स्वास्थ्य और शिक्षा कभी मुफ्त की रेवड़ी नहीं मानी गई, वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण का जवाब

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RGAन्यूज़ नई दिल्ली संवाददाता

किसान या एमएसएमई को एक सीमा तक मुफ्त बिजली मुहैया कराने में भी सरकार को कोई एतराज नहीं है लेकिन मुफ्त में दी जाने वाली बिजली का उस राज्य के बजट में प्राविधान हो। राज्यों के पास इतना राजस्व हो कि मुफ्त में बिजली देने का प्राविधान किया जा सके।

 नई दिल्ली : मुफ्त की रेवड़ी को लेकर एक तरफ जहां सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई चल रही है वहीं केंद्र सरकार दिल्ली सरकार में के बीच भी बहस छिड़ गई। दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल की ओर से केंद्र पर लगाए गए आरोपों का जवाब देते हुए केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने कहा कि कल्याणकारी देश होने के नाते शिक्षा और स्वास्थ्य सुविधा को किसी भी सरकार ने नहीं नकारा है। यह सरकार की प्राथमिकता है। किसान या एमएसएमई को एक सीमा तक मुफ्त बिजली मुहैया कराने में भी सरकार को कोई एतराज नहीं है, लेकिन मुफ्त में दी जाने वाली बिजली का उस राज्य के बजट में प्राविधान हो। राज्यों के पास इतना राजस्व हो कि मुफ्त में बिजली देने का प्राविधान किया जा सके।

भाजपा ने केजरीवाल पर लगाया झूठ बोलने का आरोप

वहीं भाजपा प्रवक्ता गौरव भाटिया ने केजरीवाल पर सरासर झूठ बोलने का आरोप लगाते हुए 24 घंटे में सच स्वीकार करने की चुनौती दी है। भाटिया ने मुख्यमंत्री केजरीवाल की ओर से बोले गए तीन झूठ को रेखांकित करते हुए उसका खंडन किया। गौरव भाटिया के अनुसार अरविंद केजरीवाल ने सबसे बड़ा झूठ मनरेगा के फंड में 25 फीसद कटौती का बोला है। जबकि हकीकत यह है कि 2021-22 और 2022-23 दोनों ही बजट में मनरेगा के लिए 73 हजार करोड़ रुपये का प्रावधान है। कोरोना महामारी को देखते हुए 2021-22 के संशोधित अनुमान में 25 हजार करोड़ रुपए का अतिरिक्त प्रावधान किया गया था। इस बार भी वित्तमंत्री निर्मला सीतारमण ने बजट भाषण में मनरेगा के लिए धन की कमी नहीं होने का भरोसा दिया था।

कर्मचारियों के वेतन में स्वत: वृद्धि का माडल तैयार कर रही सरकार

गौरव भाटिया ने कहा कि इसी तरह से दिल्ली के मुख्यमंत्री ने राज्यों के वित्तीय आवंटन में कटौती और आठवें वेतन आयोग के गठन को लेकर भी सरासर झूठ बोला है। भाटिया के अनुसार केंद्रीय राजस्व में से राज्यों को 42 फीसद दिया जा रहा है और कुल आवंटन में कमी सिर्फ इसीलिए नजर आ रही है कि जम्मू-कश्मीर और लद्दाख के केंद्र शासित प्रदेश बनने के बाद उनके हिस्से का आवंटन राज्यों के खाते के बजाय केंद्रीय खाते में दिखाया गया है। इसी तरह से वेतन आयोग के गठन और उसके सिफारिशों को लागू करने में होने वाली देरी को देखते हुए मोदी सरकार कर्मचारियों के वेतन में स्वत: वृद्धि का माडल तैयार कर रही है।

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