शराब की फैक्ट्री में एथेनाल के कचरे से पशुओं के लिए चारा बनाने की तैयारी

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RGA न्यूज़

गोरखपुर में शराब की फैक्ट्री में ऐसा उत्पाद तैयार किया जाएगा जिसे पशुओं के चारे में मिलाकर उसे उच्च प्राटीनयुक्त बना दिया जाएगा। अनाज से एथेनाल तैयार करने के दौरान एथेनाल के कचरे से इस उत्पाद का निर्माण किया जाएगा।

गोरखपुर में एथेनाल के कचरे से पशुओं का चारा बनाने की तैयारी हो रही है।

गोरखपुर। शराब की फैक्ट्री में मार्च 2022 से ऐसा उत्पाद तैयार किया जाएगा, जिसे पशुओं के चारे में मिलाकर उसे उच्च प्राटीनयुक्त बना दिया जाएगा। अनाज से एथेनाल तैयार करने के दौरान एथेनाल के कचरे से इस उत्पाद का निर्माण किया जाएगा। इस उत्पाद का इस्तेमाल पोल्ट्री फार्म, डेयरी में दाना एवं चारा के रूप में किया जा सकेगा। इसके चलते रोजगार के नए अवसर भी पैदा होंगे

गीडा स्थित आइजीएल में मार्च 2022 से शुरू होगा उत्पादन

गीडा स्थित इंडिया ग्लाइकाल्स लिमिटेड (आइजीएल) में करीब 100 करोड़ रुपये की लागत से एथेनाल प्लांट स्थापित किया जा रहा है। यहां धान के टूटन एवं मक्के से एथेनाल तैयार किया जाएगा। इसमें बड़ी मात्रा में अनाज की जरूरत होगी। जनवरी 2022 से अनाज की खरीद भी शुरू कर दी जाएगी। इस प्लांट में एक लाख लीटर एथेनाल का उत्पादन प्रतिदिन किया जाएगा। सबसे अच्छी गुणवत्ता के एथेनाल का प्रयोग अंग्रेजी शराब बनाने में किया जाएगा। एथेनाल पेट्रोलियम कंपनियों को भी बेचा जाएगा। एथेनाल के कचरे से ड्राइड डिस्टिलर्स ग्रेंस विद साल्युबल्स (डीडीजीएस) नाम का उत्पाद तैयार किया जाएगा।

फायदेमंद होता है डीडीजीएस

डीडीजीएस काफी फायदेमंद होता है। इसमें उच्च प्रोटीन होता है। मुर्गी दाना एवं पशुओं के चारा के रूप में इसका इस्तेमाल बड़े पैमाने पर किया जाता है। फैक्ट्री में 40 टन डीडीजीएस का उत्पादन प्रतिदिन किया जाएगा। बाजार में इसकी कीमत 40 रुपये प्रतिकिलो तक होगी। पूर्वांचल में बड़ी संख्या में पोल्टी फार्म एवं डेयरी हैं। फैक्ट्री में तैयार उत की इसी क्षेत्र में खपत हो जाने की संभावना है। जरूरत पड़ने पर उसे निर्यात भी किया जा सकता है। इस उत्पाद के चलते बड़ी संख्या में लोगों को रोजगार भी मिलेगा।

अनाज से एथेनाल बनाने का प्लांट लगभग तैयार है। एथेनाल बनाने के दौरान निकलने वाले कचरे से डीडीजीएस तैयार किया जाएगा। उच्च प्रोटीन वाले डीडीजीएस का प्रयोग पोल्ट्री फार्म में मुर्गियों के दाने एवं डेयरी में पशुओं के चारे के रूप में प्रयोग किया जाता है। 

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