सरकारी भैंसे खा गए 3.12 लाख का चारा, कोर्ट पहुंची पुलिस- पढ़ें गोरखपुर का अजीबोगरीब मामला

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RGAन्यूज़

गोरखपुर पुलिस इस समय अजीबोगरीब मामले में फंसी है। तस्करी के संदेह में पकड़े गए भैंंसों को एक सप्ताह बाद छोड़ने का आदेश दिया तो पता चला कि इस दौरान भैंसे 3.12 लाख रुपये का चारा खा गईं। पुलिस अब इसके भुगतान को लेकर परेशान है।

गोरखपुर में सरकारी भैंसे 3.12 लाख रुपये का चारा खा गईं। - प्रतीकात्मक तस्वीर

 

गोरखपुर,। भैंसों से भरे कंटेनर को पकड़कर अपनी पीठ-थपथपाने वाली गोरखपुर पुलिस सांसत में फंस गई है। कोर्ट ने पकड़े गए 23 भैंसों को छोड़ने का आदेश दिया है। दो माह तक देखभाल करने वाले गोशाला संचालक भैंसाें को वापस देने के लिए 3.12 लाख रुपये मांग रहे हैं। इसको लेकर कानूनी लड़ाई शुरू हो गई है। सांसत में फंसी गीडा थाना पुलिस आगे की कार्रवाई के लिए कानूनी सलाह ले रही है। मामले का निस्तारण करने के लिए डी

एक सप्ताह गोशाला में थे भैंसे

छह जून को तेनुआ टोल प्लाजा के पास गीडा थाना पुलिस ने भैंसों से भरे कंटेनर को पकड़ा था। गिनती करने पर कंटेनर में 25 भैंसे मिले, जिसमें एक की मौत हो गई। 24 भैंसों को हरिहरपुर स्थित ध्यान फाउंडेशन के गोशाला भेज दिया। गाड़ी के चालक और खलासी के खिलाफ मुकदमा दर्ज कर पुलिस ने जेल भेज दिया। एक सप्ताह बाद गोशाला में रखे गए भैंसों में एक की मौत हो 

कोर्ट ने दिया भैंसों को छोड़ने का आदेश

विवेचना के दौरान ही भैंसों के मालिक मुरादाबाद निवासी इरफान कोर्ट पहुंच गया। कोर्ट ने इरफान के आवेदन पर पकड़े गए भैंसें मालिक को सौंपने का आदेश गीडा थाना पुलिस को दिया। आदेश की कापी लेकर इरफान गीडा थाने पहुंचे। थानेदार ने गोशाला संचालक को बुलाकर भैंसों को वापस देने को कहा। जिसके बाद संचालक ने जून से लेकर अब तक भैंसों के खाने पीने पर खर्च हुए 3.12 लाख रुपये का भुगतान देने को कहा। भैंसों के मालिक ने इतने रुपये देने से मना कर दिया। अब कोर्ट में आदेश का पालन न होने की अर्जी दी है, जिसको लेकर गीडा थानेदार राहुल सिंह सांसत में फंस गए हैं

गोशाला संचालक ने लिया था स्टे

गोशाला में रखे गए भैंसों को मालिक को सुपुर्द करने का आदेश मिलने पर गीडा थाना पुलिस ने गोशाला संचालक को दिखाते हुए भैंसों को छोड़ने का दबाव बनाना शुरू कर दिया।खर्च मांग रहे संचालक ने कोर्ट में प्रार्थना पत्र देकर रिहाई के आदेश पर स्टे ले लिया। चर्चा है कि सुनवाई के दौरान न्यायालय ने स्टे खारिज कर दिया है। छोड़ने व खर्च मांगने को लेकर कानूनी लड़ाई शुरू होने के बाद अधिकारी भी मामले में बोलने से बच रहे

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