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दरअसल 10 फरवरी को सपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव की जनसभा प्रस्तावित थी। कार्यक्रम की तैयारियां भी लगभग पूरी हो चुकी थीं लेकिन एन वक्त पर कार्यक्रम टल गया। इसके बाद बिजनौर में जनसभा कर अ
बरेली। समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अलेश यादव की जनसभा को लेकर लाखों रुपये का चंदा वसूला गया लेकिन, जनसभा टल गई। दो दिन अखिलेश शहर में ठहरे, लिहाजा चंदे की बात पर चुप्पी रही। उनके लखनऊ रवाना होते ही चंदे को लेकर रार फैल गई। चंदा वापस मांगा जाने लगा। अंदर की कलह उभरकर सामने आ गई तो सपा ने किनारा कर लिया। सपा जिलाध्यक्ष शिवचरन कश्यप ने इसको महज अफवाह व विरोधि
दरअसल, 10 फरवरी को सपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव की जनसभा प्रस्तावित थी। कार्यक्रम की तैयारियां भी लगभग पूरी हो चुकी थीं लेकिन, एन वक्त पर कार्यक्रम टल गया। इसके बाद बिजनौर में जनसभा कर अखिलेश बरेली में ठहरे। रामपुर में रोड शो कर बरेली में ठहरे। शनिवार को वह बदायूं व शाहजहांपुर में जनसभा के बाद बरेली वाया लखनऊ रवाना हो गए। इसी के बाद चर्चा आम हुई कि अखिलेश यादव की जनसभा के लिए करीब 15 लाख रुपये इकट्ठा किये गए थे। प्रत्याशियों के साथ कारोबारियों से भी चंदा वसूलने की बात सामने आई। मामला जब बढ़ गया तो कई को रकम वापस लौटने की भी चर्चा रही। बताया जाता है कि इसकी जानकारी अखिलेश यादव तक पहुंच गई तो उन्होंने इसमें शामिल लोगों को फटकार भी लगाई। यह भी कयास लगाए जाने लगे कि अखिलेश यादव को बरेली पहुंचने के बाद ही इस बात की जानकारी हो गई थी लेकिन, वह शांत रहे। जिलाध्यक्ष शिवचरन कश्यप ने बताया कि राष्ट्रीय अध्यक्ष की जनसभा को लेकर कोई चंदा इकट्ठा नहीं किया गया। यह विरोधियों की सोची समझी साजिश है। विरोधी अपनी हार से डरे हुए हैं। इसलिए यह अफवाह फैलाई जा रही है। सपा में एका है।