हत्याकांड में दो पूर्व पार्षद सगे भाईयों को उम्रकैद​

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RGA News टीम मुरादाबाद

शहर के कटघर चर्चित ध्यान सिंह सैनी हत्याकांड में दो सगे भाइयों को कसूरवार ठहराया गया है। नगर निगम में पार्षद रहे दो सगे भाइयों को उम्रकैद की सजा मिली है। मंगलवार को जिला जज शशिकांत शुक्ला ने यह फैसला सुनाया। फैसले के बाद कचहरी परिसर में देर शाम तक पूर्व पार्षद समर्थकों में भीड़ जुटी रही। पांच साल पहले दिनदहाड़े मर्डर केस में मृत्युपूर्व बयान और चश्मदीद की गवाही अहम बनीं।

10 अप्रैल 2014 को जिम जाने को सुबह साढ़े छह बजे निकले ध्यान सिंह को हमलावरों ने घेर लिया। वह स्कूटी पर अपने दोस्त दलीप सैनी संग सवार थे। हमलावरों ने उन्हें गोली मारी। पहले उन्हें सांई अस्पताल ले जाया गया। बाद में हायर सेंटर रेफर कर दिया गया। नोएडा के फोर्टिस अस्पताल में आठ दिन बाद ध्यानसिंह ने दम तोड़ दिया। मृतक के भाई मोहन लाल सैनी ने तब के निगम पार्षद संजय नगर निवासी यशपाल सिंह और सुभाष सैनी को आरोपित किया। आरोप लगाया कि आरोपियों के शराब कारोबार का विरोध करने पर यह हत्या हुई।

2012 में चुने गए थे पार्षद

मुरादाबाद। पिछले निगम चुनाव में दोनों भाई पहली बार पार्षद बने। दस सराय और भदौरा वार्डो से जीत हासिल की। पर दो साल बाद ही उनपर हत्या का संगीन आरोप लगा। पार्षदी के दौरान ही पुलिस ने दोनों को जेल भेज दिया। तब से वे जेल में ही रहे।

चश्मदीद और मृत्युपूर्व बयान बने अहम कड़ी, मिली सजा

मुरादाबाद। चर्चित केस मामले में सुनवाई के बाद मंगलवार को जिला जज ने फैसला सुनाया। केस की सुनवाई के दौरान बारह गवाह पेश किए गए। डीजीसी संजीव अग्रवाल ने बताया कि हत्याकांड में आरोपी पूर्व पार्षद भाइयों को दोषी करार दिया गया। मर्डर केस में ध्यान सिंह सैनी के नायब तहसीलदार नीलम श्रीवास्तव को मृत्युपूर्व बयान दिए गए। विवेचक ने भी मृत्युपूर्व बयान रिकार्ड किया। इसके अलावा विवेचक ने भी बयान रिकार्ड किया। गोली लगने के आठ दिन बाद यानी 18 अप्रैल को फोर्टिस अस्पताल में घायल ने दम तोड़ दिया। दोषियों को आजीवन कारावास की सजा और 65 हजार रुपये जुर्माना लगाया गया है।

अंत तक टिके रहे चश्मदीद गवाह भाई और दोस्त

मुरादाबाद। पांच साल पहले हुए सनसनीखेज मर्डर के बाद उतार-चढ़ाव भी आए। सुनवाई से अलग मामले को खत्म करने को दबाव बनाने की कोशिश हुई पर केस के चश्मदीद बयान पर टिके रहे। केस के वादी पर आरोप लगाने की कोशिश हुई। वादी मोहन लाल सैनी के अधिवक्ता फसी उल्ला का कहना है कि वादी को दबाव में लेने को फर्जी मुकदमें बिजनौर, पाकबड़ा और कटघर में दर्ज हुए। मगर गवाह अंत तक टिके रहे।

मिला इंसाफ-

मुझे न्याय पर पूरा भरोसा था। अदालत में पैरवी के लिए अधिवक्ता समेत अन्य गवाह भी टस से मस न हुए। अंत तक मामले को दबाने की कोशिश हुई।

-करन सिंह सैनी मृतक का भाई

निभाई दोस्ती-

घटना के दौरान मुझे भी हमलावरों ने मारने की धमकी दी पर धमकी से नहीं डरा। ध्यान सिंह से उसकी सच्ची मित्रता थी। अंत तक दोस्ती से

-दिलीप सैनी मृतक का दोस्त

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