस की बर्बरता में यहां अक्स ही जेहन में नहीं उभर पा रहा है। दोनों बार-बार लोगों से सवाल कर रहे हैं कि मनीष का पोस्टमार्टम कब पूरा होगा। उन्हें यहां से कब जाने को मिलेगा। दोनों हाथ जोड़कर प्रार्थना कर रहे हैं और लोगों से कह रहे हैं कि बस एक बार यहां से जाने का मौका मिल जाए। दुबारा अपने किसी परिचित से गोरखपुर जाने के लिए नहीं की

होटल के कमरे में पुलिस के तांडव को भूल नहीं पा रहे हैं मनीष के दोस्त

शहर के तारामंडल स्थित होटल कृष्णा पैलेस के कमरा संख्या 512 में ठहरे हरबीर सिंह व प्रदीप कुमार ने बताया कि हरबीर व मनीष प्रापर्टी डीलिंग का कारोबार करते हैं। प्रदीप इवेंट मैनेजर का काम करते हैं। उनका कहना है कि तीनों दोस्तों ने काफी कुछ सुन रखा था गोरखपुर के विषय में। यहां विकास के बहुत काम हुए हैं। उन्होंने बताया कि सिकरीगंज के महदेवा बाजार निवासी चंदन सैनी, राणा प्रताप चंद व धनंजय त्रिपाठी से उनका परिचय हुआ तो लगा कि नये दोस्तों से मिलने के बहाने गोरखपुर जाना भी हो जाएगा और बदलते गोरखपुर को भी देख लेंगे।

उन्होंने बताया कि वह गुड़गांव से सड़क मार्ग द्वारा गोरखपुर आये। यहां आने के बाद होटल के कमरे में बहुत आराम भी नहीं किया। अपराह्न तीन बजे भोजन करने के बाद रामगढ़ताल का भव्य नजारा देखा और मंगलवार को उनकी तैयारी थी गोरखनाथ मंदिर व गोरखपुर चिड़ियाघर देखने की, लेकिन रात में उनके साथ जो हुआ, उसके बाद उनकी हिम्मत ही नहीं पड़ रही है कि वह जीवन में कभी अब इसे देख भी सकेंगे

पुलिस ने ली है मेरे दोस्त की जान

पुलिस रात में कमरे में घुसी। उनका आईडी कार्ड देखा। बैग को चेक किया और उनसे जब चेकिंग को लेकर सवाल किया गया तो उन्होंने ताबड़तोड़ मारना शुरू कर दिया। उन्होंने इतना पीटा कि मनीष बुरी तरह से घायल हो गया और इससे उसकी मौत हो गई। - हरबीर सिंह- मनीष गुप्ता के दोस्त।

आंख खुली तो देखा गंभीर रूप से घायल थे मनीष

घटना के समय सोया हुआ था। थोड़ी आवाज सुनकर जब आंख खुली तो देखा कमरे में पुलिस वाले मौजूद हैं। मनीष को सिर, हाथ सहित कई जगहों पर चोटें लगी हुई थीं। प्रदीप कुमार - मनीष गुप्ता का दोस्त।

हमें तो फोन पर ही लग गया था कुछ गड़बड़ है

चंदन सैनी का कहना है कि मनीष उनके अच्छे जानने वाले थे। रात करीब 12.13 बजे उनके चौकीइंचार्ज अक्षय मिश्रा का फोन आया और उन्होंने पूछा कि अभी किससे मिलने होटल आये। उन्हाेंने बताया कि 512 नंबर कमरे में उनके कुछ मेहमान आए हैं। वह उन्हें मोहद्दीपुर में भोजन कराने लेकर गए थे और भोजन कराकर होटल में छोड़ गए हैं। चंदन ने कहा कि फोन पर उन्होंने ठीक है कहकर दारोगा होटल में मौजूद उनके साथियों को धमकाने लगे। फोन पर उन्होंने धमकी देने की आवाज सुनी और वह वहां से लौट आये। रात 12.35 पर वह होटल पहुंचे तो पता चला कि मनीष गंभीर रूप से घायल हो गए हैं। पुलिस उन्हें अपने साथ लेकर गई है। रात में करीब डेढ़ बजे वह अपने स्थानीय मित्रों के साथ बीआरडी मेडिकल कालेज पहुंच गए। वहां करीब रात 2.15 बजे पुलिस मनीष को लेकर पहुंची। 12.35 पर चिकित्सकों ने मनीष को मृत घोषित कर दिया।

रात में ही मनीष ने अपने मित्र को किया था फोन

मनीष की पत्नी मीनाक्षी ने बताया कि रात में जब पुलिस होटल के कमरे पर पहुंची तो मनीष ने कानपुर क्षेत्र के अपने एक मित्र दुर्गेश के पास फोन किया था और उन्हें बताया था कि पुलिस उनके साथ दुर्व्यवहार कर रही है। हालांकि पुलिस ने बताया था कि मनीष सो रहे थे। उन्होंने शराब पी रखी थी। बिस्तर से उठते ही वह नीचे गिरे उनकी मौत हो गई। सवाल यह है कि जब वह नींद में थे तो उन्होंने अपने मित्र के पास फोन कहां से किया।

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