वाहनों की बढ़ती संख्‍या नहीं, यह है गोरखपुर शहर में जाम का असली कारण

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RGAन्यूज़

गोरखपुर विश्वविद्यालय चौराहा से रेल म्यूजियम तक मुख्य मार्ग पर 24 घंटे डग्गामार (प्राइवेट) बसों का कब्जा रहता है। रूट डायवर्जन पर भी यह बसें सड़क पर ही खड़ी रहती हैं। इन्‍हें शहर में प्रवेश की अनुमति रहती है जबकि रोडवेज की बसें बाहर ही खड़ी कर दी जाती

गोरखपुर विश्वविद्यालय छात्रसंघ चौराहा पर लगा जाम। - जागरण

गोरखपुर,। डग्गामार बसों के गिरोह में परिवहन विभाग (आरटीओ) इस कदर फंसा है कि सड़कों पर लगने वाला लंबा जाम भी नजर नहीं आ रहा। कार्रवाई के नाम पर विभागीय अधिकारी दावे तो बहुत करते हैं, मगर हकीकत में वह बेअसर साबित हो रहा है। सड़क को स्टैंड बनाकर की जा रही अवैध वसूली का हिस्सा किस-किस तक पहुंच रहा है, इसको लेकर कोई भी खुलकर बोलने को तैयार नहीं है। नतीजा, जाम के रूप में मिल रहा है। यह स्थिति तब है जब इस सड़क से संभागीय परिवहन अधिकारी (आरटीओ) और पुलिस अधीक्षक यातायात (एसपी ट्रैफिक) प्रतिदिन कई बार गुजरते हैं। लोगों की परेशानी और चालकों की मनमानी देखने के बाद भी वे नोटिस नहीं लेते

ट डायवर्जन पर भी सड़क पर खड़ी रहती हैं बसें

विश्वविद्यालय चौराहा से रेल म्यूजियम तक मुख्य मार्ग पर 24 घंटे डग्गामार (प्राइवेट) बसों का कब्जा रहता है। सोमवार के दिन रूट डायवर्जन पर भी यह बसें सड़क पर ही खड़ी रहती हैं। इन बसों को शहर में प्रवेश की अनुमति रहती है, जबकि रोडवेज की बसें बाहर ही खड़ी कर दी जाती हैं। जानकारों के अनुसार विश्वविद्यालय चौराहा से रेल म्यूजियम वाली सड़क से ही प्रतिदिन दर्जनों बसें बिहार के लिए रवाना होती हैं। बस चालक न सिर्फ सड़कों पर मनमानी करते हैं, बल्कि गोरखपुर और कचहरी बस डिपो परिसर के अंदर से यात्रियों को बैठाने में संकोच नहीं करते। ऊपर से मनमाना किराया भी वसूलते हैं। कचहरी बस स्टेशन पर तो आए दिन रोडवेजकर्मियों से बस चालकों के बीच मारपीट होती है। मामला पुलिस तक पहुंचने के बाद भी कहीं कोई सुनवाई नहीं होती। रेलवे स्टेशन के सामने वाली सड़क, छात्रसंघ और पैडलेगंज चौराहा पर भी डग्गामार बसों का जमावड़ा रहता है

बढ़ गई है ई रिक्शा चालकों की मनमानी, धड़ल्ले से चल रहे ग्रामीण क्षेत्र के आटो

रूट निर्धारण के बाद भी शहर में ई रिक्शा मनमाने ढंग से चल रहे हैं। उन्हें रोकने और टोकने वाला कोई नहीं है। पूरी तरह रोक के बाद भी ग्रामीण क्षेत्र में चलने वाले (काले रंग के डीजल चालित) आटो शहर में धड़ल्ले से चल रहे हैं। वे जाम के साथ प्रदूषण भी फैला रहे हैं। कार्रवाई के नाम पर सिर्फ खानापूरी होती है। शहर में सिर्फ सीएनजी आटो को ही चलने की अनुमति है।

एसपी ट्रैफिक के साथ जल्द बैठक कर जाम से निपटने की कारगर योजना बनाई जाएगी। ई रिक्शा का रूट निर्धारित हो गया है। कैंप लगाकर चालकों को इसके बारे में जानकारी दी जाएगी। प्राइवेट बसों के खिलाफ चालान और बंद की कार्रवाई की जाती है। यथाशीघ्र ठोस कदम उठाए जाएंगे। - अनीता सिंह, आरटीओ- गोरखपुर

सड़कों पर ही खड़ी रहती हैं डग्गामार बसें

विश्वविद्यालय चौराहा से रेल म्यूजियम तक मुख्य मार्ग हो या रेलवे स्टेशन के सामने वाली सड़क। छात्रसंघ चौराहा हो या पैडलेगंज चौराहा। इन सभी सड़कों पर डग्गामार (प्राइवेट) बसों का कब्जा है। इन बसों ने शहर की सड़कों को ही अपना स्टैंड बना लिया है। जनप्रतिनिधियों की रैली आदि के अवसर सिविल लाइंस की सड़कों पर खड़ी हो जाती हैं। विश्वविद्यालय चौराहा से रेल म्यूजियम तक की आधी सड़क तो डग्गामार बसों के ही कब्जे में रहती है।

यह तब है जब इस मार्ग से जनपद के समस्त उच्च अधिकारी आवागमन करते हैं। इस मार्ग से होकर गुजरने के बाद भी संभागीय परिवहन अधिकारी (आरटीओ) पुलिस अधीक्षक यातायात (एसपी ट्रैफिक) नोटिस नहीं लेते।

सोमवार के दिन रूट डायवर्जन पर भी यह बसें सड़क पर ही खड़ी रहती हैं। जानकारों के अनुसार विश्वविद्यालय चौराहा से रेल म्यूजियम वाली सड़क से ही प्रतिदिन दर्जनों बसें बिहार के लिए रवाना होती हैं। बस चालक न सिर्फ सड़कों पर मनमानी करते हैं, बल्कि गोरखपुर और कचहरी बस डिपो परिसर के अंदर से यात्रियों को बैठाने में संकोच नहीं करते। ऊपर से मनमाना किराया भी वसूलते हैं। कचहरी बस स्टेशन पर तो आए दिन रोडवेजकर्मियों से बस चालकों के बीच मारपीट होती है। मामला पुलिस तक पहुंचने के बाद भी कहीं कोई सुनवाई नहीं 

बढ़ गई है ई रिक्शा चालकों की मनमानी, धड़ल्ले से चल रहे ग्रामीण क्षेत्र के आटो

रूट निर्धारण के बाद भी शहर में ई रिक्शा मनमाने ढंग से चल रहे हैं। उन्हें रोकने और टोकने वाला कोई नहीं है। पूरी तरह रोक के बाद भी ग्रामीण क्षेत्र में चलने वाले (काले रंग के डीजल चालित) आटो शहर में धड़ल्ले से चल रहे हैं। वे जाम के साथ प्रदूषण भी फैला रहे हैं।शहर में सिर्फ सीएनजी आटो को ही चलने की अनुमति है।

एसपी ट्रैफिक के साथ जल्द बैठक कर जाम से निपटने की कारगर योजना बनाई जाएगी। ई रिक्शा का रूट निर्धारित हो गया है। कैंप लगाकर चालकों को इसके बारे में जानकारी दी जाएगी। प्राइवेट बसों के खिलाफ चालान और बंद की कार्रवाई की जाती है। यथाशीघ्र ठोस कदम उठाए जाएंगे।

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