![Praveen Upadhayay's picture Praveen Upadhayay's picture](https://bareilly.rganews.com/sites/bareilly.rganews.com/files/styles/thumbnail/public/pictures/picture-4-1546617863.jpg?itok=SmNXTJXo)
![](https://bareilly.rganews.com/sites/bareilly.rganews.com/files/news/15_09_2022-chipiyana_rail_over_bridge_23072918.jpg)
RGAन्यूज़ संवाददाता दिल्ली गाजियाबाद
चिपियाना रेल ओवर ब्रिज (आरओबी) की ट्रस ब्रिज वाली चार लेन पर बृहस्पतिवार को आवाजाही शुरू हो गई। इसके साथ ही प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के जन्मदिन से पौने 29 घंटे पहले उनका ड्रीम प्रोजेक्ट दिल्ली-मेरठ एक्सप्रेस-वे (DME) का काम भी पूरा हो गया।
गाजियाबाद:- चिपियाना रेल ओवर ब्रिज (आरओबी) की ट्रस ब्रिज वाली चार लेन पर बृहस्पतिवार को आवाजाही शुरू हो गई। इसके साथ ही प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के जन्मदिन से पौने 29 घंटे पहले उनका ड्रीम प्रोजेक्ट दिल्ली-मेरठ एक्सप्रेस-वे (DME) का काम भी पूरा हो गया।
ईस्टर्न पेरिफेरल एक्सप्रेस-वे और वेस्टर्न पेरिफेरल एक्सप्रेस-वे के बाद इसे देश के तीसरे नेशनल एक्सप्रेस-वे (एनई-3) नाम दिया गया है। लोड टेस्ट पूरा होने के बाद कामगार विजेंद्र ने शाम सात बजकर 17 मिनट पर फीता काटकर इन चार लेन को शुरू किया। हालांकि डीएमई का उद्घाटन पहले ही हो चुका था।
भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण (एनएचएआइ) ने छह लेन के डीएमई (3-3) और आठ लेन के एनएच-9 (4-4) के लिए चिपियाना में 16 लेन का आरओबी प्रस्तावित किया था। 14 लेन से आने वाले वाहनों के लिए भविष्य में बढ़ने वाले वाहनों के दबाव को देखते हुए यह योजना बनाई गई थी।
डीएमई एक अप्रैल 2021 को शुरू हुआ था, लेकिन चिपियाना बुजुर्ग स्टेशन पर आरओबी का काम अधूरा था। पहले डासना-दिल्ली सेक्शन पर छह और दिल्ली-डासना सेक्शन पर दो लेन बनाई गईं। चार लेन पुरानी थीं। 12 लेन तैयार हो गईं, लेकिन दिल्ली-डासना सेक्शन चार लेन का सबसे जटिल काम लगातार लेट हो रहा था।
इसलिए हुई देरी
चार लेन पर 114.8 मीटर लंबाई और 2270 टन का देश का सबसे वजनी सिंगल स्पैन ट्रस ब्रिज रखा गया है। लुधियाना की कंपनी में ट्रस ब्रिज को टुकड़ों में तैयार किया और साइट पर असेंबल किया गया। इसे पुश (धक्का देकर) तकनीक से जर्मनी की कंपनी ने लांच किया।
यह काम इतना जटिल था कि इसके निर्माण के लिए भी दो लेन आरक्षित रखी गई थीं। कोंकण रेलवे के विशेषज्ञों की निगरानी में ही ट्रस ब्रिज व लांचिंग पैड बना और उन्हीं की देखरेख में लांचिंग भी हुई।
दो स्थानों पर काटना पर ट्रैक
लांचिंग के लिए दो स्थानों पर रेल ट्रैक को काटना पड़ा और रेलवे की फीडर लाइन शिफ्ट की गई। काम की जटिलता का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि डीएमई के दूसरे चरण की लागत बाकी तीन चरणों के मुकाबले साढ़े सात से 203 प्रतिशत तक अधिक रही।
यह लागत यहां बनाए गए 12 लेन और विशेष तौर पर इन चार लेन के कारण ही अधिक थी। अधिकारियों का कहना है कि हरनंदी पर बनाए पुल से भी अधिक परेशानी इन चार लेन पर आई।
चार साल की मेहनत का मिला फल
उद्घाटन की तैयारी पूरी हुईं तो एनएचएआइ के अधिकारियों ने विजेंद्र सिंह को बुलाया और कहा कि तुम फीता काटो। खोड़ा में रहने वाले विजेंद्र ने दैनिक जागरण से बातचीत में बताया कि यह सुनकर उनकी खुशी का ठिकाना नहीं रहा।
वह आम कामगार हैं और इस प्रोजेक्ट में हजारों मजदूरों ने काम किया है, लेकिन वह चार साल से लगातार इस प्रोजेक्ट में काम कर रहे हैं। गाजीपुर से डासना तक दूसरे चरण के हर काम में उनकी मेहनत शामिल रही। सबसे पुराना कामगार होने के कारण ही उनसे उद्घाटन कराया गया।
एनएचएआइ की प्रबंधक, तकनीक पुनित खन्ना, निर्माणदायी संस्था मैसर्स एपको चेतक एक्सप्रेस-वे प्रा.लि. के उपाध्यक्ष डीके श्रीवास्तव, प्रोजेक्ट इंडिपेंडेंट इंजीनियर मनोज कुमार और रेलवे के वरिष्ठ अनुभाग अभियंता पीके पांडेय समेत कई कामगार मौजूद रहे।
कामगारों ने मनाया उत्सव, लोग बोले थैंक्य यू
चार लेन का लोड टेस्ट होने के बाद उद्घाटन की तैयारी कामगारों ने ऐसे की, मानो कोई उत्सव हो। उनमें उत्साह देखने को मिला। एनएचएआइ व रेलवे के साथ ट्रैफिक पुलिस के अधिकारियों ने भी राहत की सांस ली।
फीता काटने के बाद वाहन गुजरने से शुरू हुए तो कामगारों ने उनकी तरफ हाथ हिलाया। राहगीरों ने भी उनका अभिवादन किया और कई चालक थैंक्यू बोलकर गए, क्योंकि उन्हें भी पता था कि यहां रोजाना एक घंटे का जाम लगता था, जिससे निजात इन्हीं कामगारों की वजह से मिली है।
एनएचएआइ के परियोजना निदेशक अरविंद कुमार ने बताया कि 24 घंटे लगातार काम करने का फल है कि देश के सबसे वजनी ट्रस ब्रिज का काम डेडलाइन से 15 दिन पहले ही काम खत्म कर डीएमई पर वाहनों का निर्बाध यातायात शुरू कर दिया गया है।