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RGA News नई दिल्ली
कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने दूरदर्शी सोच के साथ राजस्थान और मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्रियों के नाम पर मुहर लगा दी है। मुख्यमंत्री के नामों को लेकर दो दिन तक चली कशमकश के बाद कांग्रेस अध्यक्ष के तौर पर राहुल गांधी ने यह सबसे बड़ा फैसला किया है।
मध्य प्रदेश में तो मुख्यमंत्री पद के लिए अनुभवी नेता कमलनाथ के नाम का ऐलान गुरुवार रात कर भी दिया गया। राजस्थान में भी दो बार मुख्यमंत्री रहे अशोक गहलोत का नाम तय माना जा रहा है। इस फैसले के पीछे मिशन 2019 की छाप दिख रही है और उनके इस निर्णय का असर चार माह बाद होने वाले लोकसभा चुनाव में दिखाई देगा। यही वजह रही कि राहुल गांधी ने मुख्यमंत्री पद के सभी दावेदार, राज्यों से जुड़े नेताओं और कार्यकर्ताओं से बातचीत कर नए नेता के चयन में पूरा समय लिया। उन्होंने एमपी में मुख्यमंत्री पद के दावेदारों कमलनाथ और ज्योतिरादित्य सिंधिया और राजस्थान के चेहरों अशोक गहलोत और युवा नेता सचिन पायलट से दिल्ली में कई दौर की मुलाकात भी की।
कमलनाथ के नाम पर मुहर और गहलोत को राजस्थान की कमान मिलने के संकेतों के पीछे अनुभव के साथ सीटों की गणित को भी अहम माना जा रहा है। माना जा रहा है कि दोनों राज्यों में कांग्रेस को बहुमत के लिए दूसरे दलों या निर्दलीयों पर निर्भरता को देखते हुए प्रशासनिक अनुभव को तरजीह देना ज्यादा मुफीद माना गया। पार्टी के एक वरिष्ठ नेता ने कहा कि मुख्यमंत्री के चयन को लेकर शुरुआत में कुछ नाराजगी होती है, जो वक्त के साथ दूर हो जाती है। इस बार स्थितियां अलग हैं। चार माह बाद लोकसभा चुनाव हैं, ऐसे में पार्टी यह जोखिम नहीं उठाना चाहती थी और सभी को समझाने की पूरी कोशिश की गई। ताकिवरिष्ठ नेताओं के बीच कोई मनमुटाव या नाराजगी ना रहे, क्योंकि इसका असर प्रदेश सरकार की स्थिरता और लोकसभा चुनाव पर पड़ता।
सिंधिया के ट्वीट से एमपी में राह आसान हुई
सिंधिया ने रात करीब 8.30 बजे ट्वीट कर कहा था कि ये कोई रेस नहीं और ये कुर्सी के लिए नहीं, हम यहां मध्य प्रदेश की जनता की सेवा के लिए हैं| मैं भोपाल आ रहा हूँ, और आज ही सीएम के नाम का एलान होगा। उनके इस बयान के बाद से ही मध्य प्रदेश में कमलनाथ के मुख्यमंत्री बनने का रास्ता साफ हो गया था। हालांकि राजस्थान को लेकर रात तक ऊहापोह जारी है।
मिशन 2019 की चुनौती
कांग्रेस के सामने लोकसभा चुनाव में बेहतर प्रदर्शन की चुनौती है। पिछले चुनाव में पार्टी विपक्ष का नेता बनने के लिए जरूरी दस फीसदी सीट भी हासिल नहीं कर पाई थी। लंबा वक्त और लगातार कई राज्यों में चुनाव हारने के बाद कांग्रेस को यह जीत मिली है। ऐसे में पार्टी अध्यक्ष ने जल्दबाजी में या एकतरफा फैसला नहीं लिया, क्योंकि उनका गलत फैसला लोकसभा का गणित बिगाड़ सकता था।
मध्यप्रदेश
कमलनाथ के पास लंबा अनुभव
-9 बार लोकसभा चुनाव जीतकर सांसद बने
-6 बार से छिंदवाड़ा से लोकसभा चुनाव जीत चुके
-34 साल की उम्र में छिंदवाड़ा से पहली बार सांसद बने
-10 साल ज्यादा राजनीतिक अनुभव शिवराज सिंह से
कई मंत्रालय संभाले
-5 बार केंद्रीय मंत्रिमंडल में पद संभाल चुके
-3 बार केंद्रीय मंत्री और 2 बार केंद्रीय राज्य मंत्री रहे
-पर्यावरण एवं वन राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार), कपड़ा राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) रहे
-शहरी विकास, संसदीय मामलों और सड़क परिवहन व राष्ट्रीय राजमार्ग मंत्रालय संभाला