कोरोना से काफी हद तक उबर चुकी है भारतीय अर्थव्यवस्था, जारी रहेगा सुधार: अरविंद पनगढ़िया

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RGAन्यूज़

Arvind Panagariya On Indian Economy नीति आयोग के पूर्व उपाध्यक्ष और मौजूदा समय में कोलंबिया विश्वविद्यालय में अर्थशास्त्र के प्रोफेसर अरविंद पनगढ़िया ने कहा कि भारतीय अर्थव्यवस्था महामारी के कारण पैदा हुए व्यवधानों से ‘काफी हद तक’ उबर गई है और अब सुधार जारी र

कोरोना से काफी हद तक उबर चुकी है भारतीय अर्थव्यवस्था, जारी रहेगा सुधार: अरविंद पनगढ़िया

नई दिल्ली,। नीति आयोग के पूर्व उपाध्यक्ष अरविंद पनगढ़िया ने कहा कि भारतीय अर्थव्यवस्था महामारी के चलते पैदा हुए व्यवधानों से ‘काफी हद तक’ उबर गई है। इसके साथ ही उन्होंने उम्मीद जताई कि यह सुधार जारी रहेगा और 7-8 प्रतिशत की वृद्धि दर फिर बहाल हो जाएगी। पनगढ़िया ने सुझाव दिया कि सरकार को अब 2022-23 में राजकोषीय घाटे को आधा से एक प्रतिशत तक कम करने के अपने इरादे का संकेत देना चाहिए। अर्थशास्त्री अरविंद पनगढ़िया ने पीटीआई दिए साक्षात्कार में कहा, "भारतीय अर्थव्यवस्था ने पूर्व-COVID GDP के स्तर पर लौटने के लिए बेहतर सुधार किया है... सिर्फ निजी खपत अभी भी अपने कोविड-19 से पहले के स्तर से नीचे है।"

जब सांख्यिकी और कार्यक्रम कार्यान्वयन मंत्रालय ने भारत की जीडीपी वृद्धि दर 2021-22 में 9.2 प्रतिशत रहने का अनुमान लगाया है, तब पनगढ़िया ने कहा कि 'यह आंकड़ा किसी भी अन्य देश की तुलना में अधिक है और पुनरुद्धार पूरे देश में हुआ है।' बता दें कि भारतीय अर्थव्यवस्था में पिछले वित्त वर्ष के दौरान 7.3 प्रतिशत की गिरावट हुई थी।

पनगढ़िया ने कहा कि महामारी के जानकारों का मानना है कि वैक्सीनेशन और कोरोना वायरस के विभिन्न प्रकारों के कारण आबादी के एक बड़े हिस्से में एंटीबॉडी हैं, जिससे उच्च संभावना है कि महामारी अपने आखिरी पड़ाव पर है। पनगढ़िया ने कहा, "अगर यह वास्तव में होता है, तो मुझे उम्मीद है कि सुधार जारी रहेगा और 7 से 8 प्रतिशत की 

मौजूदा समय में कोलंबिया विश्वविद्यालय में अर्थशास्त्र के प्रोफेसर पनगढ़िया ने कहा कि सरकार को अब राजकोषीय घाटे को कम करने पर जोर देना चाहिए, क्योंकि ऐसा नहीं करने पर अगली पीढ़ी के लिए एक बड़ा कर्ज का बोझ तैयार हो जाएगा।

COVID-19 महामारी के कारण, पहले महामारी वर्ष 2020-21 में राजकोषीय घाटा बढ़कर 9.5 प्रतिशत हो गया था। सरकार का लक्ष्य चालू वित्त वर्ष (2021-22) में राजकोषीय घाटे को सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) के 6.8 प्रतिशत तक लाने का है।

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