रेलवे कर्मचारियों के लिए अच्छी खबर, अब डिमोट होने पर भी कर्मचारी एसी में कर निश्शुल्क सफर, बोर्ड ने जारी किए आदेश

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RGAन्यूज़

Railway Employee News पदावनत होने या दंड पाने वाले कर्मचारियों को एसी में सफर करने का अधिकार नहीं छीनेगा कर्मचारियों व उसके परिवार वालों को एसी में सफर करने के लिए निश्शुल्क यात्रा पास मिलता रहेगा। रेलवे गलती पर पदावनत या वेतनमान कम करने जैसे दंड देता है

पदावनत कर्मचारियों का बस कुछ समय के लिए वेतनमान होगा कम, सुविधाएं पहले की तरह रहेंगी बरकरार।

मुरादाबाद, : पदावनत होने या दंड पाने वाले कर्मचारियों को एसी में सफर करने का अधिकार नहीं छीनेगा, कर्मचारियों व उसके परिवार वालों को एसी में सफर करने के लिए निश्शुल्क यात्रा पास मिलता रहेगा। रेलवे कर्मचारियों के मामूली गलती सिद्ध होने पर रेल प्रशासन द्वारा पदावनत करने या वेतनमान कम करने जैसे दंड दिया जाता है। यह दंड दो या तीन साल तक के लिए

दंड खत्म होने के बाद फिर से कर्मचारियों को पुराना वेतनमान मिलना शुरू हो जाता है। इसी तरह से वरीयता के आधार पर की-मैन व मेट को एसी थ्री में सफर करने के लिए पास दिया जाता है। इन कर्मचारियों का तबादला होने पर एसी में सफर करने की सुविधा वापस ले ली जाती है। दंड पाने के वाले कर्मचारियों को ड्यूटी पर बाहर जाने पर एसी के बजाय स्लीपर क्लास का पास दिया जाता है।

दरअसल रेलवे वेतनमान के आधार पर कर्मचारियों को सुविधा उपलब्ध कराता है। 24 सौ वेतनमान वाले कर्मचारियों को स्लीपर क्लास में यात्रा करने की सुविधा मिलती है। 28 सौ वेतनमान वालों को एसी थ्री में और 42 सौ वेतनमान वालों को एसी टू में यात्रा करने के लिए पास दिया जाता है। इसी कारण से दंडित अवधि तक कर्मचारियों को एसी का पास मिलना बंद हो जाता है। ट्रेड यूनियन इस नियम का लम्बे समय से विरोध कर रही थी। नियम में संशोधन की मांग की जा रही थी।

 

रेलवे बोर्ड के उप निदेशक (हित) वी मुरलीधरन ने 13 जनवरी को पत्र जारी कर दंडित कर्मचारियों को राहत दी है। जिसमें कहा है कि पदावनत होने वाले कर्मचारी का वेतनमान कम किया जाएगा, लेकिन एसी में सफर करने वाला यात्रा पास पहले की तरह मिलता रहेगा। इसी तरह अस्पताल में भर्ती होने पर एसी रूम में भर्ती कर इलाज की सुविधा मिलती रहेगी।

नार्दर्न रेलवे मेंस यूनियन के मंडल मंत्री राजेश चौबे ने बताया कि आल इंडिया रेलमैन फेडरेशन ने मामूली दंड वाले कर्मचारियों की दो या तीन साल के लिए सुविधा छीनने को गलत बताया था और इसको लेकर रेलवे बोर्ड तक मामला उठाया था। इसके बाद रेलवे बोर्ड ने यह आदेश जारी किया है

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