

RGAन्यूज़
सुप्रीम कोर्ट के न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ ने मंगलवार को कहा कि उन्होंने एक व्यक्ति को मोबाइल फोन से अदालती कार्यवाही रिकार्ड करते देखा और उन्हें आश्चर्य हुआ कि वह ऐसा कैसे कर सकता है। लेकिन फिर उन्हें अहसास हुआ कि यह कोई बड़ी बात नहीं है।
खुली अदालत में सुनवाई के दौरान कुछ भी गोपनीय नही
नई दिल्ली,सुप्रीम कोर्ट के न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ ने मंगलवार को कहा कि उन्होंने एक व्यक्ति को मोबाइल फोन से अदालती कार्यवाही रिकार्ड करते देखा और उन्हें आश्चर्य हुआ कि वह ऐसा कैसे कर सकता है। लेकिन फिर उन्हें अहसास हुआ कि यह कोई बड़ी बात नहीं है क्योंकि खुली अदालत में सुनवाई के दौरान कुछ भी गोपनीय नहीं होता।
जस्टिस चंद्रचूड़ अक्सर वकीलों से प्रौद्योगिकी का उपयोग करने का आग्रह करते रहे हैं। जस्टिस चंद्रचूड़ ने कहा, 'सोमवार को मैंने किसी को मोबाइल फोन का उपयोग करते हुए देखा। कार्यवाही के दौरान हम जो कह रहे थे शायद वह उसे रिकार्ड कर रहा था। शुरू में, मैंने सोचा कि वह कार्यवाही कैसे रिकार्ड कर सकता है? लेकिन फिर मैंने सोचा कि इसमें कौन सी बड़ी बात है? खुली अदालत में सुनवाई हो रही है। यहां कुछ भी गोपनीय नहीं है।' उन्होंने कहा कि सोच में बदलाव आना चाहिए और न्यायाधीशों को पारंपरिक दृष्टिकोण अपनाने के बजाय आज के समय के अनुसार चलना होगा। लेकिन साथ ही जस्टिस चंद्रचूड़ ने कहा कि किसी को न्यायाधीशों के बीच होने वाली चर्चा रिकार्ड करने से बचना चाहिए।
जस्टिस चंद्रचूड़ इस साल नवंबर में भारत के प्रधान न्यायाधीश बनने वाले हैं और वह न्यायालय की ई-कमेटी के प्रमुख भी हैं। उन्होंने सुप्रीम कोर्ट से लेकर निचली अदालतों तक की कार्यवाही को 'डिजिटल-हाइब्रिड मोड' में तब्दील करने में अहम भूमिका निभाई, जिसके चलते न्यायपालिका कोविड महामारी के दौरान काम कर पाई जब अदालतों में शारीरिक उपस्थिति के साथ सुनवाई नहीं हो रही थी। एक मामले में पेश वरिष्ठ वकील विजय हंसारिया ने कहा कि कई हाई कोर्टो और ट्रायल कोर्टो के जज अदालतों में मोबाइल फोनों के इस्तेमाल की इजाजत नहीं देते। उन्होंने कहा कि दशहरे की छुट्टियों के दौरान, वह सुप्रीम कोर्ट बार एसोसिएशन के अध्यक्ष से अधिवक्ताओं के लिए प्रौद्योगिकी के उपयोग और निर्णयों और संकलन की सॉफ्ट कॉपी को संभालने के लिए एक प्रशिक्षण सत्र