दिल्ली में प्रदेश भाजपा कार्यकारिणी की बैठक, केजरीवाल सरकार के खिलाफ पारित किए गए कई प्रस्ताव

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प्रदेश भाजपा कार्यकारिणी की बैठक में पारित किए गए राजनीति प्रस्ताव में दिल्ली सरकार को प्रत्येक मोर्चे पर विफल करार देते हुए मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल से इस्तीफे की मांग की गई। राजधानी की हवा खराब होने और यमुना में प्रदूषण के लिए सरकार को ठहराया गया जिम्मेद

राजनीतिक प्रस्ताव पारित कर मुख्यमंत्री केजरीवाल का मांगा इस्तीफा

नई दिल्ली। प्रदेश भाजपा कार्यकारिणी की बैठक में पारित किए गए राजनीति प्रस्ताव में दिल्ली सरकार को प्रत्येक मोर्चे पर विफल करार देते हुए मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल से इस्तीफे की मांग की गई। राजधानी की हवा खराब होने और यमुना में प्रदूषण के लिए सरकार को ठहराया गया जिम्मेदार। सार्वजनिक परिवहन प्रणाली, पानी औऱ स्वास्थ्य सेवा को दुरुस्त करने की मांग। भाजपा इन मुद्दों को लेकर जनता के बीच जाएगी। राजनीतिक प्रस्ताव में कोरोना के खिलाफ लड़ाई में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी द्वारा उठाए गए कदमों की सराहना की ग

विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष रामवीर सिंह बिधूड़ी ने राजनीतिक प्रस्ताव पेश किया जिसका हर्ष मल्होत्रा ने अनुमोदन किया। बिधूड़ी ने कहा कि कोरोना काल में प्रधानमंत्री ने गरीबों व किसानों की समस्या का ध्यान रखा। भारत में विश्व का सबसे बड़ा निःशुल्क टीकाकरण अभियान चल रहा है जिससे कोरोना संक्रमण को रोकने में मदद मिली है। उन्होंने कहा कि एक तरफ मोदी सरकार आमजन की चिंता कर रहे हैं वहीं आम आदमी पार्टी (आप) की सरकार ने पिछले सात सालों में दिल्ली की बुरी स्थिति कर द

राजनीतिक प्रस्ताव में कहा गया कि दिल्ली सरकार प्रदूषण की समस्या को लेकर पड़ोसी राज्यों को किसानों को दोष देती रही। समस्या हल करने के लिए ठोस कदम नहीं उठाए गए जिससे दिल्ली की हवा जहरीली हो गई है। इसी तरह से यमुना की सफाई पर ध्यान नहीं दिया जा रहा है। केंद्र सरकार द्वारा 2419 करोड़ रुपये दिए जाने के बावजूद यमुना साफ नहीं हुई। पेट्रोल-डीजल पर वैट कम नहीं करने के लिए भी सरकार की आलोच

नई आबकारी नीति का विरोध करते हुए इसे दिल्ली की कानून व्यवस्था खराब करने, भ्रष्टाचार को बढ़ावा देने और युवाओं को नशे का आदि बनाने वाला बताया गया। आरोप लगाया गया कि दिल्ली परिवहन निगम (डीटीसी) के बेड़े में एक भी बस शामिल नहीं की गई। डीटीसी का घाटा आठ हजार करोड़ से ज्यादा हो गया है। दिल्ली सरकार की शिक्षा नीति की भी आलोचना की गई। कहा गया कि साढ़े सात सौ स्कूलों में प्रिंसिपल नहीं हैं। 24 हजार से ज्यादा शिक्षकों की कमी है। स्वास्थ्य सेवाओं का भी बुरा हाल है। कोरोना काल में मरीजों को न बिस्तर उपलब्ध हुआ और न आक्सीजन। एक हजार मोहल्ला क्लीनिक की जगह सिर्फ साढ़े चार सौ खुले हैं और इसमें से भी लगभग डेढ़ सौ ही काम कर रहे हैं।

यमुना में छठ पूजा की अनुमति नहीं देने का विरोध करते हुए सरकार को पूर्वांचल विरोधी करार दिया गया। झुग्गियों में बुनियादी सुविधाओं के अभाव के लिए सरकार की आलोचना की गई। कहा गया कि प्रदेश भाजपा अध्यक्ष झुग्गियों में जाकर लोगों की समस्याएं हल करने की कोशिश कर रहे हैं। सरकार से केंद्रीय योजनाओं को दिल्ली में लागू करने की मांग की गई।

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