मुरादाबाद में किसानों पर आफत बनकर बरसा पानी, फसलों को नुकसान

harshita's picture

RGA न्यूज़

धान उड़द और आलू की फसलों को सबसे अधिक नुकसान हो रहा है। कृषि विभाग के अधिकारियों का अनुमान है कि 15 फीसद तक फसलों का नुकसान अब तक हो चुका है। बरसात होती रही तो नुकसान और बढ़ सकता है

धान, उड़द और आलू की फसलें बर्बाद।

मुरादाबाद, रविवार और सोमवार की बारिश ने क‍िसानों को परेशानी में डाल द‍िया है। धान, उड़द और आलू की फसलों को सबसे अधिक नुकसान हो रहा है। कृषि विभाग के अधिकारियों का अनुमान है कि 15 फीसद तक फसलों का नुकसान अब तक हो चुका है। बरसात होती रही तो नुकसान और बढ़ सकता है।

जिले में धान की फसल 90 हजार हेक्टेयर में बोई जाती है। हर साल धान की फसल का क्षेत्रफल बढ़ता ही जा रहा है। इसके पीछे वजह यह है कि किसान परंपरागत खेती को ही अपना रहे हैं। रामगंगा के खादर में भी कुछ क्षेत्र में धान की खूब पैदावार होने लगी है। बिलारी, कुंदरकी, छजलैट, ठाकुरद्वारा ब्लाकों के गांवों में धान की खेती करने वाले किसान सबसे अधिक हैं। मुरादाबाद ब्लाक में भी शहर के आसपास के क्षेत्र में धान की खेती होती है। रविवार को सुबह बूंदाबांदी शुरू हो गई थी। बाद में तेज बरसात होने से खेतों में पानी भर गया। ग्राम नानकार के किसान हाजी मुईनुद्दीन ने बताया कि बरसात में उनके धानों को बड़ा नुकसान हुआ है। फत्तेहपुर खास से गालिब हुसैन का कहना है कि दो दिन पहले ही धान कटवाए थे। बरसात होने से खेत में ही धान पड़ा हुआ बर्बाद हो रहा है। अगवानपुर के संवाद सहयोगी के मुताबिक सुबह से ही मूसलाधार हो रही बरसात से किसानों को भारी नुकसान हुआ है। बरसात से न केवल जनजीवन प्रभावित हुआ है बल्कि किसानों को यह बरसात आफत बनकर बरस रही है। किसानों की धान, उड़द, आलू व लाई, सरसों की फसलें जलमग्न हो गई हैं। कावेनदर सिंह, बब्बू ठेकेदार, सत्यप्रकाश सिंह, लालबहादुर सिंह, बलवीर सिंह,सलीम चौधरी, चरन सिंह, सरजीत सिंह आदि किसानों का कहना है कि उनकी धान की कुछ फसल खड़ी हुई है और कुछ कटी हुई है। भारी बरसात से उसमें पानी भर गया है।

बरसात से उड़द और धान की फसल को अब तक 15 फीसद नुकसान हो चुका है। रात को बरसात होती रही तो यह नुकसान बढ़ जाएगा। जिन किसानों की धान की फसल खेत में कटी हुई पड़ी है, उनको सबसे अधिक नुकसान है।

News Category: 

Scholarly Lite is a free theme, contributed to the Drupal Community by More than Themes.