RGA न्यूज दिल्ली
2010 दिल्ली कॉमनवेल्थ गेम्स की सुनहरी यादें आज भी साइना नेहवाल के जेहन में ताजा हैं जब उन्होंने आखिरी दिन महिला सिंगल्स में स्वर्ण पदक जीतकर भारत के सोने के तमगों की संख्या को 38 पहुंचा दिया था जिसकी बदौलत भारत अंकतालिका में इंग्लैंड को पछाड़कर दूसरे नंबर पर पहुंचा था। 28 वर्षीय भारतीय शटलर साइना गोल्ड कोस्ट में देश के लिए सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन करने के लिए तैयार हैं।
2010 के उस सुनहरे पलों को याद करते हुए साइना कहती हैं भारत ओवरऑल अंकतालिका में दूसरे पायदान पर था। आयोजन के आखिरी दिन से पहले भारत की झोली में 99 पदक थे और उसे बैडमिंटन महिला सिंगल्स और हॉकी (पुरुष) का फाइनल खेलना था। मैंने स्वर्ण जीता और हॉकी में हम उपविजेता रहे। मुझे तिरंगे के साथ पोडियम पर पहुंचकर बेहद खुशी हो रही थी जिसे मैं भूल नहीं सकती।
2006 के कॉमनवेल्थ गेम्स में 15 साल की शटलर के तौर पर अपना करियर प्रारंभ करने वाली साइना की अब तक की यात्रा दिलचस्प रही है। साइना ने 2006 में विमल कुमार की कोचिंग में टीम प्रतिस्पर्धा में पहली बार भाग लिया जिन्होंने बाद में भी साइना को 2014 से 2017 तक कोचिंग दी। हरियाणा में जन्मीं साइना ने मिक्स्ड टीम प्रतिस्पर्धा के कांस्य पदक मुकाबले में न्यूजीलैंड की रेबेका बेलिंघम को 21-13, 24-22 से हराकर सब को हैरान कर दिया था। साइना ने उस पल को याद करते हुए कहा कि 2006 मेलबर्न कॉमनवेल्थ गेम्स में मैंने पदार्पण किया था और हमने टीम प्रतिस्पर्धा में कांस्य जीता जहां मेरी भूमिका बड़ी थी क्योंकि मैंने महिला सिंगल्स में टीम के लिए जीत दर्ज की थी।
गोल्ड कोस्ट में भारत को मिक्स्ड टीम प्रतिस्पर्धा में शीर्ष वरीयता दी गई है और साइना को पूरा भरोसा है कि टीम अच्छा करेगी। साइना ने कहा बैडमिंटन की टीम और व्यक्तिगत प्रतिस्पर्धाओं की मजबूती पर ध्यान दें तो यकीनन हम ज्यादातर वर्गों में विजेता रहेंगे। लंदन ओलंपिक में कांस्य जीतने वाली साइना ने हार के सिलसिले से परेशान होकर 2014 में संन्यास लेने का मन बना लिया था। हालांकि उबेर कप के बाद उन्होंने बेंगलुरु में विमल कुमार के अंदर अभ्यास करने का फैसला किया। इसका असर देखने को मिला और साइना ने 2014 में चीन ओपन और 2015 में इंडिया ओपन जीता। उसी साल वह विश्व की नंबर एक खिलाड़ी भी बनीं।
हालांकि रियो ओलंपिक से ठीक पहले वह फिर से चोटिल हो गई जिसकी वजह से खेलों के महाकुंभ से उन्हें जल्दी बाहर होना पड़ा। फिलहाल साइना पूरी तरह फिट हैं और स्वर्ण जीतने पर ध्यान लगा रही हैं। यहां उन्हें मौजूदा चैंपियन कनाडा की मिचेल ली और स्कॉटलैंड की क्रिस्टी गिलमौर से कड़ी चुनौती मिलने की संभावना है। साइना कहती हैं अगर आप फिट हैं तो सफलता आपकी कदम चूमेगी। मुझे बैडमिंटन से बहुत प्यार है, और यही वजह है कि मैं अभी भी इस खेल में खुद को एक युवा खिलाड़ी मानती हूं।
कोचिंग पर साइना ने कहा कि मेरे आरिफ सर, गोवर्धन सर, विमल सर और गोपी सर के अलावा कई विदेशी कोचों ने मुझे फिट रहने में काफी मदद की। भगवान हमेशा मेरे साथ है इसलिए मुझे अच्छा करने की प्रेरणा मिलती है। फिट होकर लौटने के बाद साइना ने ओलंपिक की रजत पदक विजेता सिंधू को हराया था जिनके साथ मिलकर वह अगले कॉमनवेल्थ गेम्स में भारत का परचम लहराना चाहती हैं। साइना ने कहा कि हमारे पास बुनियादी सुविधाएं हैं, हमारे पास बेहतरीन कोच हैं और हर खेल में बहुत सारी प्रतिभा है। हमारे पास दुनिया के किसी भी विकसित देश से बेहतर उपकरण हैं। इसलिए मैं भारतीय दल को सबसे सफल आयोजन के लिए शुभकामनाएं देती हूं।