![Praveen Upadhayay's picture Praveen Upadhayay's picture](https://bareilly.rganews.com/sites/bareilly.rganews.com/files/styles/thumbnail/public/pictures/picture-4-1546617863.jpg?itok=SmNXTJXo)
RGA News दिल्ली
बीजेपी ने लोकसभा चुनावों (Loksabha elections 2019) की तैयारियों में तेजी लाते हुए उत्तर प्रदेश समेत 18 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के लिए चुनाव प्रभारी तय कर दिए हैं। चुनाव प्रभारियों की नियुक्ति में एक नियुक्ति बेहद चौंकाने वाली है। पार्टी अध्यक्ष अमित शाह ने मिशन 2019 के लिए यूपी की कमान उस शख्स के हाथों में दे दी है जो एक समय में पीएम मोदी के बड़े आलोचक रहे हैं। ये शख्स हैं गोवर्धन झड़पिया। पिछले लोकसभा चुनाव में शाह खुद ही यूपी के चुनाव प्रभारी थे। शाह के शानदार रणनीति और मोदी लहर की बदौलत बीजेपी ने यूपी की 80 लोकसभा सीटों में से 71 सीटें जीती थीं।
गुजरात के पूर्व मंत्री गोवर्धन झड़पिया के एक करीबी ने पहचान न बताने की शर्त पर बताया कि झड़पिया को मालूम
पिछले वर्ष बीजेपी को गुजरात विधानसभा चुनाव जिताने में झड़पिया ने अहम भूमिका निभाई थी। पटेल आंदोलन के चलते बीजेपी के लिए यह चुनाव जीतना बेहद मुश्किल हो गया था। गुजरात के कद्दावर पटेल नेता झड़पिया ने पर्दे के पीछे रहकर पार्टी के लिए कारगर रणनीति बनाई थी। मिशन 2019 के लिए मोदी और शाह ने एक बार फिर झड़पिया पर भरोसा जताया है।
इस बार राज्य में सपा-बसपा का गठबंधन होने की प्रबल संभावना है। ऐसा होने पर भाजपा के लिए चुनाव बेहद कड़ा हो जाएगा। पार्टी ने सभी संभावित परिस्थितियों को देखते हुए अपनी चुनावी तैयारी को चाक-चौबंद करना शुरू कर दिया है।
जानें गोवर्धन झड़पिया के बारे में
झड़ापिया पहले विश्व हिंदू परिषद में थे। वह आरएसएस के भी करीबी हैं। अपने बेहतरीन संगठनात्मक कौशल का लोहा वह कई बार मनवा चुके हैं।
गुजरात 2002 दंगों के दौरान गोवर्धन झड़ापिया राज्य के गृह राज्यमंत्री थे। गुजरात के तत्कालीन मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी ने दंगों के बाद झड़ापिया को गृह राज्यमंत्री के पद से हटा दिया था। इसके बाद झड़ापिया नरेंद्र मोदी के कट्टर आलोचक बन गए थे। 2005 में मोदी ने जब अपनी कैबिनेट का विस्तार किया तो उन्होंने शपथ लेने से इनकार कर दिया था।
झड़ापिया ने साल 2007 में भाजपा से इस्तीफा दे दिया था। इसके बाद उन्होंने साल 2009 के लोकसभा चुनाव के वक्त ‘महा गुजरात जनता पार्टी’ नाम से अपनी पार्टी बनाई और भाजपा के खिलाफ चुनाव भी लड़ा था। 2009 के लोकसभा चुनाव में उनकी पार्टी को 2.3% वोट मिले थे। हालांकि वह खुद नहीं जीत सके लेकिन तीन सीटों पर उन्होंने बीजेपी का खेल बिगाड़ दिया था।
इसके बाद उन्होंने नरेंद्र मोदी के एक अन्य आलोचक केशुभाई पटेल से हाथ मिलाया लिया था और 2012 में उनकी पार्टी में अपनी पार्टी का विलय कर दिया था। 2012 के विधानसभा चुनाव में उन्हें 167 में से महज दो सीटें मिलीं।
साल 2014 में गोवर्धन झड़ापिया दोबारा भाजपा में शामिल हो गए।